नई दिल्ली 06 दिसंबर 2023

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज लोक सभा में जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पर चर्चा का जवाब दिया।चर्चा के बाद लोक सभा ने जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 तथा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 को ध्वनि मत से पारित कर दिया।

लोक सभा में अमित शाह ने कहा कि कुल 29 वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए लेकिन बिल के उद्देश्यों के साथ सभी ने सहमति जताई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में लाए गए सैकड़ों प्रगतिशील परिवर्तनों की कड़ी में ये विधेयक एक और मोती जोड़ने का काम करेंगे। श्री शाह ने कहा कि 70 सालों से जिन लोगों के साथ अन्याय हुआ, जो अपमानित हुए और जिनकी अनदेखी हुई, ये विधेयक उन्हें अधिकार और न्याय दिलाने वाले हैं। जो लोग इन्हें वोट बैंक के रूप में उपयोग कर, अच्छे भाषण देकर राजनीति में वोट हासिल करने का ज़रिया समझते हैं वे इसके नाम के बारे में नहीं समझ सकते। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी एक ऐसे नेता हैं जो स्वयं गरीब घर में जन्म लेकर आज देश के प्रधानमंत्री बने हैं औऱ वे पिछड़ों औऱ गरीबों का दर्द जानते हैं। जब ऐसे लोगों को आगे बढ़ाने की बात होती है, तब मदद से ज़्यादा सम्मान के मायने होते हैं।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू और कश्मीर में 1980 के दशक के बाद आतंकवाद का दौर आया और जो लोग पीढ़ियों से वहां रहते थे, वे समूल वहां से विस्थापित हो गए लेकिन  किसी ने उनकी परवाह नहीं की। उन्होंने कहा कि जिनकी ज़िम्मेदारी ये सब रोकने की थी, वे इंग्लैंड में छुट्टियां मना रहे होते थे। अगर उन लोगों ने वोट बैंक की राजनीति के बिना और सख्ती के साथ सटीक उपाय कर आतंकवाद को शुरूआत में ही खत्म कर दिया होता तो आज इस बिल को लाने की ज़रूरत ही नहीं होती। श्री शाह ने कहा कि विस्थापितों को अपने ही देश के अन्य हिस्सों में शरणार्थी बनकर रहना पड़ा और वर्तमान आंकड़ों के अनुसार लगभग 46,631 परिवारों के 1,57,967 लोग अपने ही देश में विस्थापित हो गए। उन्होंने कहा कि ये विधेयक उन्हें अधिकार औऱ प्रतिनिधित्व देने वाला बिल है।

