नई दिल्ली 21 अगस्त 2024
बहुचर्चित 1992 ब्लैकमेल कांड मामले में शेष छह आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। बताते चले कि इस प्रकरण में कुल 18 लोगों को आरोपी बनाया गया था। साल 1992 में कॉलेज छात्राओं के साथ गैंगरेप हुआ था, जिस पर आज 32 साल बाद कोर्ट ने सजा का ऐलान किया है। साल 1992 में देश के बहुचर्चित अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड के मामले में शेष रहे 6 आरोपियों को मंगलवार को पॉक्सो कोर्ट संख्या 2 ने दोषी माना है।
अदालत ने 208 पेज के फैसले में सभी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही कोर्ट ने प्रत्येक आरोपी को 5-5 लाख रुपए के आर्थिक दंड से भी दंडित किया है। बता दें कि प्रकरण में कुल 18 आरोपी थे. इनमें से 1 आरोपी फरार है। वहीं, एक आरोपी पूर्व में आत्महत्या कर चुका है। शेष आरोपियों को प्रकरण में सजा हो चुकी है। बचाव पक्ष के वकील अजय वर्मा ने बताया कि पॉक्सो एक्ट की विशेष कोर्ट संख्या 2 ने प्रत्येक आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही आरोपियों को 5-5 लाख रुपए के आर्थिक दंड से भी दंडित किया है। प्रकरण को लेकर बचाव पक्ष की ओर से इसी प्रकरण में पूर्व में अन्य आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से दी गई 10 वर्ष की सजा का हवाला दिया गया था, लेकिन कोर्ट ने बचाव पक्ष की दलील को नहीं माना। वर्मा ने बताया कि छह आरोपियों में से इकबाल भाटी की अंतरिम जमानत के लिए अर्जी लगाई गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है। उन्होंने बताया कि फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की जाएगी. फिलहाल सभी छह आरोपियों सैयद नफीस चिश्ती, इकबाल भाटी, सलीम चिश्ती, सोहेल गनी, जमीर और नसीम उर्फ टार्जन को कोर्ट ने जेल भेज दिया है। बता दें कि इससे पहले यह सभी 6 आरोपी जमानत पर थे। वहीं, यह आरोपी पूर्व में जेल में भी रह चुके हैं। इनमें सैयद नफीस चिश्ती 8 साल, मुंबई निवासी इकबाल भाटी साढ़े 3 वर्ष, सोहेल गनी 4 वर्ष, जमीर (जेल में नहीं रहा), नसीम 7 वर्ष और सलीम चिश्ती 7 वर्ष जेल में रह चुका है।
अजमेर ब्लैकमेल कांड 1992 एक ऐसा कांड था जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इस कांड में अधिकांश आरोपी दरगाह के खादिम समुदाय से जुड़े हुए थे। इन आरोपियों में अजमेर के सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के खादिम परिवारों के कई युवा रईस इसमें शामिल थे। पुलिस को इस मामले में उच्च पदस्थ राजनेताओं और अधिकारियों पर भी संदेह था। शहर में शांति और व्यवस्था के लिए संभावित खतरों के कारण शुरू में कार्रवाई करने में हिचकिचाहट की वजह से पुलिस को काफी दबाव का सामना करना पड़ा था।
मिडिया सूत्रों से मिली जानकर के अनुसार अजमेर में यूथ कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष फारुख चिश्ती, उसका साथी नफीस चिश्ती और उसके गुर्गे स्कूल और कॉलेज की लड़कियों को शिकार बनाते थे। फार्म हाउस और रेस्टोरेंट में पार्टियों के नाम पर छात्राओं को बुलाकर उन्हें नशीला पदार्थ पिलाकर सामूहिक दुराचार किया जाता था। इस दौरान उनके अश्लील फोटो खींच लिए जाते थे। इसके बाद इन अश्लील फोटो के आधार पर लड़कियों को ब्लैकमेल किया जाता था और उन्हें अन्य लड़कियों को लाने के लिए मजबूर किया जाता था। यानी एक शिकार से दूसरे शिकार को फंसाया जाता था।
