पटना 07 फ़रवरी 2025
बिहार विद्यापीठ के 105वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में एक भव्य समारोह का आयोजन देशरत्न राजेन्द्र प्रसाद शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के सभागार में किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत भारतीय सांस्कृतिक परंपराओं के अनुरूप ‘अतिथि देवो भव’ की भावना से ओत-प्रोत स्वागत गीत ‘आप आए धरा पर हरियाली छा गई’ से हुई, जिसने उपस्थित जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके पश्चात वैदिक रीति से मंगलाचरण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।अतिथियों का स्वागत स्मृति चिन्ह भेंट कर किया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए माननीय विजय प्रकाश, अध्यक्ष, बिहार विद्यापीठ ने अपने उद्बोधन में पूर्व वक्ताओं के विचारों को समेकित किया। उन्होंने भारत की प्राचीन शैक्षिक प्रणाली और मैकाले की आधुनिक शिक्षा पद्धति के तुलनात्मक अध्ययन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “आज की शिक्षा प्रणाली में ज्ञान और कौशल की प्राप्ति की अपेक्षा महज डिग्री हासिल करने की होड़ रह गई है।” उन्होंने भारत की पुरातन शिक्षा पद्धति के अनुरूप माइक्रो स्किलिंग आधारित आधुनिक शिक्षा प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के प्रभाव का उल्लेख करते हुए कहा कि “यदि शिक्षा प्रणाली में समय रहते बदलाव नहीं किए गए, तो 2035 तक कई विद्यालयों के अस्तित्व पर संकट आ सकता है।” उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक टीएलएम की बढ़ती मांग की ओर इशारा करते हुए इस दिशा में नवाचार को आवश्यक बताया। मुख्य अतिथि आर.आर. वर्मा, पूर्व आईपीएस अधिकारी, ने अपने संबोधन में बिहार विद्यापीठ की 104 वर्षों की यात्रा को अद्भुत बताते हुए इसकी टीम को हार्दिक बधाई दी तथा बिहार विद्यापीठ को एक राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के रूप पुनर्स्थापित करने का आह्वान किया। विशिष्ट अतिथि संजय कुमार ,जिला शिक्षा अधिकारी, पटना ने अपने संबोधन में शिक्षा के प्रति घटती रुचि और शिक्षित लोगों में नैतिक मूल्यों के क्षरण पर चिंता व्यक्त की। महात्मा गांधी के बिहार से जुड़े ऐतिहासिक प्रसंगों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि “यहीं बिहार की धरती पर मोहन से महात्मा बनने की यात्रा प्रारंभ हुई थी।”

उन्होंने टीएलएम (टीचिंग लर्निंग मटेरियल) के महत्व पर विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि किस प्रकार छोटी-छोटी जानकारियों के माध्यम से प्रभावी शिक्षण सामग्री का निर्माण किया जा सकता है। बिहार विद्यापीठ को शिक्षा का आदर्श संस्था बताते हुए उन्होंने सभी से इन आदर्शों पर चलने का आह्वान किया और प्रतिदिन एक घंटा पढ़ने एवं आधा घंटा लेखन का आग्रह भी किया। समारोह में डॉ. मृदुला प्रकाश, निदेशक, शिक्षा एवं संस्कृति, ने उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों, प्राध्यापकों, एवं प्रशिक्षणार्थियों का अभिनंदन करते हुए बिहार विद्यापीठ की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से अवगत कराया।
डॉ. राणा अवधेश, सचिव, बिहार विद्यापीठ ने संस्था का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि बिहार विद्यापीठ ने बदलते आधुनिक परिवेश में कौशल एवं उद्यमिता आधारित शिक्षा प्रणाली को अपनाया है। उन्होंने एआईसीबीवी फाउंडेशन की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए बताया कि अब तक 100 से अधिक स्टार्टअप्स को प्रबंधकीय एवं व्यावसायिक समर्थन प्रदान किया गया है।

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में बिहार विद्यापीठ की ऐतिहासिक यात्रा और टीएलएम प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इसमें देशरत्न राजेन्द्र प्रसाद शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के बी.एड. एवं डी.एल.एड. पाठ्यक्रम के प्रशिक्षणार्थियों ने विज्ञान, समाज विज्ञान, और सतत विकास के परिप्रेक्ष्य में विकसित शिक्षण अधिगम सामग्री का प्रस्तुतीकरण किया। सभी प्रतिभागियों ने अपने मॉडल्स और टीएलएम की व्याख्या करते हुए दर्शकों को अवगत कराया। निरीक्षण के दौरान विशेषज्ञों ने आवश्यक अकादमिक एवं तकनीकी सुझाव भी दिए। संयुक्त सचिव अवधेश के. नारायण ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
इस अवसर पर वित्त सचिव डॉ. नीरज सिन्हा, निदेशक डॉ. रणविजय नारायण सिन्हा, निदेशक (शोध) डॉ. योगेन्द्र लाल दास, तथा महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. पूनम वर्मा ए आई सी बिहार विद्यापीठ के सीओओ श्री प्रमोद कुमार कर्ण सहित कई गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की। पूर्व प्राध्यापक डॉ. अनिल प्रसाद, डॉ. ए.के. वर्मा, एवं अखौरी की उपस्थिति ने भी समारोह को विशेष बनाया।
समारोह का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ, जिसमें सभी उपस्थित लोगों ने सहभागिता कर देशभक्ति का संदेश दिया। बिहार विद्यापीठ का यह स्थापना दिवस न केवल इसकी ऐतिहासिक यात्रा का प्रतीक था, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में इसके योगदान और भविष्य की संभावनाओं का भी साक्षी रहा।
![]()