श्री अमित शाह ने कहा कि 1947 में 31,779 परिवार पाक-अधिकृत कश्मीर से जम्मू और कश्मीर में विस्थापित हुए और इनमें से 26,319 परिवार जम्मू और कश्मीर में और 5,460 परिवार देशभर के अन्य हिस्सों में रहने लगे। उन्होंने कहा कि 1965 और 1971 में हुए युद्धों के बाद 10,065 परिवार विस्थापित हुए और कुल मिलाकर 41,844 परिवार विस्थापित हुए। उन्होंने कहा कि 5-6 अगस्त, 2019 को प्रधानमंत्री मोदी ने इन विस्थापितों की दशकों से ना सुनाई देने वाली आवाज़ को सुना और इन्हें अधिकार दिए। श्री शाह ने कहा कि न्यायिक डिलिमिटेशन 5 और 6 अगस्त, 2019 को पारित बिल का ही हिस्सा था। उन्होंने कहा कि डिलिमिटेशन कमीशन, डिलिमिटेशन और डिमार्केटेड असेंबली लोकतंत्र का मूल और जनप्रतिनिधि को चुनने की इकाई तय करने की प्रक्रिया है। अगर डिलिमिटेशन की प्रक्रिया ही पवित्र नहीं है, तो लोकतंत्र कभी पवित्र नहीं रह सकता इसीलिए इस बिल में प्रावधान किया गया है कि न्यायिक डिलिमिटेशन फिर से किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विस्थापितों के सभी समूहों ने डिलिमिटेशन कमीशन से कहा कि उनके प्रतिनिधित्व के बारे में संज्ञान लिया जाए और ये हर्ष का विषय है कि कमीशन ने प्रावधान किया है कि 2 सीटें कश्मीरी विस्थापितों और 1 सीट पाक-अधिकृत कश्मीर से विस्थापित लोगों के लिए नामांकित की जाए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने इस व्यवस्था को कानूनी जामा पहनाया है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू और कश्मीर के इतिहास में पहली बार 9 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित की गई हैं और अनुसूचित जाति के लिए भी सीटों का आरक्षण किया गया है। पहले जम्मू में 37 सीटें थीं जो अब 43 हो गई हैं, कश्मीर में पहले 46 सीटें थीं वो अब 47 हो गई हैं और पाक-अधिकृत कश्मीर की 24 सीटें रिज़र्व रखी गई हैं। श्री शाह ने कहा कि पहले जम्मू और कश्मीर विधानसभा में 107 सीटें थीं, अब 114 सीटें हो गई हैं, पहले विधानसभा में 2 नामित सदस्य होते थे, अब 5 होंगे। उन्होंने कहा कि ये सब इसीलिए हुआ क्योंकि 5-6 अगस्त, 2019 को एक ऐतिहासिक बिल को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में कैबिनेट ने मंज़ूरी दी और इस सदन ने उसे मान्यता देकर धारा 370 को खत्म करने का काम किया। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों के ज़रिए इतिहास में लोक सभा के इस प्रयास और आशीर्वाद कोहर प्रताड़ित, पिछड़ा और विस्थापित कश्मीरी याद रखेगा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने 70 सालों से भटकने वाले अपने ही देश के भाई-बहनों को न्याय दिलाने के लिए 2 सीटों का आरक्षण दिया। उन्होंने कहा कि वंचितों को कमज़ोर जैसे अपमानित करने वाले शब्दों के स्थान पर पिछड़ा वर्ग का संवैधानिक शब्द इनके लिए रखा।

विस्थापितों को आरक्षण देने के औचित्य के बारे में कुछ विपक्षी सदस्यों द्वारा उठाए गए सवाल के जवाब में श्री अमित शाह ने कहा कि ये कश्मीर के विस्थापितों को अधिकार और प्रतिनिधित्व देने का बिल है।कश्मीरी विस्थापितों को आरक्षण देने से कश्मीर की विधानसभा में उनकी आवाज गूंजेगी और अगर फिर विस्थापन की स्थिति आएगी तो वो उसे रोकेंगे।

गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि घाटी में जब आतंकवाद शुरू हुआ, लोगों को निशाना बनाकर वहां से भगाने की शुरुआत हुई, उस समय से लेकर अब तक घड़ियाली आंसू बहाने वाले तो अब देखे, लेकिन अगर किसी व्यक्ति ने सही मायने में लोगों के आंसू पोंछने का काम किया तो वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी हैं। उन्होंने कहा कि हम उन लोगों की पीड़ा की कल्पना नहीं कर सकते, जो अपनी जान बचाने की खातिर कश्मीर में अपनी करोड़ों रुपए की प्रॉपर्टी छोड़कर बेंगलुरु, अहमदाबाद जम्मू या दिल्ली जैसे शहरों में जाकर कैंप में रहे हैं। जब उन लोगों ने कश्मीर से पलायन किया तो वहां उनकी संपत्ति पर कब्जा कर लिया गया और फिर औने—पौने दाम में उन्हें अपनी जमीन बेचने को विवश किया गया, एक प्रकार से उनकी संपत्ति छीन ली गई और प्रशासन चुपचाप बैठा रहा, उसने कोई कदम नहीं उठाया।   

