पटना 01 अगस्त 2023

मंगलवार को बिहार विद्यापीठ देशरत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में डॉ युवराज देव प्रसाद द्वारा रचित आधुनिक भारत के निर्माता पुस्तक का लोकार्पण किया गया। पुस्तक में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के पांच महान विभूतियों महात्मा गांधी, लार्ड सच्चिदानंद सिन्हा, सरदार वल्लभ भाई पटेल, डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद  मौलाना अबुल कलाम आजाद के योगदान की चर्चा की गई है ।

श्री विजय प्रकाश भा प्र से से नि अध्यक्ष बिहार विद्यापीठ ने कहा कि आधुनिक भारत के निर्माता पुस्तक का लोकार्पण बिहार विद्यापीठ की  धरती पर हो रहा है। यह भूमि भी आधुनिक भारत के निर्माता में एक शैक्षणिक संस्थानों के रूप में किया है। एक भारतीय राष्ट्र बनाने के लिए कटिबद्ध हो। सभी विषयों का इतिहास पढ़ाया जाना चाहिये। भौतिकी में इलेक्ट्रोन का स्वतंत्रता संग्राम जैसा  रोचक पाठ हो सकता है ।  प्रत्येक गांव का इतिहास लिखा जाना चाहिए। आप तब तक सृजनात्मक नहीं हो सकते जब तक स्थानीय इतिहास नहीं पढ़ेंगे। सभी विद्यालयों में बिहार का इतिहास पढ़ाया जाना चाहिए ।

डॉक्टर युवराज देव प्रसाद ने अपनी शोध यात्रा के संबंध में कहा कि इंग्लैंड में अपने शोध में प्रथम  लेख गांधी पर लिखा। इंडियन मुस्लिम एण्ड फास्ट वर्ल्ड वार पर शोध किया | लार्ड सच्चिदानंद सिन्हा पर बहुत कम काम हुआ है। बंगाल विभाजन के मुख्य अगुआई लार्ड सच्चिदानंद सिन्हा ने की। कलाम की मुख्य भूमिका रही प्रथम विश्व युद्ध में। विद्यार्थियों के लिए अनोखी सामग्रियां परोसी है।

इम्तियाज अहमद ने अपने संबोधन में कहा कि में  मौलाना अबुल कलाम आजाद को और अधिक प्रसारित करने की जरूरत है ।

प्रोफेसर सचिन्द्र नारायण ने लेखकीय  मानस की प्रासंगिकता पर चर्चा की। प्रोफेसर डॉ नवल किशोर चौधरी पूर्व प्राचार्य पटना महाविद्यालय ने कहा कि बिहार विद्यापीठ विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित हो  इस दिशा में विजय प्रकाश अध्यक्ष द्वारा किए गए प्रयासों को अत्यधिक सराहा। उन्होंने ने कहा कि सहजानंद सरस्वती ने जमीनदारी प्रथा का उन्मूलन किया। इतिहास के महत्व को उजागर करते हुए कहा कि इतिहास समाज की स्मृति है। भारत की सभ्यता, संस्कृति और परंपरा अति समृद्ध रही है।आज हम जाति, धर्म में बंट के रह गये हैं।

प्रोफेसर डॉ पद्मलता पूर्व  विभागाध्यक्ष इतिहास पटना विश्वविद्यालय ने कहा कि सही इतिहास के द्वारा समाज में पुरुष और नारी के बीच संतुलन स्थापित करने की जरूरत है। 

प्रोफेसर डॉ रत्नेश्वर  मिश्र ,विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग ललित नारायण  मिथिला विश्वविद्यालय ने कहा कि हर व्यक्ति इतिहास लिखे  परन्तु उस के तथ्य से छेड़छाड़ नहीं हो। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीयता की भावना की जागृति  की यात्रा को अवगत कराते हुए भारत में एक कलम से महिलाओं के अधिकार पुरुष के बराबर दी गई थी।

प्रोफेसर डॉ माया शंकर महापुरुषों को जाति धर्म के बंधन से मुक्त करने की जरूरत है। उन्होंने विवेकानंद जैसे चरित्र को और प्रसारित करने की जरूरत बतायी।

विजय शर्मा भारतीय राजस्व सेवा ने कहा कि इतिहास की व्याख्या सत्य के परिप्रेक्ष्य में ही हो।

इस अवसर पर डॉ मृदुला प्रकाश, डॉ पूनम वर्मा डॉ रघुनंदन शर्मा सहित सैकडों लोग उपस्थित थे । 

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