डी० एल० एड० के छा़त्रों का परिचय सत्र का आयोजन
गुरुवार 30 नवंबर को बिहार विद्यापीठ देशरत्न राजेन्द्र प्रसाद शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के नव नामांकित डी० एल० एड० पाठ्यक्रम सत्र 2024-2026 के प्रशिक्षणार्थियों का परिचय सत्र का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर श्री विजय प्रकाश भा० प्र० से० (से०नि०) अध्यक्ष बिहार विद्यापीठ ने अपने अध्यक्षीय भाषण में बिहार विद्यापीठ की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, स्थापना, एवं संस्थापक विभूतियों तथा विगत सौ वर्षों के क्रिया कलापों से प्रतिभागियों को अवगत कराया। उन्होंने नव नामांकित डी०एल०एड० पाठ्यक्रम के प्रशिक्षणार्थियों को आह्वान करते हुए उन्हें बच्चों के समग्र विकास की दृष्टि से अपने को तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया। जिसमें शिक्षण के अतिरिक्त चरित्र निर्माण, खेलकूद, नृत्य, गायन, इत्यादि में प्रवीणता जरूरी है । कोरोना काल के दृष्टांत को उद्धृत करते हुए उन्होंने ऑन लाइन शिक्षण तकनीकी का कौशल हासिल करने पर बल दिया। राष्ट्रीय मूल्यों और आदर्शों को आत्मसात करते हुए अपने कर्तव्य को निष्ठा पूर्वक निभाने की अपील किया। उन्होंने बिहार विद्यापीठ की शिक्षण प्रक्रिया में नवाचारी प्रयोग और सृजनात्मक शिक्षण शैली के प्रति उन्मुख किया।बाल केन्द्रित शिक्षण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षण कला के साथ-साथ बच्चों के अंतर्निहित विविधतापूर्ण संभावनाओं की पहचान अनिवार्य है। उन्होंने बेरोजगारी के निदान के लिए उद्यमिता आधारित षिक्षा को बढ़ावा देने पर बल दिया।
डॉ मृदुला प्रकाश निदेशक शिक्षा संस्कृति एवं संग्रहालय ने अपने संबोधन में प्रशिक्षणार्थियों का उत्साह वर्धन करते हुए एक शिक्षक के रूप में अपने अब तक के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि शिक्षक वस्तुतः बच्चों के प्रति अपने संतानों का भाव रखते हुए यदि उन्हें निजता और निकटता का अहसास करते हैं तभी बच्चे सहजता के साथ शिक्षण दक्षता को ग्रहण कर पाते हैं।
डॉ० वाइ० एल० दास, निदेशक शोध ने शिक्षण प्रक्रिया को भयमुक्त आनंददायी और हृदयग्राही बनने के लिए आवष्यक ज्ञान, कौषल और सकारात्मक मनोवृत्ति तैयार करने के लिए प्रशिक्षण की अनिवार्यता बताते हुए प्रशिक्षुओं को निष्ठापूर्वक प्रशिक्षणचर्या में तत्परता और प्रतिबद्धता बनाये रखने की प्रेरणा दी। नई शिक्षा नीति और देष के समक्ष प्राथमिक शिक्षा में बच्चों की असंतोषप्रद उपलब्धि की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए उन्होंने बुनियादी साक्षरता और अंक ज्ञान की समझ को मजबूत करने की प्रक्रिया और पहल हेतु अपने को तैयार करने के लिए उन्मुख किया ताकि उच्च शिक्षा के प्रति बच्चों की अभिरुचि बढ़े। प्रशिक्षणचर्या प्रतिभागियों को उनकी भूमिका के अनुरुप दक्षता प्रदान कर सकेगी।
श्री विवेक रंजन, वित्तमंत्री, बिहार विद्यापीठ ने प्रशिक्षुओं को हार्दिक शुभकामनाएँ दी और उन्हें यह आश्वश्त किया कि बिहार विद्यापीठ में उन्हें प्रशिक्षण का अच्छा माहौल मिलेगा। वे अपेक्षित प्रशिक्षण प्राप्त कर बेहतर शिक्षक बनने की दक्षता हासिल कर सकें।
श्री अवधेश के० नारायण, सहायक मंत्री ने अपने उद्बोधन में प्रशिक्षुओं को शुभकामनाएँ दी और शिक्षण -प्रशिक्षण ,सीखने -सिखाने की गतिविधि को जीवन पर्यन्त चलने की प्रक्रिया बतायी। प्रशिक्षुओं को इस बात की ओर उन्मुख किया कि वे अपने शिक्षण को बेहतर और प्रभावी बनाने हेतु सीखें ताकि उसका उपयोग बच्चों के साथ कर सकें।
प्रशिक्षण महाविद्यालय के सभी प्राध्यापकों ने अपना परिचय दिया। प्रषिक्षणार्थिं को उनके द्वारा पढ़ाये जाने वाले विषय और कराये जाने वाले गतिविधियों से अवगत कराया।
महाविद्यालय की प्राचार्य महोदया, डॉ० पूनम वर्मा ने अपने स्वागत भाषण में अध्यक्ष सहित बिहार विद्यापीठ के सभी प्रतिनिधियों, पदाधिकारियों, प्रषिक्षण महाविद्यालय के प्राध्यापकों और नवागन्तुक डी०एल०एड० प्रषिक्षणार्थियों का स्वागत किया। महाद्यालय के विविध क्रिया कलापों से अवगत कराया और वर्ग अनुषासन बनाये रखने की प्रेरणा दी।
नवनामांकित डी०एल०एड० के प्रषिक्षणाथियों ने भी अपना परिचय दिया और अपनी योग्यता तथा अभिरुचि से परिचित कराया।
रोषनी और ट्विंकल ने मंच संचालन का कार्य किया। श्री चन्द्रकांत आर्या, सहायक प्रध्यापक द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ परिचय सत्र समाप्त हुआ।