श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व वाली सरकार ने इस मामले में न्याय दिलाने के लिए नया कानून बनाया और इसे Retrospective Effect यानी पिछली तारीख से लागू कर उन्हें उनकी संपत्ति वापस देने का काम किया। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने लगभग 1.6 लाख लोगों को अधिवास प्रमाण—पत्र देने का काम किया है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद प्रति व्यक्ति 3250 रुपये और प्रति परिवार अधिकतम 13 हजार रुपये की नगद सहायता राशि दी जाती है। उन्होंने कहा कि हर महीने प्रति व्यक्ति नौ किलो चावल, दो किलो आटा और एक किलो चीनी देने का काम हमारी सरकार कर रही है। गृह मंत्री ने कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर से आए लोगों को एकमुश्त साढ़े पांच लाख रुपये देने का काम प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने किया है। पिछले कुछ सालों में कोई काम नहीं होने के दावे करने वालों से गृह मंत्री ने कहा कि जड़ से कटे लोगों को इस  बदलाव का पता कैसे लगेगा। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि इंग्लैंड में छुट्टियां मनाकर जम्मू—कश्मीर के बदलाव का अनुभव नहीं किया जा सकता।

गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि एक पिछड़ा वर्ग आयोग बनाया गया, जिसने सहभागिता के अप्रोच के साथ हितधारकों के साथ कई दौर की बैठकें की। आयोग ने 198 प्रतिनिधिमंडल और 16 हजार लोगों की सुनवाई 750 दिनों में की। सभी 20 जिलों में जाकर यह सुनवाई की गई और डाक से प्राप्त लगभग 26 हजार अर्जियों को भी संज्ञान में लिया गया और इनमें जम्मू—कश्मीर आरक्षण अधिनियम में सुधार का सुझाव एक मूल तत्व था। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम पहले भी था, लेकिन वह कमजोर वर्गों के लिए था जबकि इस बार संवैधानिक नाम अन्य पिछड़ा वर्ग देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने उन्हें सम्मान दिया है। श्री शाह ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक सत्य है कि विपक्षी पार्टियों ने पिछड़ा वर्ग का सबसे बड़ा विरोध किया और पिछड़े वर्ग को रोकने का काम किया है। उन्होंने विपक्ष से सवाल किया कि आखिर सत्तर साल तक पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक मान्यता क्यों नहीं दी गई जबकि संविधान का यह मैंडेट है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इसे संवैधानिक मान्यता दी।

श्री अमित शाह ने कहा कि आम सभाओं में बैकवर्ड क्लास, बैकवर्ड क्लास बोलने वाले विपक्ष के नेताओं को जनता के सामने बताना चाहिए कि किसने काका कालेलकर कमीशन की रिपोर्ट को रोक कर रखा। मंडल कमीशन की रिपोर्ट आने के बाद जब तक वे सत्ता के बाहर नहीं गए, तब तक वह लागू नहीं हुआ और बाद में लागू हुआ भी तो विपक्ष के नेता ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने सेन्ट्रल एडमिशन स्कीम के तहत बैकवर्ड क्लास को रिजर्वेशन देने का काम कभी नहीं किया। यह काम सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार में हुआ और अब सैनिक स्कूलों, नीट और केंद्रीय विद्यालयों में पिछड़ा वर्ग के बच्चों को को सम्मान के साथ पढ़ने का अवसर दिया गया है। श्री शाह ने कहा कि अब तक EWS यानी आर्थिक तौर पर पिछड़े वर्ग के लोगों को आरक्षण देने की बात कभी नहीं सोची गई। पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अनारक्षित जातियों के गरीब बच्चों को 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया। गृह एवं सहकारिता मंत्री ने विपक्ष की ओर से उठाए गए कुछ कानूनी और संवैधानिक मुद्दे को लेकर भी विस्तार से जवाब दिया।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि कई सदस्यों ने जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद की चिंता करते हुए इसे सीधा धारा 370 को समाप्त करने से जोड़ दिया। श्री शाह ने कहा उन्होंने पहले कहा था कि आतंकवाद के मूल में धारा 370 के कारण खड़ी हुई अलगाववाद की भावना है और धारा 370 जाने से अलगाववाद में बहुत बड़ी कमी आएगी और इसके कारण आतंकवादी भावनाओं में कमी आएगी। उन्होंने कहा कि 1994 से 2004 के बीच कुल 40,164 आतंकवाद की घटनाएं हुईं, 2004 से 2014 के बीच ये घटनाएं 7,217 हुईं और नरेन्द्र मोदी सरकार के 9 सालों में 70 प्रतिशत की कमी के साथ ये घटनाएं सिर्फ 2,197 रह गईं। श्री शाह ने कहा कि इन घटनाओं में से 65 प्रतिशत पुलिस कार्यवाही के कारण घटित हुईं। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार के 9 सालों में नागरिकों की मृत्यु की संख्या में 72 प्रतिशत और सुरक्षाबलों की मृत्यु की संख्या में 59 प्रतिशत की कमी आई है। श्री शाह ने कहा कि 2010 में जम्मू और कश्मीर में 2,654 पथराव की घटनाएं हुई थीं जबकि 2023 में एक भी पथराव की घटना नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि 2010 में 132 ऑर्गेनाइज़्ड हड़तालें हुई थीं, जबकि 2023 में एक भी नहीं हुई। 2010 में पथराव में 112 नागरिकों की मत्यु हुई थी जबकि 2023 में एक भी नहीं हुई। 2010 में पथराव में 6,235 सुरक्षाबलकर्मी घायल हुए थे, 2023 में एक भी नहीं हुआ। गृह मंत्री ने कहा कि इसी सदन में सारी मर्यादाएं तोड़कर जो लोग कहते थे कि धारा 370 खत्म होने से रक्तपात होगा, लेकिन नरेन्द्र मोदी सरकार ने इस प्रकार की व्यवस्था की है कि किसी की एक कंकड़ फेंकने की भी हिम्मत नहीं हुई। उन्होंने कहा कि 2010 में सीज़फायर उल्लंघन की 70 घटनाएं हुईं थी, 2023 में सिर्फ 2 घटनाएं हुईं। 2010 में घुसपैठ की 489 घटनाएं हुईं, 2023 में सिर्फ 48 घटनाएं हुईं।

