पटना 01 नवंबर 2024

जैन धर्मावलंबियों के 24 वें तीर्थकर भगवान् महावीर का निर्वाण कार्तिक आमावस्या को पावापुरी में प्रातः चार बजे हुआ था। इसी दिन जैन धर्मावलम्बी भगवान् महावीर के निर्वाणोत्सव पर लाडू चढ़ाते हैं तथा दीप प्रज्ज्वलित करते है। जैन समाज के एम् पी जैन ने बताया की इस वर्ष एक नवम्बर को पटना समेत पूरे बिहार में इस दिन सभी जैन मंदिरों पर भगवान् महावीर को लड्डू चढ़ाया चढाया जाएगा तथा निर्वाणोत्सव मनाया जायेगा. इस वर्ष कार्तिक अमावस्या 31 अक्तूबर को दोपहर से प्रारंभ होकर 1 नवम्बर को संध्या तक है. भगवान महावीर का निर्वाण कार्तिक अमावस्या को प्रातः चार बजे हुआ था और इस वर्ष कार्तिक अमावस्या का प्रातः चार बजे एक नवम्बर को होता है इसलिए जैन धर्मावलम्बी एक नवम्बर को भगवान महावीर को लाडू चढ़ाकर निर्वाणोत्सव मनाएंगे.।

जैन धर्म में प्रतिवर्ष कार्तिक अमावस्या के दिन दीपमालिका सजाकर भगवान महावीर का निर्वाणोत्सव मनाया जाता है। जैन धर्मावलम्बी मानते हैं की भगवान महावीर के निर्वाण के दिन ही शाम को भगवान महावीर के प्रथम शिष्य श्री गौतम गणधर स्वामी को कैवल्यज्ञान की प्राप्ति हुई थी। तब देवताओं ने प्रकट होकर गंधकुटी की रचना की और गौतम स्वामी एवं कैवल्यज्ञान की पूजा करके दीपोत्सव का महत्व बढ़ाया.

माना जाता है कि जैन धर्म में इसी उपलक्ष्य में सभी जैन बंधु कार्तिक आमावस्या को सायंकाल दीपक जलाकर नई बही खातों का मुहूर्त करते हुए भगवान् गणेश और माँ लक्ष्मी जी का पूजन करते हैं. जैन धर्म में ऐसा माना जाता है की बारह गणों के अधिपति गौतम गणधर ही भगवान श्री गणेश हैं, जो सभी विघ्नों के नाशक हैं. उनके द्वारा कैवल्य ज्ञान की विभूति की पूजा ही महालक्ष्मी की पूजा है

जैन धर्मावलंबियों द्वारा भगवान महावीर के दिव्य-संदेश ‘जिओ और जीने दो’ को जन-जन तक पहुंचाने के लिए पति वर्ष कार्तिक अमावस्या को दीपक जलाए जाते हैं। प्रत्येक वर्ष मंदिरों, भवनों, कार्यालयों व बाग-बगीचों को दीपकों से सजाया जाता है और भगवान महावीर से कृपा-प्रसाद प्राप्ति हेतु लड्डुओ का नैवेद्रद्य अर्पित किया जाता है। इसे निर्वाण लाडू कहा जाता है।
आज भी जैन धर्मावलम्बी भगवान महावीर के उपदेशों पर चलते हुए सत्य व अहिंसा का मार्ग चुनकर दीपावली पर पटाखों का त्याग करके जीव-जंतुओं, प्राणियों तथा पर्यावरण की रक्षा करते हैं। दीपावली पर जैन धर्म के लोग पटाखे नहीं चलाते हैं. जैन धर्म का सार ही अहिंसा परमो धर्म है। जैन जान-बूझकर किसी भी जीव की हिंसा करने से बचते है। पटाखे चलाने से अति-सूक्षम जीव और सूक्ष्म जीवों की हिंसा होती है साथ ही जानवर और इंसान की सेहत एवं पर्यावरण पर भी बुरा असर पड़ता है, इसलिए जैन धर्म के लोग पटाखों इत्यादि से परहेज रखते है।

इस वर्ष 1 नवम्बर को पटना में मीठापुर स्थित दिगम्बर जैन मंदिर, जहां के मूलनायक भगवान महावीर हैं, सहित कदमकुआं, मुरादपुर, गुलजारबाग आदि सभी जैन मंदिरों में इसके लिए विशेष व्यवस्था की गयी है। सैकड़ों की संख्या में जैन धर्मावलंबी सुबह से ही मंदिरों में पहुँचेंगे। मीठापुर एवं कांग्रेस मैदान कदमकुआं स्थित भव्य जैन मंदिर में भगवान महावीर की अभिषेक की जायेगी उसके बाद पूजा अर्चना की जायेगी तत्पश्चात उपस्थित सभी श्रद्धालुओं के द्वारा भगवान महावीर पर लड्डू चढ़ाया जाएगा । मौके पर भगवान् के सामने 64 शिद्धियों के रूप में घी के 64 दीप प्रज्ज्वलित किये जायेंगे।
पटना से सैकड़ों श्रद्धालु भगवान महावीर की निर्वाण स्थली पावापुरी जलमंदिर में निर्वाण लाडू चढाने जा रहे हैं
इधर बिहार दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमिटी के सचिव पराग जैन ने बताया कि भगवान महावीर की निर्वाण स्थली पावापुरी में निर्वाण लाडू चढाने पटना से सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पावापुरी जलमंदिर पहुंच रहे हैं। वहां सबके लिए व्यापक।व्यवस्था की गई है।

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