पटना 4 नवम्बर 2025
पटना में आज आयोजित संयुक्त प्रेस वार्ता में राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने बिहार की जनता से सीधी अपील करते हुए कहा कि “अब वक्त आ गया है कि बिहार 20 साल का हिसाब मांगे और नई दिशा में आगे बढ़े। जनता ने बहुत देखा, अब उसे तय करना है कि वो पुरानी राजनीति के बोझ को ढोना चाहती है या भविष्य की राजनीति को अपनाना।”

गहलोत ने कहा कि पिछले दो दशकों में बिहार की जनता ने बार-बार भरोसा किया, लेकिन नतीजा वही रहा — बेरोजगारी, पलायन, भ्रष्टाचार, और ठहराव। उन्होंने कहा कि आज बिहार के लाखों युवा राज्य से बाहर रोज़गार की तलाश में भटक रहे हैं, किसान लागत से भी कम दाम पर फसल बेचने को मजबूर हैं, और महिलाएं महंगाई और असुरक्षा के दोहरे बोझ तले दब गई हैं।
उन्होंने कहा कि “अब वक्त है उम्मीद की राजनीति करने का — ऐसी राजनीति जो युवाओं के सपनों को दिशा दे, महिलाओं को सुरक्षा और सम्मान दे, और किसानों को राहत दे। बिहार को तेजस्वी यादव जैसे युवा नेता की जरूरत है, जिनमें संवेदना भी है और संघर्ष की समझ भी।”*
गहलोत ने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने यह साबित किया कि अगर नीयत साफ़ हो तो हर वर्ग के लिए न्याय संभव है। उन्होंने कहा कि राजस्थान मॉडल में कांग्रेस सरकार ने हर परिवार को 25 लाख रुपये तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा, पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली, महिलाओं को 10,000 रुपये वार्षिक सहायता, कृषि बिजली बिल में राहत, महिलाओं के लिए फ्री मोबाइल और इंटरनेट योजना, सभी के लिए सामाजिक सुरक्षा का कवच, और सरकारी भर्ती को पारदर्शी बनाकर युवाओं को नौकरी के अवसर दिए।
उन्होंने कहा, “यह सिर्फ घोषणाएं नहीं थीं — ये ज़मीन पर उतरी योजनाएं हैं, जिनसे हर वर्ग को राहत मिली। यही मॉडल अब बिहार में लागू होना चाहिए, और तेजस्वी यादव इसे कर सकते हैं।”
गहलोत ने नीतीश कुमार पर सीधा प्रहार करते हुए कहा कि “नीतीश जी की राजनीतिक यात्रा अब अपने अंतिम पड़ाव पर है। जो व्यक्ति हर कुछ सालों में अपनी विचारधारा बदल देता है, वह जनता के विश्वास के काबिल नहीं रह जाता। बिहार की जनता अब ठान चुकी है कि उसे स्थायी, ईमानदार और जवाबदेह नेतृत्व चाहिए।”*
उन्होंने कहा कि “यह चुनाव सत्ता परिवर्तन का नहीं, सोच परिवर्तन का अवसर है। बीस सालों में बिहार ने क्या पाया? विकास ठहर गया, उद्योग खत्म हो गए, युवाओं के सपने टूट गए। अब जनता को अपने बच्चों के भविष्य के लिए सोचने की जरूरत है।”
गहलोत ने कहा कि राजस्थान मॉडल केवल योजनाओं का नाम नहीं है, यह संवेदनशील प्रशासन और पारदर्शी शासन का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “हमने दिखाया कि सरकार केवल सत्ता नहीं, सेवा का माध्यम होती है। बिहार में भी यही भावना लौटानी होगी।”
गहलोत ने जोर देकर कहा कि बिहार में बदलाव की हवा अब बवंडर बन चुकी है — “नीतीश जी जा रहे हैं, तेजस्वी जी आ रहे हैं। यह बदलाव केवल एक नेता का नहीं, एक पीढ़ी का है। जब नौजवान जागता है, तब देश बदलता है। बिहार ने हमेशा देश की राजनीति को दिशा दी है, और इस बार फिर बिहार इतिहास रचने जा रहा है।”
उन्होंने कहा कि देश भर के लोग बिहार की ओर देख रहे हैं, क्योंकि यही राज्य अब लोकतंत्र और सामाजिक न्याय की नई परिभाषा लिखेगा। उन्होंने जनता से अपील की कि इस चुनाव को केवल राजनीति न समझें — यह भविष्य की पीढ़ियों के हक़ और उम्मीद की लड़ाई है।
