पटना,17 अक्टूबर 2022
संस्कृदति मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन एक स्वाअयत्तव निकाय, खुदा बख्शह ओरिएण्टोल पब्लिक, लाईब्रेरी, पटना, द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय,एएमयू, के संस्थापक शिक्षाविद सर सैयद अहमद खां की जयंती के अवसर पर एक दिवसीय पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस पुस्तक प्रदर्शनी में सर सैयद पर एक सौ से ज्यादा सर सैयद द्वारा लिखी और उन पर लिखी गई विभिन्न लेखकों की हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू की पुस्तकें प्रदर्शित की गयी। पुस्तक प्रदर्शनी का उद्घाटन खुदा बख्शन ओरिएण्टील पब्लिक, लाईब्रेरी की निदेशक डॉ शाइस्ता बेदार और प्रेस इन्फोर्मेशन ब्यूरो पटना के सहायक निदेशक संजय कुमार ने संयुक्त रूप से किया।
मौके सर खुदा बख्शक ओरिएण्ट ल पब्लिक, लाईब्रेरी की निदेशक डॉ. शाइस्ता बेदार ने कहा कि सर सैयद शिक्षाविद्, समाज सुधारक, पत्रकार और इतिहासकार होने के अलावा राष्ट्र निर्माण के काम को आगे बढ़ाने वाली कई संस्थाओं के संस्थापक भी रह चुके हैं। उन्होंने अपने लेखन के जरिए अपनी इस सोच को आगे बढ़ाया। कई जगह उन्होंने बहुत सी संस्थाओं की शुरुआत भी की। आधुनिक भारत के निर्माण में भी उनका अहम योगदान रहा है। जिसमें शिक्षा को बढ़ावा देना, सामाजिक सुधार, धार्मिक जागरुकता जैसे अहम कार्य शामिल है। ये सिर्फ यूनिवर्सिटी तक ही सीमित नहीं, खास बात ये है कि उन्होंने किसी भी चीज से पहले शिक्षा को महत्व दिया। खुदा बख्श ओरिएण्ट्ल पब्लिक, लाईब्रेरी की निदेशक डॉ. बेदार ने कहा कि इस लाईब्रेरी में सर सैयद द्वारा शिक्षाविद्, समाज सुधारक, पत्रकार और इतिहासकार होने के नाते विभिन्न पुस्तकों का जो लेखन किया और शिक्षा की राह दिखाई वे लगभग सभी पुस्तकें यहाँ पर प्रदर्शित एवं संग्रहित हैं, जिसका लाभ पाठक लेते रहते हैं।
मौके पर प्रेस इन्फोर्मेशन ब्यूरो, पटना के सहायक निदेशक संजय कुमार, जिन्होंने अपनी पत्रकारिता की पढाई एएमयू से की है कहा कि अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय एक संस्कृति है। जो पढ़ाई की संस्कृति देता है, न कि किसी सम्प्रदाय, धर्म और जाति का। उन्होंने कहा कि सर सैयद ने एएमयू की स्थापना सिर्फ मुसलमानों के लिए नहीं कि थी बल्कि हर जाति व धर्म के लोगों के लिए की थी। यह अगल बात है कि गरीब मुसलमानों के बीच शिक्षा का अलख जगाने के लिए वे चिंतित रहते थे।
सर सैयद पर पुस्तक प्रदर्शनी के दौरान एएम यू ऑल्ड बॉयज़ एसोसिएशन पटना के पूर्व अध्यक्ष डॉ अरशद हक ने कहा कि सर सैयद अहमद ख़ान एक शिक्षक, समाज और सुधारक थे । उन्होंने कहा कि सर सैयद अहमद खान द्वारा सामाजिक सुधार कार्यों पर ज़ोर दिया गया, साथ ही वे लोकतांत्रिक आदर्शों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्षधर थे। वे धार्मिक असहिष्णुता, अज्ञानता और तर्कहीनता के खिलाफ थे।