सहरसा,15 मई 2024

जिलें के बनमा इटहरी प्रखंड के रसलपुर सरस्वती स्थान में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित श्री राम चरित मानस ज्ञान यज्ञ के प्रथम दिवस प्रवचन करते हुए संस्थान के संथापक व संचालक गुरुदेव सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य स्वामी कुन्दनानन्द ने कहा कि ये ज्ञान की भूमि मिथिला में सत्संग,भगवान की कथा की परंपरा रही है।

भगवान की कथा सभी संशयों का नाश करती है।मनुष्य के जीवन मे जब संशय का नाश होता है तो वो परमात्मा को प्राप्त कर लेता है। अगर संशय नाश नही हुआ तो वो अपना इस लोक को और परलोक दोनों का सर्वनाश कर बैठता है । मनुष्य के जीवन मे संशय अज्ञानता के कारण ही होता है। भगवान श्री कृष्ण कहते है कि अज्ञश्चाश्रद्दधानश्च संशयात्मा विनश्यति। नायं लोकोऽस्ति न परो न सुखं संशयात्मनः।रामचरित मानस भी कहती है कि जैसे भ्रम के कारण रस्सी को सर्प समझ लेते है। वैसे ही मानव इस संसार को ही सत्य समझ लेता है।जब जीवन मे संत आते है। भगवान की कथा सुनाते है और फिर जब सत्संग होता है तो मानव का यह भ्रम दूर होता है।सत्संग है क्या ? सत्संग भगवान की कथा कहानियों को सुनने का नाम नहीं है।तुलसी बाबा कहते है सत्संगति दुर्लभ संसार सत्संग दुर्लभ है इसे आसानी से प्राप्त नही किया जा सकता है।भगवान की जब एक जीव पर कृपा होती है तब सत्संग होता है।अजामिल,अंगुलिमाल , रत्नाकर डाकू ,गणिका वेश्या आदि अनेकों लोग अपने जीवन को सत्संग के माध्यम से ही धन्य कर पाए ।रामचरित मानस में सत्संग की बड़ी महिमा गयी गयी है । सत्संग का शाब्दिक अर्थ होता है सत्य जमा संग अर्थात सत्य का संग कर लेना। सत्य केवल ईश्वर है।इसका मतलब ईश्वर का संग कर लेना ही सत्संग है।जब सच्चे संतों के द्वारा भगवान की कथा की जाती है। और सच्ची श्रद्धा से कोई भी व्यक्ति भगवान की कथा को सुनता है तो उन संतो के द्वारा भगवान का दर्शन कराया जाता है।भगवान भोलेनाथ ने दंडकारण्य में ऋषि अगस्त से कथा सुनी भगवान का दर्शन हुआ । हनुमान के द्वारा सुग्रीव ने कथा सुनी भगवान का दर्शन हुआ । भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन ने कथा सुनी तो अर्जुन को भगवान का दर्शन हुआ। भगवान का दर्शन कल्पना का विषय नहीं है बल्कि यह प्रत्यक्ष अनुभूति है।भगवान कही नही मेरे ही अंदर है। वही भगवान मेरे अंदर विराजमान है जिसके कारण ही हम एक दूसरे को देख पा रहे है सुन पा रहे है । जिस घड़ी वो इस शरीर से निकल जायेगा ये आंखे नही देख पाएगी।उसी ईश्वर को तत्व रूप में देखना उसका प्रत्यक्ष अनुभति ही सत्संग है।हमारे गुरुदेव कहते है कि ईश्वर का साक्षात्कार करना प्रत्येक मनुष्य का अधिकार है । आइये दिव्य ज्योति जागृति संस्थान आपका आह्वान करती है कि आप अपने अंदर स्थित परमात्मा का दर्शन करें। मंच पर साध्वी सुनीता भारती, साध्वी सोनिया भारती, सरिता भारती, गोपाल जी व रामउदगार जी उपस्थित रहे।
समाज को सत्संग के लिए जागरूक करने हेतु भव्य शोभायात्रा निकली गयी जिसमे गांव के सेकड़ों युवा बुजुर्ग ने भाग लिया इसे सफल करने में मुख्य रूप से अरविंद कुमार,झारखंडी बाबू पूर्व सरपंच, उमेश पोद्दार, फूलों यादव पूर्व मुखिया, अखिलेश यादव, अनिल यादव, वरुण यादव, कमलदीप पोद्दार आदि ने भाग लिया।

Loading

Leave a Reply

Your email address will not be published.