श्री अमित शाह ने कहा कि जम्मू और कश्मीर के लोगों की सुरक्षा और उनके जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने अथक प्रयास किए हैं। गृह मंत्रालय हर माह कश्मीर की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करता है और हर 3 माह में वे स्वयं वहां जाकर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करते हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने एक ज़ीरो टेरर प्लान बनाया है जिसपर पिछले 3 सालों से अमल हो रहा है और 2026 आते –आते ज़ीरो टेरर प्लान पूरी तरह से अमल में आ जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही कम्प्लीट एरिया डॉमिनेशन प्लान बनाया गया है जो 2026 तक समाप्त हो जाएगा। पहले सिर्फ आतंकवादियों को मारा जाता था, लेकिन अब हमने इसके पूरे इकोसिस्टम को खत्म कर दिया है। इसके साथ-साथ टेरर फाइनेंस के तहत NIA ने 32 मामले दर्ज किए और ये मामले इसीलिए दर्ज हुए क्योंकि पाकिस्तान से पैसा आ रहा था और नरेन्द्र मोदी सरकार ये नहीं होने देगी। NIA द्वारा 32 औऱ SIA द्वारा 51 मामलों सहित टेरर फंडिंग के कुल 83 मामले दर्ज हुए हैं। लगभग 229 अरेस्ट हुए हैं और 150 करोड़ रूपए मूल्य की 57 संपत्तियों को ज़ब्त कर उन्हें नीलाम करने के लिए अदालत में प्रक्रिया जारी है। 134 बैंक खाते सील हुए जिनमें 122 करोड़ रूपए ज़ब्त हैं साथ ही और 5.5 करोड़ रूपए नक़द ज़ब्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि धारा 370 खत्म होने के बाद 30 सालों के बाद 2021 में जम्मू और कश्मीर में पहली बार सिनेमा हॉल खुला। श्री शाह ने कहा कि श्रीनगर में एक मल्टीप्लेक्स बना. पुलवामा, शोपियां, बारामूला और हंदवाड़ा में 4 नए थियेटर खुले और 100 से अधिक फिल्मों की शूटिंग शुरू हो गई। लगभग 100 सिनेमा हॉल्स के लिए बैंक लोन के प्रस्ताव बैंकों में विचाराधीन हैं। श्री शाह ने कहा कि जम्मू और कश्मीर में 45 हज़ार लोगों की मृत्यु की ज़िम्मेदार धारा 370 थी, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने उखाड़ कर फेंक दिया। उन्होंने कहा कि इस देश में एक ही निशान, एक ही विधान और एक ही प्रधान होना चाहिए और इसी उद्देश्य के लिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने अपनी जान दी थी और यही देश की इच्छा थी।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि धारा 370 एक टेम्परेरी प्रावधान था जिसे बहुत पहले ही खत्म कर दिया जाना चाहिए था, लेकिन किसी ने हिम्मत नहीं की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हिम्मत दिखाई और धारा 370 को समाप्त कर दिया। श्री शाह ने कहा कि संविधान की इस स्पिरिट कि धारा 370 टेम्परेरी है के अनुरुप मोदी जी ने 5 अगस्त को वो दिन ला दिया जब इसे खत्म कर दिया गया। उन्होंने कहा कि पहली बार कश्मीरी, डोगरी, हिन्दी, अंग्रेज़ी और उर्दू को राज्य की आधिकारिक भाषा बनाया गया। उन्होंने कहा कि राइट टू एजुकेशन एक्ट, भूमि अधिग्रहण और मुआवज़े का कानून, फॉरेस्ट राइट एक्ट, एससी-एसटी प्रिवेंशन एट्रोसिटी एक्ट, व्हिसल ब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट और अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 को रोक कर रखा गया था और ये अब लागू हो गए हैं और अब वहां की विधानसभा की अवधि भी 5 वर्ष की हो गई है। उन्होंने कहा कि हर घर तिरंगा अभियान के तहत घाटी का एक भी घर ऐसा नहीं था जहां तिरंगा ना फहराया गया हो, वहां ये बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि आज लाल चौक पर हर त्यौहार को धूमधाम के साथ मनाया जाता है और हर समुदाय के लोग इनमें भाग लेते हैं। संविधान की स्पिरिट को अब वहां ज़मीन पर उतारा गया है।

