पटना,28 सितम्बर 2025
बिहार राज्य मत्स्यजीवी सहकारी संघ के प्रबंध निदेशक ऋषिकेश कश्यप ने मीन भवन के सभागार में आयोजित कॉफ्फेड की 75वीं वार्षिक आम सभा को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के अधीन कुल 121 मत्स्य बीज प्रक्षेत्र है। सभी मत्स्य बीज प्रक्षेत्र पूर्व में विभागीय प्रबंधन में रखकर मत्स्य बीज तैयार किए जाते थे। इन प्रक्षेत्रों में नर्सरी, रियरिंग एवं संचयन तालाब निर्मित है। जिसका वार्षिक अनुरक्षण विभागीय योजनाओं के तहत किया जाता था। इन परिक्षेत्रों पर प्रभारी मत्स्य प्रसार प्रवेक्षक के साथ-साथ दो या तीन विभागीय मछुआ पदस्थापित रहते थे। जलक्षेत्र के आधार पर प्रत्येक मत्स्य प्रक्षेत्रों का वार्षिक मत्स्य बीज उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित होता था। इन प्रक्षेत्रों में लक्ष्यानुसार गंगा एवं राज्य के अन्य बहती नदियों से स्पॉन का सग्रहण कर मत्स्य बीज रियरिंग किया जाता था। तथा विभागीय एवं निजी तालाबों में संचयन हेतु अनुदानी दरों पर उपलब्ध कराया जाता था।

इस प्रकार की व्यवस्था का मूल उद्देश्य परंपरागत मछुआरों को उत्तम गुणवत्ता के मत्स्य बीज उपलब्ध कराना था। बाद के वर्षों में कर्मचारियों की कमी, गंगा नदी में प्रदूषण के कारण स्पॉन की उपलब्धता की कमी एवं अन्य कतिपय कारणों से प्रक्षेत्रों पर हैचरी अधिष्ठापन तथा तीन एकड़ से कम जलक्षेत्र वाले मत्स्य बीज प्रक्षेत्रों को मत्स्य बीज फार्म के रूप में विकसित करने का निर्णय हुआ। ताकि पट्टेदार स्वयं के लागत अथवा बैंक लोन से हैचरी का निर्माण एवं प्रक्षेत्र का संरक्षण करते हुए 8 से 10 मिलियन मत्स्य बीज फ्राई अथवा 40 मिलियन स्पॉन का उत्पादन कर स्थानीय परंपरागत मछुआरों को उपलब्ध कराए। 121 में 49 मत्स्य बीज प्रक्षेत्र 3 एकड़ से अधिक तथा 72 मत्स्य बीज प्रक्षेत्र 3 एकड़ से कम जलक्षेत्र के है। 3 एकड़ से कम जलक्षेत्र के प्रक्षेत्र का 12.50 लाख फ्राई प्रति हैक्टेयर अथवा 6.25 लाख फिंगरलिंग प्रति हैक्टेयर अथवा 1.625 लाख ईयरलिंग प्रति हैक्टेयर वार्षिक लक्ष्य निर्धारित है। इन मत्स्य बीज प्रक्षेत्रों की 10 वर्षों के लिए दीर्घकालीन बंदोबस्ती खुली डाक के माध्यम से करने का निर्णय लिया गया है। बिहार जलकर प्रबंधन अधिनियम 2006 में प्रावधान है कि मत्स्य विभाग के नियंत्रणाधीन सभी जलकरों की बंदोबस्ती प्रखण्ड में निबंधित प्रखण्ड स्तरीय मत्स्यजीवी सहयोग समिति के साथ वार्षिक निर्धारित सुरक्षित जमा पर किया जाएगा। मत्स्य विभाग अपने ही द्वारा बनाए गए कानून के विपरीत मत्स्य विभाग के नियंत्रणाधीन 121 मत्स्य बीज प्रक्षेत्रों की बंदोबस्ती खुली डाक से कर गैर मछुआरों को सौपनें की तैयारी कर रही है। सरकार के इस निर्णय से राज्य के परंपरागत मछुआरों में आक्रोश है।
श्री कश्यप ने आगे कहा कि मेरे द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में सर्कुलरराज को समाप्त करने एवं बंदोबस्ती हेतु कानून बनाने के लिए रिट याचिका संख्या 5584/2005 दायर किया गया था। माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा सर्कुलरराज को समाप्त कर बंदोबस्ती हेतु अधिनियम लागू करने का आदेश दिनांक 15 मई 2005 को दिया गया। आदेश के आलोक में राज्य सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के द्वारा बिहार जलकर प्रबंधन अधिनियम 2006 लागू किया गया।
