पटना 11 मार्च 2024
भारत ने अपनी खाद्य प्रणाली को 1960 के दशक के मध्य में अत्यधिक कमी वाली प्रणाली से बदलकर अब आत्मनिर्भर और अधिशेष वाली प्रणाली में बदल दिया है। भारत की बढ़ती आबादी को खिलाना भविष्य में एक बड़ी चुनौती बनी रह सकती है, क्योंकि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां भूमि, जल और वायु जैसे प्राकृतिक संसाधनों की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है। भारत जहां ऐसी चुनौतियों से जूझ रहा है, वहीं कृषि क्षेत्र तकनीकी प्रगति से प्रेरित एक परिवर्तनकारी यात्रा से गुजर रहा है।
दूसरी चुनौती किसानों की आय बढ़ाने की है और इसके लिए उन्नत कृषि प्रौद्योगिकियों को अपनाना ही आगे बढ़ने का रास्ता है। इसमें खेती में क्रांति लाने, इसे अधिक कुशल, लाभकारी और टिकाऊ बनाने की क्षमता है। खेती में लागत कम करने वाली और उत्पादकता बढाने वाली कृषि मशीनीकरण से AI-संचालित फसल निगरानी तक, डेटा-संचालित निर्णय लेना और फसल सलाहकार सेवाएं, खेती की दक्षता और उसकी स्थिरता को बढ़ाने की क्षमता रखती हैं। वास्तव में, भारत का कृषि उद्योग एक बड़े तकनीकी परिवर्तन के शिखर पर है।

ड्रोन प्रौद्योगिकी : भारतीय कृषि में बदलाव की संभावनाएं:
भारत में कृषि क्षेत्र में ड्रोन या मानव रहित हवाई वाहन (UAVs) तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। इसके अलावा, भारत सरकार कृषि में ड्रोन के उपयोग को विशेष रूप से फसल मूल्यांकन, भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण और कीटनाशकों तथा पोषक तत्वों के छिड़काव के लिए सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही है। इसके लिए इकोसिस्टम के निर्माण के लिए सरकार ने निम्नलिखित प्रमुख कदम उठाए हैं:
उदार ड्रोन नियम, 2021: ड्रोन के उपयोग के लिए नियमों को आसान बनाते हुए इन नियमों को 25 अगस्त, 2021 को अधिसूचित किया गया था।
ड्रोन उद्योग में स्वदेशी विनिर्माण और विकास को बढ़ावा देने के लिए ड्रोन और ड्रोन घटकों के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना।
कृषि यंत्रीकरण पर उप-मिशन (SMAM) के दिशानिर्देश में संशोधन। कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थानों, ICAR संस्थानों, कृषि विज्ञान केंद्रों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों को कृषि ड्रोन की लागत का 100 प्रतिशत या 10 लाख रुपये, जो भी कम हो, का अनुदान प्रदान किया जाता है।
कस्टम हायरिंग सेंटर (CHCs) और हाई-टेक हब: मौजूदा CHCs ड्रोन खरीदने के लिए ड्रोन की मूल लागत का 40 प्रतिशत (4 लाख रुपये तक) की वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकते हैं। किसानों की सहकारी समितियों, एफपीओ(FPOs) और ग्रामीण उद्यमियों द्वारा स्थापित नए CHCs अपनी मशीनरी परियोजनाओं के हिस्से के रूप में ड्रोन को शामिल कर सकते हैं।
ड्रोन आयात नीति दिनांक 09 फरवरी 2022 कंप्लीटली-बिल्ट-अप (CBU), सेमी-नॉक्ड-डाउन (SKD), या कंप्लीटली-नॉक्ड-डाउन (CKD) रूप में ड्रोन के आयात पर रोक लगाती है। जबकि पूरी तरह से असेंबल किए गए ड्रोन का आयात प्रतिबंधित है, ड्रोन घटकों के आयात पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
ड्रोन शक्ति पहल की घोषणा बजट 2022 के दौरान की गई थी। इसका उद्देश्य भारत में स्टार्ट-अप के माध्यम से ड्रोन को एक सेवा के रूप में बढ़ावा देना है।
