पटना 25 दिसंबर 2024
माननीय मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार डॉ० प्रेम कुमार की अध्यक्षता में बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद् से संबंधित विषयों पर समीक्षात्मक बैठक की गयी। माननीय मंत्री द्वारा पूर्व में दिनांक-10.12.2024 की समीक्षात्मक बैठक के अनुपालन की समीक्षा के क्रम में बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद् के द्वारा सूचित किया गया कि राज्य में अवस्थित नेशनल थर्मल पावर प्लांट की छः (6) ईकाईंयों द्वारा ’फ्लू गैस डी. सल्फराईजेशन इकाई’ (FDC) स्थापित किये जा रहे हैं, जिसमें एन.टी.पी.सी. बाढ़; नवीनगर, बी.आर.बी.सी.एल., कहलगांव द्वारा 50ः प्रतिशत से 80ः प्रतिशत कार्य सम्पन्न किया जा चुका है तथा एन.टी.पी.सी., कांटी एवं बरौनी द्वारा निविदा प्रकाशित करायी गयी है। सभी इकाईंयों द्वारा यह कार्य निर्धारित समय सीमा-दिसम्बर, 2026 तक कर लिये जाने का लक्ष्य है।
सदस्य-सचिव, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद् द्वारा सूचित किया गया कि जैव-चिकित्सा अपशिष्ट (Bio-Medical Waste) के पर्यावरणीय अनुकूल तरीके से निपटान करने हेतु 4 सामूहिक जैव-चिकित्सा उपचार व्यवस्था/संयंत्र ( Bio-Medical Waste Treatment Facility) स्थापित हैं। माननीय मंत्री द्वारा पृच्छा की गई कि क्या ये CBWTF बिहार के चिकित्सा संस्थानों से जनित जैव-चिकित्सा अपशिष्ट के निपटान के लिए काफी है? इस बिन्दु पर सदस्य-सचिव के द्वारा सूचित किया गया कि वर्तमान में 4 CBWTF द्वारा राज्य के सभी 38 जिलों से जैव-चिकित्सा अपशिष्टों को संग्रहित कर निपटान किया जा रहा है। पर्षद् द्वारा 2023 में जैव-चिकित्सा अपशिष्टों का आकलन कर 7 जिलों में ब्ठॅज्थ् की स्थापना हेतु निविदा आमंत्रित किया गया था। परन्तु अभी यह मामला माननीय उच्च न्यायालय, पटना के न्यायाधीन है। इस कारण अन्य स्थानों पर CBWTF की स्थापना लंबित है।
पर्षद् में मानवबल की घोर कमी को दूर करने के लिये शीघ्र बहाली करने का निदेश माननीय मंत्री द्वारा दिया गया।
ई० कचरा के प्रबंधन एवं निपटान के लिये निदेश दिया गया कि राज्य में ई० कचरा प्रसंस्करण/पुनःचक्रण इकाईंयों की स्थापना एवं उनका संचालन सुनिश्चित किया जाय। इस संबंध में सदस्य-सचिव के द्वारा अनुरोध किया गया कि जिस विभाग में या कार्यालय में ऐसा कचरा उपलब्ध है उसकी सूचना पर्यावरण, वन एवं जलवायु परितर्वन विभाग अथवा बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद् को पत्र के माध्यम से सूचित किया जाये।
माननीय मंत्री द्वारा राज्य में एकल उपयोग प्लास्टिक पर लगाये गये प्रतिबंध के बावजूद बाजारों में इसकी उपलब्धता पर नाराजगी जताते हुये निदेश दिया गया कि सभी नगर निकायांे में सिटी स्क्वाड के माध्यम से मिशन मोड में छापेमारी किया जाये एवं इसकी समीक्षा ’जिला पर्यावरण समिति’ द्वारा किया जाय एवं जिला पर्यावरण के सदस्य-सचिव-सह-वन प्रमंडल पदाधिकारी इससे संबंधित प्रतिवेदन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परितर्वन विभाग एवं बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद् को प्रेषित करेंगे। साथ ही यह भी निदेश दिया गया की इस हेतु प्रखंड स्तर पर भी व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाये।
