पटना 19 मई 2025
बिहार विद्यापीठ स्थित राजेन्द्र स्मृति संग्रहालय द्वारा अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के अवसर पर एक विचारोत्तेजक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस वर्ष संगोष्ठी का विषय था—”बदलते समुदायों में संग्रहालय का भविष्य”, जिसमें संग्रहालयों की भूमिका, उपयोगिता और उनके भावी स्वरूप पर गहन चर्चा हुई।

कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार विद्यापीठ के अध्यक्ष विजय प्रकाश ने की। अपने अध्यक्षीय संबोधन में उन्होंने संग्रहालयों की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि संग्रहालय न केवल अतीत का दस्तावेज होते हैं, बल्कि वे शिक्षा और सामाजिक चेतना के महत्वपूर्ण संसाधन भी हैं। उन्होंने कहा कि संग्रहालय केवल ऐतिहासिक वस्तुओं तक सीमित नहीं हैं—प्रत्येक वस्तु, परंपरा और यहाँ तक कि मानवीय गतिविधियों का भी संग्रहालय संभव है। एआई और रोबोटिक्स के युग में मनुष्य की जीवन पद्धति, कार्य शैली और पारिवारिक इतिहास को संरक्षित करने की दिशा में भी संग्रहालयों की नई संभावनाएँ हैं। उन्होंने परिवार स्तर पर वंशवृक्ष के निर्माण का भी आह्वान किया।
संग्रहालय की निदेशक डॉ. मृदुला प्रकाश ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि संग्रहालयों के सुदृढ़ भविष्य के लिए आवश्यक है कि हम अपने घरों को भी लघु संग्रहालय के रूप में विकसित करें। घरों में प्रयुक्त वस्तुएं, परंपराएं और सांस्कृतिक गतिविधियां यदि सहेजी जाएं, तो वह न केवल हमारी विरासत को जीवित रखेंगी, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगी।
बिहार विद्यापीठ के संयुक्त सचिव अवधेश के नारायण ने सुझाव दिया कि राजेन्द्र स्मृति संग्रहालय को बाल केंद्रित शैक्षिक गतिविधियों का केंद्र बनाया जाए, ताकि यह स्कूली बच्चों के लिए भी आकर्षक और ज्ञानवर्धक बन सके। AI-CVBV फाउंडेशन के सीओओ प्रमोद कुमार कर्ण ने संग्रहालयों को अत्याधुनिक तकनीकों से युक्त कर उन्हें दर्शनीय और नवाचार आधारित स्टार्टअप के रूप में विकसित करने पर बल दिया।
गुफरान अहमद ने कहा कि संग्रहालयों के विकास हेतु व्यापक प्रचार-प्रसार अत्यंत आवश्यक है, ताकि अधिक से अधिक दर्शकों को इससे जोड़ा जा सके। अजय चौधरी ने प्रस्ताव दिया कि डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के भाषणों और जीवन पर आधारित फिल्म का निर्माण संग्रहालय की पहुंच को जनसामान्य तक सरलता से बढ़ा सकता है। राजेश कुमार ने संग्रहालय को आधुनिक स्वरूप देने और जनसंपर्क माध्यमों के प्रयोग से प्रचार बढ़ाने पर बल दिया। इस अवसर पर राकेश रमन, स्वीटी कुमारी, सौम्या कुमारी एवं श्रद्धा कुमारी ने भी संग्रहालयों के महत्व और भावी योजनाओं पर अपने विचार साझा किए।
कार्यक्रम के अंत में श्रद्धा कुमारी ने सभी वक्ताओं एवं आगंतुकों को धन्यवाद ज्ञापित किया। यह संगोष्ठी न केवल संग्रहालयों के वर्तमान स्वरूप की समीक्षा का अवसर बनी, बल्कि उनके नवाचारयुक्त भविष्य की संभावनाओं पर एक सशक्त विमर्श भी प्रस्तुत किया।