पटना, 28 फरवरी 2025

बिहार विद्यापीठ में आज भारत के प्रथम राष्ट्रपति एवं संस्थान के प्रथम अध्यक्ष देशरत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की 63वीं पुण्यतिथि पर एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि सभा एवं राजेन्द्र स्मृति समारोह का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

प्रातःकालीन श्रद्धांजलि सभा
दिन की शुरुआत राजेन्द्र स्मृति संग्रहालय-2 में प्रातः 10:00 बजे एक भावपूर्ण प्रार्थना सभा से हुई। बिहार विद्यापीठ के अध्यक्ष विजय प्रकाश एवं वरिष्ठ पदाधिकारियों ने डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर उपस्थित मंत्री डॉ. तारा सिन्हा, वित्त सचिव डॉ. नीरज सिन्हा, अपर सचिव श्यामानंद चौधरी, निदेशक डॉ. मृदुला प्रकाश, निदेशक डॉ. योगेन्द्र लाल दास, प्राचार्य डॉ. पूनम वर्मा, सीओओ एआईसी बिहार विद्यापीठ प्रमोद कुमार कर्ण, संयुक्त सचिव अवधेश नारायण, विद्यापीठ के प्राध्यापक गण एवं प्रशिक्षुओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की।

सभा में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के प्रिय भजनों का मधुर प्रस्तुति सुजाता वर्मा, ब्रजेश कुमार वर्मा एवं संगीत प्राध्यापक कंचन कुमारी के नेतृत्व में प्रशिक्षुओं द्वारा की गई। संपूर्ण वातावरण श्रद्धा और भावनाओं से ओतप्रोत हो गया।

राजेन्द्र स्मृति समारोह
दोपहर 2 बजे बिहार विद्यापीठ के देशरत्न सभागार में राजेन्द्र स्मृति समारोह का आयोजन किया गया। राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान ने अपने सारगर्भित संबोधन में कहा:
“डॉ. राजेन्द्र प्रसाद भारतीय संस्कृति, सादगी एवं राष्ट्रीय एकता के प्रतीक थे। उनकी महानता का सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि उन्होंने बेहतर विकल्प होने के बावजूद बिहार विद्यापीठ के छोटे-से खपरैल आवास में रहकर राष्ट्रसेवा को प्राथमिकता दी।”

नैतिकता और आध्यात्मिकता से प्राप्त शक्ति
राज्यपाल ने विशेष रूप से इस बात को रेखांकित किया कि राजेन्द्र बाबू जैसे महापुरुषों को अपनी शक्ति नैतिकता और आध्यात्मिक मूल्यों से प्राप्त होती है। उन्होंने कहा: “आज की समस्याओं का समाधान तभी संभव है जब व्यक्ति संसार को स्वयं का ही विस्तार माने। जब हम अपने कार्यों को संकीर्ण स्वार्थों से ऊपर उठकर व्यापक मानवता की दृष्टि से देखेंगे, तभी वास्तविक समाधान प्राप्त कर सकेंगे।”

राज्यपाल का संग्रहालय भ्रमण
राज्यपाल ने बिहार विद्यापीठ स्थित राजेन्द्र स्मृति संग्रहालय-1 और संग्रहालय-2 का अवलोकन किया, जहां डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर राष्ट्रपति पद से अवकाश प्राप्त करने के बाद तक का जीवन व्यतीत किया।
उन्होंने राजेन्द्र बाबू द्वारा स्वयं काते गए सूत से बनी साड़ी और भारत रत्न सम्मान को देखकर गहरी श्रद्धा व्यक्त की।
मौलाना मजहर-उल-हक स्मारक पुस्तकालय का भी निरीक्षण किया, जहां डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की 20,000 से अधिक निजी पुस्तकें संरक्षित हैं। मौलाना मजहर-उल-हक की दुर्लभ चित्रों को देखकर वे आत्मविभोर हुए।

बिहार विद्यापीठ को पुनः विश्वविद्यालय का दर्जा देने की अपील
बिहार विद्यापीठ के अध्यक्ष विजय प्रकाश भा.प्र.से. (से.नि.) ने राज्यपाल की उपस्थिति को ऐतिहासिक क्षण बताते हुए कहा:
“बिहार विद्यापीठ की ऐतिहासिक विरासत को पुनर्स्थापित करने के लिए इसे गुजरात विद्यापीठ की तर्ज पर विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाना चाहिए। यही डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।”

डॉ राणा अवधेश ने स्वागत भाषण दिया
बिहार विद्यापीठ की निदेशक डॉ. मृदुला प्रकाश ने धन्यवाद करते हुए राज्यपाल से आग्रह किया कि वे समय-समय पर प्रशिक्षुओं को प्रेरित करने के लिए अपने व्याख्यान दें और बिहार विद्यापीठ को राष्ट्रीय स्तर का विश्वविद्यालय बनाने की दिशा में प्रयास करें।
समारोह में प्रमुख सहभागिता
समारोह में बिहार विद्यापीठ के वरिष्ठ पदाधिकारियों, शिक्षकों, प्रशिक्षणार्थियों एवं कर्मचारियों ने सक्रिय सहभागिता निभाई।
कार्यक्रम का संचालन सहायक प्राध्यापक श्री चंद्रकांत आर्य ने प्रभावशाली ढंग से किया।
यह समारोह बिहार विद्यापीठ के इतिहास में एक अविस्मरणीय अध्याय के रूप में अंकित होगा।

Loading

Leave a Reply

Your email address will not be published.