राज्य में अवस्थित नदियों के जल की गुणवत्ता की समीक्षा के दौरान सदस्य-सचिव द्वारा सूचित किया कि बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद् द्वारा गंगा नदी के कुल 34 स्थानों पर माह में 2 बार एवं गंगा की सहायक नदियों पर कुल 70 स्थानों पर माह में 1 बार जल-नमूनों का संग्रहण एवं विश्लेषण कार्य किया जाता है। इनसे प्राप्त आंकड़ों से केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली द्वारा नदियों के जल की गुणवत्ता के आधार पर Polluted River Stretch की घोषणा की जाती है। 2019 एवं 2021 के आंकड़ों के आधार पर राज्य में कुल 18 नदियों को Polluted River Stretch के रूप में वर्गीकृत किया गया था। तदोपरान्त 2022 एवं 2023 के आंकड़ों पर कुल 12 नदियों को ही Polluted River Stretch के रूप में वर्गीकृत किया गया है एवं 6 नदियों को Polluted River Stretch से विमुक्त किया गया। इस पर माननीय मंत्री द्वारा हर्ष व्यक्त किया गया।
माननीय मंत्री द्वारा राज्य में शहरों से निकलने वाले सिवेज के उपचार की व्यवस्था पर समीक्षा की गयी एवं इसपर विस्तृत चर्चा के दौरान सदस्य-सचिव, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद् द्वारा सूचित किया गया की राज्य में 13 मल-जल उपचार संयंत्रों ( Sewage Treatment Plant STP ) का निर्माण पूरा किया जा चुका है, जिसमें 8 STP संचालित हैं एवं 5 नये STP को ट्रॉयल रन पर चलाया जा रहा है। इसके अलावे हाजीपुर, बेगूसराय, मोकामा एवं बख्तियारपुर STP का निर्माण 90 प्रतिशत से ज्यादा हो चुका है एवं फतुहा, भागलपुर केSTP का 80 प्रतिशत से ज्यादा निर्माण पूरा हो चुका है। अन्य 7 शहरों में STP निर्माण निविदा की प्रक्रिया में है एवं 11 शहरों के लिए डी0पी0आर0 तैयार किया जा रहा है। अन्य शहरों से निकलने वाले चिन्हित नालों जिसके लिए Polluted River Stretch का निर्माण नहीं हो पाया है उन 507 नालों में ’इनसीटू बायोरेमिडियेशन तकनीक’ का उपयोग कर मल-जल का उपचार कर नदियों में प्रवाहित किया जा रहा है, जिनकी गुणवत्ता की जाँच बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद् के द्वारा निविदा के माध्यम से चयनित एन०ए०बी०एल० मान्यता प्राप्त प्रयोगशालों द्वारा करायी जा रही हैै।
माननीय मंत्री द्वारा बताया गया कि बहुत स्थानों से शिकायतें प्राप्त हो रही हैं कि नदियों के किनारे ठोस कचरों को फेंका जा रहा है, जिसके कारण नदियों के प्रवाह पर प्रभाव पड़ता है तथा नदियों का जल प्रदूषित हो रहा है इसे तत्काल रोके जाने के प्रबंध किये जाएं एवं नगर-निकायों द्वारा ठोस कचरा फेंकने वालों पर जुर्माना लगाया जाए एवं फेंके गये ठोस अपशिष्टों को नदी के किनारे से हटाने का प्रबंध करें। इस संबंध में पर्यावरण विभाग एवं बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद् को आवश्यक कदम उठाने का आदेश दिया गया है। साथ ही जिला पर्यावरण समिति द्वारा भी स्थानीय स्तर पर कार्य किये जाने का निदेश दिया गया। इसपर अग्रेत्तर कार्रवाई करते हुये फल्गू नदी की महत्ता को देखते हुये नदियों के किनारे होर्डिंग के माध्यम से आम-जनों को जागरूक किया जाये कि नदियों में ठोस-अपशिष्टों, प्लास्टिक, निर्माण/विध्वंस अपशिष्ट सामग्री, घरेलू अथवा औद्योगिक बहिस्राव को नदियों में प्रवाहित नहीं किये जाने की अपील जारी की जाय।