पटना 08 मार्च 2025
बिहार विद्यापीठ के देशरत्न राजेंद्र प्रसाद शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम महाविद्यालय के देशरत्न सभागार में संपन्न हुआ, जिसमें समाज में महिलाओं की भूमिका, उनके अधिकारों और सशक्तीकरण पर विचार-विमर्श किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार विद्यापीठ के अध्यक्ष एवं एआईसी बिहार विद्यापीठ के सीईओ, श्री विजय प्रकाश (भा.प्र.से. सेवानिवृत्त) ने की। अपने अध्यक्षीय संबोधन में उन्होंने ऐतिहासिक दृष्टांतों के माध्यम से महिला और पुरुष के बीच जैविक विविधताओं की चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में स्त्री और पुरुष के बीच किसी प्रकार के भेदभाव की अवधारणा नहीं है। उन्होंने कहा कि समाज और परिवार के निर्माण में दोनों की भूमिका समान है। महिलाओं को त्याग की प्रतिमूर्ति बताते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समानता के सिद्धांत को बनाए रखना और अपनी संस्कृति के प्रति जागरूक रहना अत्यंत आवश्यक है। बिहार विद्यापीठ के सचिव डॉ. राणा अवधेश (भा.प्र.से. सेवानिवृत्त) ने अपने उद्बोधन में कहा कि समाज में निरंतर बदलाव आ रहा है। महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है, उनका आत्मविश्वास बढ़ा है। उन्होंने बिहार सरकार की ‘पोशाक योजना’ और ‘साइकिल योजना’ की प्रशंसा करते हुए कहा कि इन योजनाओं ने बालिकाओं की शिक्षा और आत्मनिर्भरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

कार्यक्रम में बिहार विद्यापीठ की निदेशक डॉ. मृदुला प्रकाश ने एक व्यावहारिक उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा, “जब हम किसी की ओर एक उंगली उठाते हैं, तो तीन उंगलियां हमारी ओर मुड़ती हैं। यह हमें अपने अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों की ओर भी ध्यान देने का संदेश देती हैं।” उन्होंने महिलाओं से आह्वान किया कि वे अपने अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण तरीके से संघर्ष करें और आवश्यकतानुसार प्रतिकारात्मक भूमिका भी निभाएं। बिहार विद्यापीठ के निदेशक (शोध) डॉ. योगेंद्र लाल दास ने अपने संबोधन में मातृशक्ति की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि महिलाएं धरती पर ईश्वर की प्रतिमूर्ति हैं। उन्होंने स्थानीय शासन प्रणाली (Grassroot Democracy) में महिलाओं की प्रत्यक्ष भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। बिहार विद्यापीठ के संयुक्त सचिव अवधेश के. नारायण ने अपने विचार रखते हुए कहा कि महिलाओं को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बीच संतुलन बनाए रखना चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि महिलाओं को अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर पुरुषों के प्रति अन्यायपूर्ण व्यवहार नहीं करना चाहिए।

इस अवसर पर महाविद्यालय के प्रशिक्षुओं और प्राध्यापकों ने महिला शिक्षा और समानता पर आधारित विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। डी.एल.एड. के प्रशिक्षु कमर अशरफ खान ने महिला सशक्तीकरण पर ओजस्वी भाषण दिया, जबकि बी.एड. की प्रशिक्षु सरिता ने अपनी स्वरचित कविता से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। सहायक प्राध्यापक श्रीमती प्रेरणा ने भी महिला सशक्तीकरण पर प्रभावशाली भाषण दिया। कार्यक्रम के दौरान महिला सशक्तीकरण पर आधारित एक प्रभावशाली नुक्कड़ नाटक भी प्रस्तुत किया गया, जिसमें अर्चना, अंजलि, मुस्कान, नीतू, शैलजा और विशाल ने अपने अभिनय से दर्शकों की सराहना प्राप्त की। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. शादियां शाहिना ने किया, जबकि मंच संचालन रौशनी, शैलजा और कंचन कुमारी ने सफलतापूर्वक संपन्न किया।
कार्यक्रम की प्रमुख वक्ता और महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. पूनम वर्मा ने अपने स्वागत भाषण में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए महिलाओं और पुरुषों के बीच व्याप्त असमानता को दूर करने का आह्वान किया। उन्होंने उपस्थित अतिथियों और श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर बिहार विद्यापीठ के अपर सचिव श्यामानंद चौधरी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के अंत में सहायक प्राध्यापक कुमारी श्रुति ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। यह आयोजन न केवल महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था, बल्कि समाज में समता और समरसता की भावना को सुदृढ़ करने का एक सार्थक प्रयास भी रहा।