श्री अमित शाह ने कहा कि धारा 370 समाप्त होने से पहले GSDP 1 लाख करोड़ रूपए था, जो सिर्फ 5 साल में डबल होकर आज 2,27,927 करोड़ रूपए हो गया है। पहले 94 डिग्री कॉलेज थे, आज 147 हैं, आईआईटी, आईआईएम और 2 एम्स के वाला जम्मू और कश्मीर पहला राज्य बना। उन्होंने कहा कि पिछले 70 सालों में सिर्फ 4 मेडिकल कॉलेज थे, अब 7 नए मेडिकल कॉलेज बनाए गए हैं। 15 नए नर्सिंग कॉलेज बनाए गए हैं, पहले मेडिकल सीटें 500 थीं अब धारा 370 समाप्त होने के बाद 800 और सीटें जोड़ी गई हैं। पीजी सीटें 367 थीं, मोदी सरकार ने 397 नई सीटें जोड़ने का काम किया है। मिड-डे मील लगभग 6 लाख लोगों को मिलता था, अब 9,13,000 लोगों को मिड-डे मील मिलता है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की औसत 158 किलोमीटर थी, अब 8,068 किलोमीटर प्रति साल हो गई है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 70 सालों में 24,000 घर दिए गए थे, पिछले 5 सालों में मोदी सरकार ने 1,45,000 लोगों को घर दिए हैं। 70 सालों में 4 पीढ़ियों ने 7,82,000 लोगों तक पीने का पानी पहुंचाया, अब मोदी सरकार ने और 13 लाख परिवारों तक पीने का पानी पहुंचाया है। गृह मंत्री ने कहा कि शिशु मृत्यु दर को 22 से 14.30 पर लाने का काम मोदी सरकार ने किया, पहले 47 जनऔषधि केन्द्र थे, अब 227 जनऔषधि केन्द्रों पर सस्ती दवाएं लोगों को मिल रही हैं। खेलों में युवाओं की भागीदारी 2 लाख से बढ़कर 60 लाख तक पहुंची है। पेंशन के लाभार्थी 6 लाख से 10 लाख तक पहुंचे हैं। श्री शाह ने कहा कि ये सारा परिवर्तन सिर्फ नरेन्द्र मोदी सरकार ने धारा 370 हटने के बाद किया है। उन्होंने कहा कि धारा 370 जाने से कश्मीर में आतंकवाद घटा है जिसके कारण वहां अच्छा वातावरण बना है और इसी के कारण वहां इतना विकास हो सका है।