साथ में प्रेस वार्ता में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने केंद्र सरकार और बिहार की एनडीए सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि “जब देश के करोड़ों लोग महंगाई, बेरोजगारी और बदहाल बिजली व्यवस्था से जूझ रहे हैं, तब सत्ता में बैठे लोग 62,000 करोड़ के पावर स्कैम पर चुप्पी साधे हुए हैं। प्रधानमंत्री हर मुद्दे पर बोलते हैं, लेकिन जब बात भ्रष्टाचार की आती है तो उनका मौन सबसे बड़ा बयान बन जाता है।”
खेड़ा ने कहा कि यह घोटाला केवल एक राज्य या विभाग का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम के पतन का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “बिहार में जनता बिजली बिल के लिए परेशान है, किसान खेतों में पंप चलाने को तरस रहे हैं, लेकिन बिजली कंपनियों के नाम पर हजारों करोड़ की लूट चल रही है — और केंद्र सरकार देखती रह जाती है।”
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जब सरकार जवाब नहीं देती, तब वह केवल भ्रष्ट ही नहीं बल्कि असंवेदनशील भी हो जाती है। खेड़ा ने कहा कि आज बिहार में भय, हिंसा और दमन का वातावरण बनाया जा रहा है — “विपक्ष की आवाज़ दबाई जा रही है, कार्यकर्ताओं पर झूठे मुकदमे लगाए जा रहे हैं, और लोकतांत्रिक संस्थाओं का दुरुपयोग हो रहा है।”
उन्होंने कहा कि “यह चुनाव किसी व्यक्ति का नहीं, बल्कि जनतंत्र बनाम भ्रष्ट तंत्र का है। बिहार की जनता अब यह तय करेगी कि क्या वह डर और दबाव की राजनीति को स्वीकार करेगी, या लोकतंत्र की रक्षा के लिए खड़ी होगी।”*
खेड़ा ने कहा कि भाजपा की सरकारें अब सत्ता को सेवा नहीं बल्कि स्वार्थ का माध्यम बना चुकी हैं। “प्रधानमंत्री अपने मित्रों के हित में बोलते हैं, लेकिन जब जनता की जेब लुटती है तो चुप रहते हैं। क्या यह मौन उनकी सहमति नहीं दिखाता?”
उन्होंने कहा कि बिहार की जनता को अब यह समझ लेना चाहिए कि जब सत्ता जवाबदेह नहीं रहती, तब लोकतंत्र कमजोर होता है। कांग्रेस और गठबंधन दल इस चुनाव को केवल सरकार बदलने की नहीं, बल्कि शासन की सोच बदलने की लड़ाई मान रहे हैं।
खेड़ा ने कहा कि “हमारा लक्ष्य केवल सत्ता नहीं, व्यवस्था में नैतिकता वापस लाना है। जब तक राजनीति में पारदर्शिता नहीं आएगी, तब तक देश का विकास अधूरा रहेगा।”
उन्होंने कहा कि आज देशभर में भय और नफरत का माहौल फैलाने की कोशिश की जा रही है, ताकि असली मुद्दों — महंगाई, शिक्षा, रोजगार, और स्वास्थ्य — से ध्यान हटाया जा सके। “बिहार की जनता इस बार इस चाल को समझ चुकी है। अब वह अपने अधिकार, सम्मान और भविष्य के लिए वोट करेगी।”
खेड़ा ने कहा कि “यह चुनाव भारत के लोकतंत्र का टेस्ट है। अगर जनता डर के आगे झुक जाएगी, तो आने वाली पीढ़ियाँ आज के मौन की कीमत चुकाएँगी। इसलिए हमें बोलना होगा, सवाल पूछना होगा, और वोट के ज़रिए जवाब देना होगा।”
उन्होंने स्पष्ट कहा कि कांग्रेस इस बार किसी पद या कुर्सी के लिए नहीं, बल्कि संविधान की आत्मा और जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए मैदान में है। “हम सब मिलकर इस देश में फिर से सच्चाई, पारदर्शिता और संवेदना की राजनीति स्थापित करेंगे।”
लोकसभा सांसद तारीक अनवर ने कहा कि एनडीए को हराइए, पलायन बेरोजगारी महंगाई भ्रष्टाचार सब हार जाएँगे ।
संवाददाता सम्मेलन में राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की मीडिया विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा, सांसद तारिक अनवर ,राष्ट्रीय मीडिया कोऑर्डिनेटर एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता अभय दुबे एवं मीडिया चेयरमैन राजेश राठौड़ मौजूद थे।
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