बताया जाता है कि सन 1992 में अजमेर के एक कलर लैब से कुछ अश्लील फोटो लीक हो गए और जल्द ही यह फोटो शहर भर में वितरित होने लगे। तब पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर अश्लील फोटो की जांच की और इस घिनौने अपराध और षड्यंत्र का भांडा फूट गया।बताया जाता है कि इस अश्लील फोटो ब्लैकमेल कांड में 100 से ज्यादा लड़कियों के साथ दुष्कर्म हुआ था।पुलिस अनुसन्धान के अनुसार उनमे से कई लड़कियों द्वारा लोक लाज और बदनामी के डर से आत्महत्या कर ली और कुछ ने आरोपियों की गुंडागर्दी और ऊंचे रासुखातों की वजह से चुप्पी साधते हुए शहर ही छोड़ दिया था।
प्रकरण दर्ज होने से पहले कुछ लड़कियां हिम्मत कर पुलिस के पास गईं थ। पुलिस ने उन पीड़िताओं के बयान भी दर्ज किये लेकिन बाद में उन पीड़िताओ को धमकियां मिलने लगी । लिहाजा वह दोबारा पुलिस के सामने आने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। बाद में 18 पीड़िताओं ने आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में बयान दिए।
इस घटना के बाद पूरे राजस्थान में आंदोलन शुरू हो गया और आरोपियों की गिरफ्तारी और पीड़ितों को न्याय दिए जाने की मांग की गई। भारी दबाव के बीच आखिरकार मामले की जांच के लिए सीआईडी सीबी को सौंप दिया गया।
इस मामले की शुरुआत में अजमेर जिला पुलिस ने जांच की थी। बाद में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी एनके पाटनी ने इसकी निगरानी की। इस मामले से जुड़े उत्पीड़न के कारण फोटो लैब के मालिक और मैनेजर समेत कई लोगों ने आत्महत्या कर ली। इस मामले में शामिल कई लड़कियों ने भी आत्महत्या कर ली। 100 से ज्यादा पीड़ितों द्वारा दशकों से न्याय की मांग करने के बावजूद कई अपराधियों को बरी कर दिया गया या जमानत पर रिहा कर दिया गया। यह मामला हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट फास्ट ट्रैक कोर्ट POCSO कोर्ट सहित कई अदालतों में गया।
अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड के मामले इशरत, अनवर चिश्ती, शमशु भिश्ती और पुत्तन इलाहाबादी को कोर्ट पूर्व में आजीवन कारावास की सजा सुना चुकी है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट से इन्हें 10 वर्ष की सजा हुई थी। इसी तरह मामले में मुख्य आरोपी सैयद फारूक चिश्ती को भी 2007 में कोर्ट आजीवन कारावास की सजा सुना चुकी है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फारूक चिश्ती को 10 साल की सजा सुनाई थी। अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड मामले में वर्ष 2001 में महेश लोधानी, हरीश तोलानी, कैलाश सोनी और परवेज अंसारी को कोर्ट ने बरी किया था। प्रकरण में आरोपी अलमास महाराज अभी भी फरार है। बताया जा रहा है कि अलमास महाराज प्रकरण में नाम आने के बाद से ही अमेरिका भाग गया था, जहां उसने अमेरिका की नागरिकता भी हासिल कर ली है। फरारी के बावजूद भी उसके खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में पेश हो चुका है, लेकिन उस पर फैसला अभी तक नहीं हुआ।
अजमेर के बहुचर्चित ब्लैकमेल कांड में अब कोर्ट का फैसला आ गया है। अदालत ने इस मामले में छह दोषियों को अजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही इन पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। पॉक्सो स्पेशल कोर्ट संख्या दो ने ये फैसला सुनाया है। साल 1992 में कॉलेज छात्राओं के साथ गैंगरेप हुआ था, जिस पर आज कोर्ट ने सजा का ऐलान किया है. सभी आरोपियों को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. स्कूली छात्राओं की आपत्तिजनक फोटो खींचकर ब्लैकमेल करने के मामले में अदालत ने फैसला सुनाया।