गृह मंत्री ने कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री काल में उनके लिए गए निर्णयों की वजह से हुई 2 बड़ी गलतियों के कारण सालों तक जम्मू और कश्मीर को तकलीफें सहनी पड़ीं। उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू की पहली गलती थी कि जब हमारी सेना जीत रही थी, तब पंजाब आते ही सीज़फायर कर दिया गया और पाक-अधिकृत कश्मीर का जन्म हुआ। उन्होंने कहा कि अगर सीज़फायर 3 दिन देरी से होता तो पाक-अधिकृत कश्मीर आज भारत का हिस्सा होता। उन्होंने कहा कि दूसरी बड़ी गलती थी जब वे हमारे संयुक्त राष्ट्र में मसले को ले गए।श्री शाह ने कहा कि उस वक्त जब यूएन में मामला भेजना था, तब भी निर्णय बहुत आनन-फानन में लिया गया। उन्होंने कहा कि एक तो यह मामला यूएन में ले ही नहीं जाना चाहिए था और अगर ले भी जाया गया तो मामले को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 35 की जगह 51 के तहत ले जाना चाहिए था। गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि कई लोगों को द्वारा रिकॉर्ड पर सलाह देने के बावजूद भी अनुच्छेद 35 के तहत मामले को यूएन में ले जाया गया। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय जवाहरलाल नेहरू जी ने लिखा है कि यह उनकी गलती थी, पर यह गलती नहीं ब्लंडर था। देश की इतनी जमीन चली गई, वह ब्लंडर था।

श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 2014 में जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए 80 हजार करोड़ रुपए की लागत से 63 परियोजनाएं शुरू की, जिनमें बिजली, इंफ्रास्ट्रक्चर, सिंचाई, शिक्षा और मेडिकल सुविधाओं से जुड़ी परियोजनाएं शामिल हैं। इनमें लगभग 21 हजार करोड़ रुपए की लागत वाली 9 परियोजनाएं लद्दाख की थीं। जम्मू—कश्मीर के लिए 58 हजार 477 करोड़ रुपए की 32 परियोजनाएं लगभग पूरी हो गई हैं और 58 हजार करोड़ रुपए में से 45 हजार 800 करोड़ रुपए का व्यय समाप्त हो गया है। उन्होंने कहा कि 5000 मेगावाट के लक्ष्य रखकर चार हजार 987 करोड़ की 642 मेगावाट की किरू हाइड्रो परियोजना, 5000 करोड़ रुपए की लागत वाली 540 मेगावाट की क्वार हाइड्रो परियोजना, 5200 करोड़ रुपए की लागत वाली 850 मेगावाट की रतले हाईवे परियोजना, 8112 करोड़ रुपए की लागत वाली 1000 मेगावाट की सोपाक दल हाइड्रो परियोजना, 2300 करोड़ रुपए की लागत वाली 1856 मेगावाट की सावलकोट हाइड्रो परियोजना और 2793 करोड़ रुपए की लागत वाली शाहपुर खंडी बांध सिंचाई और बिजली परियोजना जैसी जल विद्युत परियोजनाओं में बीते 10 साल के अंदर निवेश हुआ है। पहली बार 1600 मेगावाट सौर ऊर्जा प्राप्त करने के लिए वहां पर प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, 38 ग्रुप स्टेशनों का निर्माण हुआ, 467 किलोमीटर नई ट्रांसमिशन लाइन बिछाई गई, 266 अप स्टेशन बनाए गए और 11000 सर्किट किलोमीटर की एसटी और आईटी लाइनों को बचाने का काम प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने किया है।

गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि जहां तक सिंचाई का सवाल है, 62 करोड़ रुपए की रावी नहर परियोजना पूरी कर ली गई है। 45 करोड़ रुपए की लागत वाली टसर चलन तीन ताल सिंचाई परियोजना का काम पूरा किया गया है। झेलम और सहायक नदियों के बाढ़ प्रबंधन के लिए 399 करोड़ के तीसरे चरण का काम पूरा हो गया है। 1632 करोड़ का दूसरे चरण का काम चल रहा है और चरण एक का काम पूरा होकर 31885 से बढ़कर 41000 परिवहन की क्षमता हो गई है। उन्होंने कहा कि शाहपुर कंडी बांध परियोजना भी पूरी हो गई है। जम्मू प्रांत की प्रमुख नहरों से तीन पीढियां से गाद नहीं निकाली गई थी। 59 दिन में ही राष्ट्रपति शासन लगने के बाद गाद निकालने का काम 70 साल के बाद पूरा हुआ। रेल नेटवर्क का विस्तार हुआ है। 3127 करोड रुपए की अनुमानित लागत से 8.45 करोड़ की लंबी काजीकुंड बनिहाल सुरंग का निर्माण हो गया है। लगभग 8000 किलोमीटर नए रोड ग्रामीण क्षेत्रों में बनाए गए हैं। श्री शाह ने कहा कि जम्मू—कश्मीर के 10 शिल्प को जीआई टैग मिला, डोडा के गुच्छी मशरूम को जीआई टैग मिला, आर एस पुरा के बासमती चावल को जैविक प्रमाण पत्र जारी किया गया और समग्र कृषि विकास के लिए 5013 करोड़ रुपए की योजना पूरी की गई।

गृह मंत्री ने कहा कि पूरे देश में सिर्फ गरीब व्यक्तियों के लिए 5 लाख रुपए तक के इलाज का पूरा खर्च सरकार उठाती है, लेकिन जम्मू—कश्मीर में सभी व्यक्तियों का 5 लाख का तक के इलाज का पूरा खर्च सरकार उठा रही है। उन्होंने कहा कि हमने बहुत संवेदनशीलता के साथ जम्मू—कश्मीर को संभाला है। मौजूदा सरकार के कार्यकाल के पहले पर्यटकों का अंतिम उपलब्ध आंकड़ा करीब 14 लाख था, जबकि अब वर्ष 2022-23 में 2 करोड़ पर्यटक जम्मू—कश्मीर पहुंचे और जून 2023 तक एक करोड़ का आंकड़ा पहुंच चुका है। उन्होंने विश्वास जताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार में 2 करोड़ पर्यटकों के पहुंचने का रिकॉर्ड इस दिसंबर में टूटेगा। श्री शाह ने कहा कि जम्मू—कश्मीर एक ऐसा गंतव्य स्थान बना है जिसका वातावरण और प्रकृति वैश्विक एवं आधुनिक नजरिए वाला है। राज्य में होम स्टे नीति की बनी है, फिल्म की नीति बनी है, हाउस बोट के लिए भी एक पॉलिसी बनाने का काम किया गया है, जम्मू रोपवे परियोजना 75 करोड़ रुपए खर्च कर पूरा कर ली गई है और इंडस्ट्रियल पॉलिसी भी पूरी कर ली गई है।

श्री अमित शाह ने कहा कि हम जो बिल लेकर आए हैं, वह ऐसे लोगों को अधिकार देने का बिल है जो सालों से वंचित थे, अधिकारों से वंचित थे, जो अपना देश अपना प्रदेश अपना घर अपनी भूमि अपनी जायदाद छूटने से अपने ही देश में निराश्रित हो गए। उन्होंने कहा कि यह पिछड़ा वर्ग के लोगों को संवैधानिक शब्द अन्य पिछड़ा वर्ग से सम्मानित करने का बिल है। गृह मंत्री ने सदन से निवेदन किया कि वह बिल पारित कराने में सहयोग करें, इस बिल का उद्देश्य बहुत पवित्र है। 

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