पटना 16 नवंबर 2024
शनिवार 16 नवम्बर को रंगसृष्टि, पटना के द्वारा अपने वार्षिक नाट्य महोत्सव के अंतर्गत “अपना महोत्सव 2024” का आयोजन कला संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार के सहयोग से किया जा रहा है।
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य बिहार की बोलियों, भाषाओं एवं लोक संस्कृति को लोगों के जीवन में बनाए व बचाए रखना है। यह नाट्य महोत्सव कई लोक विद्याओं का रंग संगम है जो तीन दिवसीय लोक नाट्य महोत्सव के रूप में आज जनता के बीच में है। “अपना महोत्सव – 2024” के तृतीय दिन दो कार्यक्रमों को प्रेमचंद रंगशाला के वाय परिसर में प्रथम “भोला राम का जीव” नुक्कड नाटक की प्रस्तुति आशा, छपरा के द्वारा किया गया जिसके निर्देशक मो० जहाँगीर है। द्वितीय लोक नृत्य “झिझिया एवं कजरी की प्रस्तुति आशोक कुमार के नेतृत्व में उनके कलाकारों ने प्रस्तुति दिया। तृतीय दिन मंचीय प्रस्तुति में प्रस्तुति लोक नाटक “हिरनी नाट्य संस्था “नाट्य कला परिषद भोजपूरी, हिल्सा, नालंदा की विरनी” का मंचन करंट लाल नट के निर्देशन में किया गया।
रंगसृष्टि ने अपने नाट्य महोत्व में यह हमेंशा प्रयास किया है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच कर उन्हें रंग गतिविधियों से जोडे। सुदूर गांव में जो संस्थाऐं कार्य कर रही है उन्हें मुख्य धारा से जोडा जा सके ताकि हम ग्रामीण रंगमंच को तथा ग्रामीण कलाकार नागरीय रंगमंच को समझ सके और अपना विकास कर सके। साथ ही साथ जनता को उत्कृष्ट अभिनय एवं नाटक से परिचित करा सकें। अच्छे विचारों से जनता में सद्भाव एवं एकता का संचार किया जा सके।
हिरनी वीरनी शहर गुजरात की रहने वाली है। जाति से सपेरा भी है। आमतौर पर नट जातियों में प्रचलित यह लोकमाथा हिरनी चीरनी दो बहनों के माध्यम से उनके अधिकार और ताकत दर्शाती है। हिरनी वीरनी बहनें इतनी ताकतवर थी कि उन्हें विवाह के लिए अपनी जोड़ी का लड़का नही मिल रहा था। वे अपने माँ-पिता से आग्रह करती है कि योग्यवर की तलाश देश भर में की जाए। पुरे परिवार के साथ वे निकलते है और विभिन शहरों को होते हुए दिल्ली पहुंचते हैं। उनकी शर्त है कि जो कोई उनके मोहन भैसा को नाथ देगा उसीसे वे विवाहा करेंगी। दिल्ली में उनका सामना पहले उज्जैन सिंह से होता है जो हार जाता, तब उनका शिष्य पोसन सिंह सामने आता है और गैसे को नाथ देता है। शर्त के अनुसार विवाह हो जाता है। वह अपना क्षत्रिय धर्म छोड़ कर उनके साथ रहने लगता है। दोनों बहनें अपने पांच बच्चो के साथ लड़कर फिर से पोसन सिंह का राजपाट वापस लेते है और खुशी-खुशी रहने लगते है। इस प्रस्तुति को दर्शकों ने खुब सराहा।
इस नाटक में भाग लेने वाले कलाकार
हिरनी – ललित कुमार, वीरनी कुन्दन कुमार, माता शैलेंद्र सपेरा, सहेली – टुनटुन सपेरा, अगर कुमार, शिवजी कुमार, मोती पलवा मनीष सपेरा, उज्जैन सिंह वाल्मीकि पासवान, ऑर्गन मास्टर शंकर पासवान, नाल बादक लक्ष्मण पासवान, नक्काड़ा बादक ड्रम सेट- लक्ष्मण कुमार, गैसा महेंद्र दास, ड्राइवर विनोद यादव, मेकअप मन सलाहकार – शशी रंजन, कॉस्टुम अहेरी रंजन चुरी दास, छोटे जी,