मालूम हो कि राज्यभर में 121 मत्स्य बीज प्रक्षेत्र है। जिसमें मछलियों का प्रजन्न एवं स्पॉन से फ्राई तथा फ्राई से फिंगरलिंग तैयार किया जाता था। जिसे गरीब मछुआरों के बीच सस्ते दरों पर मत्स्य विभाग के द्वारा बिक्री किया जाता था। विभाग ने यह कहते हुए कि मत्स्य विभाग में कार्यबल की कमी है इसको पब्लिक प्राईवेट पार्टनर्शिप के नाम पर गैर मछुआरों के साथ 10 वर्षों के लिए बंदोबस्ती कर दिया था। जिसकी अवधी 5 वर्ष पूर्व ही समाप्त हो चुकी है। 5 वर्षों से मत्स्य विभाग के अधिकारी मत्स्य बीज प्रक्षेत्रों में लूट-खसोट कर रहे है। इन 5 वर्षों में मत्स्य विभाग को करोड़ों रूपये राजस्व की छति भी हो चुकी है। मत्स्य विभाग ने, न तो विभागीय स्तर पर मत्स्य बीज उत्पादन एवं बिक्री का कार्य किया और, न ही मछुआ समितियों के साथ वार्षिक निर्धारित सुरक्षित जमा पर बंदोबस्ती किया। बंदोबस्ती से सैंकड़ों मछुआरों को रोजगार उपलब्ध होता और राज्य मत्स्य बीज उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भी हो जाता। इस बडी समस्या से निजात के लिए श्री कश्यप के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में रिट याचिका संख्या 14913/2025 दायर किया गया। माननीय न्यायालय ने अपने आदेश दिनांक 23 सितम्बर 2025 के द्वारा कॉफ्फेड की मांग पर विचार कर अग्रेतर कारवाई हेतु आदेश पारित किया है। श्री कश्यप ने न्यायालय के आदेश के आलोक में राज्य के मुख्यमंत्री से मछुआरों के हित में फैसला लेने का अनुरोध किया है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कॉफ्फेड के अध्यक्ष प्रयाग सहनी ने बिहार एवं झारखण्ड राज्य के कोने-कोने से आए मछुआ प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि परंपरागत मछुआरों के लिए बिहार जलकर प्रबंधन अधिनियम 2006 में लागू किया गया था। इसके आलोक में जलकरों की बंदोबस्ती भी की गई अचानक से सरकार ने खुली डाक से बंदोबस्ती का निर्णय लिया है। जिस पत्र को अविलम्ब वापस लेकर मछुआरों की सहकारी समितियों के साथ बंदोबस्ती की जाए। अगामी विधानसभा चुनाव 2025 में सरकार को मछुआरों का अक्रोश झेलना पड़ सकता है। इसलिए सरकार को चाहिए की अविलम्ब इस काला कानून को वापस ले।
इस बैठक में निदेशकगण् शिवनंदन प्रसाद, अरूण सहनी, प्रदीप कुमार सहनी, लालो सहनी, इंदर मुखिया, कपिलदेव सहनी, निरंजन कुमार सिंह, नरेश प्रसाद सहनी, अशोक कुमार चौधरी, पद्मजा प्रियदर्शनी, कुमार शुभम, सानिध्य राज, अभिलाष कुमार, शिवानी देवी, मिनाक्षी कुमारी, राकेश कुमार, लालबाबू सिंह, प्रो० जयनंदन प्रसाद सहनी, मदन कुमार, लाल बाबू सहनी, दिनेश सहनी, हरेन्द्र निषाद, हेमन्त कुमार, बबन कुमार, भरत बिन्द, धर्मेन्द्र बिन्द, यसवंत सहनी, सिमरन, प्रमोद कुमार रजक, गोपी कुमार, रवि राज, मोनव्वर अली, रानी देवी उपस्थित थे।