पटना 6 जनवरी 2025
जद (यू0) प्रदेश प्रवक्ता अंजुम आरा ने महिलाओं के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष के ट्वीट को लेकर उनपर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि जिनके माता-पिता के राज में महिलाओं का अपमान हुआ और उन्हें दोयम दर्जे का समझा गया उससे भला महिला सम्मान की क्या अपेक्षा की जा सकती है।
पार्टी प्रदेश प्रवक्ता ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के महिलाओं के प्रति ट्वीट में इस्तेमाल की गई भाषा पर सख्त नाराजगी जाहिर की और कहा कि राज्य की आत्मनिर्भर महिलाओं का अपमान करने से पहले उन्हें जरा अपने माता-पिता से एक बार पूछना चाहिए और ये भी बताना चाहिए कि उनके शासनकाल में महिलाओं का क्या हाल था। दिनदहाड़े महिलाओं का अपहरण होता था और उनके साथ बदसलूकी की घटनाएं आम थीं। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के शासनकाल के दौरान जहां महिलाएं घर की दहलीज के अंदर कैद थीं, वहीं माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के शासनकाल और उनकी नीतियों के चलते महिलाएं आज पंचायती राज व्यवस्था में संवैधानिक पद पर विराजमान हैं। पुलिस वर्दी पहन कर चैक-चैराहे पर पूरे समाज का संरक्षण कर रही हैं। पति-पत्नी के राज में जहां महिलाएं पाई-पाई की मोहताज हुआ करती थीं आज वो ‘जीविका दीदी’ बनाकर अपने घर की अर्थव्यवस्था को संभाल रही है।
उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की नीति और उनकी दूरगामी सोच के कारण निश्चित रूप से बिहार की महिलाओं के चेहरे पर आज खुशहाली, उनका आत्मबल और उनका मनोबल बढ़ा है और अब बिहार की महिला दुखिया नहीं बल्कि मुखिया बन कर नाम रोशन कर रही हैं। इस सच को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव जितनी जल्दी स्वीकार कर लें उतना बेहतर होगा।
इस दौरान उन्होंने तेजस्वी यादव से कुछ अहम सवाल पूछे:-
- तेजस्वी यादव ये बताएं कि क्या ये सच नहीं है कि साल 2005 के पहले बिहार के सुदूर इलाके की तो छोडिए पटना सिटी में ही लड़कियां 5-6 बजे शाम के बाद घरों से बाहर नहीं निकल पाती थी? वो इस बात से डरी रहती थीं कि पता नहीं कब कौन उठा कर ले जाए, कौन किडनैप कर ले, कौन कब उनके साथ गलत कर दे?
- लालू यादव के शासनकाल में नरसंहारों के दौरान महिलाएं मारी जा रही थीं, विधवा हो रही थीं? महिलाओं पर हुए अत्याचार के लिए तेजस्वी यादव सबसे पहले अपने माता-पिता को नाकाबिल करार देने की हिम्मत क्यों नहीं करते?
- तेजस्वी यादव ये बताएं कि आपके माता-पिता के शासनकाल में 5 हजार 243 महिलाओं के साथ गलत व्यवहार हुआ था तो उस समय लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी का मुंह चुप क्यों था?