ड्रोन (संशोधन) नियम, 2022: 11 फरवरी, 2022 को ड्रोन पायलट लाइसेंस की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया।
नमो ड्रोन दीदी योजना
प्रधानमंत्री ने 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में कहा था, “हम स्वयं सहायता समूह से जुडी महिलाओं को ड्रोन उड़ाने और ड्रोन की मरम्मत करने के लिए प्रशिक्षित करेंगे। सरकार हजारों महिला स्वयं सहायता समूहों (SHG) को ड्रोन प्रदान करेगी।” तदनुसार, महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन उपलब्ध कराने के लिए एक नई केंद्रीय योजना ‘नमो ड्रोन दीदी’ की परिकल्पना की गई। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2024-25 से 2025-26 की अवधि के लिए 1261 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ इस योजना को मंजूरी दी।
योजना के उद्देश्य:
खेतों की बेहतर दक्षता, बढ़ी हुई फसल उपज और संचालन की कम लागत के लिए कृषि क्षेत्र में उन्नत प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना
DAY – NRLM के तहत प्रचारित महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को ड्रोन सेवा प्रदाताओं के रूप में सशक्त बनाना, क्योंकि वे सामूहिक कामकाज के लिए प्रभावी जमीनी स्तर के संस्थान के रूप में उभरे हैं।
DAY – NRLM के तहत प्रचारित महिला SHGs को उनकी आय बढ़ाने के लिए व्यवसाय के अवसर प्रदान करना।
ग्रामीण रोजगार और वित्तीय समावेशन के अवसरों को बढ़ाना।
नैनो-उर्वरकों के उपयोग को प्रोत्साहित करना और कीटनाशकों तथा उर्वरकों के उपयोग को अनुकूलित करना।
योजना की मुख्य विशेषताएं:
महिला SHGs को ड्रोन का प्रावधान: चयनित महिला स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को तीन वर्षों (2023-24 से 2025-26) में 15,000 ड्रोन प्रदान किए जाएंगे।
बडी उर्वरक कंपनियों के साथ सहयोग: वर्ष 2023-24 में बडी उर्वरक कंपनियों द्वारा अपने संसाधनों का उपयोग करते हुए 500 ड्रोन उपलब्ध कराए जाएंगे। वर्ष 2024-25 और 2025-26 के दौरान नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत 14,500 ड्रोन वितरित किए जाएंगे।
पैकेज वितरण: महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन एक व्यापक पैकेज के रूप में प्रदान किया जाएगा। इसमें यह सुनिश्चित किया जाएगा कि SHGs के पास सभी आवश्यक सामान और सहायक उपकरण हों।
वित्तीय पैटर्न:
केंद्रीय वित्तीय सहायता: केंद्रीय वित्तीय सहायता के तहत ड्रोन और संबंधित सहायक उपकरण या सहायक शुल्क की लागत का 80 प्रतिशत या अधिकतम 8 लाख रुपये तक प्रदान किया जाएगा।
SHGs के CLF द्वारा ऋण व्यवस्था: SHGs का क्लस्टर लेवल फेडरेशन (CLF) कृषि अवसंरचना निधि (AIF) के तहत ऋण के रूप में शेष राशि जुटा सकता है।
ब्याज छूट: SHGs पर वित्तीय बोझ को कम करते हुए AIF ऋण पर 3 प्रतिशत की दर से ब्याज छूट प्रदान की जाएगी।
कार्यान्वयन के लिए मुख्य रणनीतियां:
- संसाधनों और प्रयासों को एकजुट करना: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, ग्रामीण विकास और उर्वरक विभाग के संसाधनों और प्रयासों को एकजुट करने वाला समग्र हस्तक्षेप।
- कार्यान्वयन के लिए चयन मानदंड: DAY – NRLM के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में क्षेत्र/क्लस्टर और SHG समूहों का सही चयन।
3.संभावित समूहों की पहचान: उपयुक्त समूहों की पहचान की जाएगी जहां ड्रोन का उपयोग आर्थिक रूप से संभव है।
4.महिला एसएचजी का चयन: ड्रोन उपलब्ध कराने के लिए चिन्हित समूहों में DAY – NRLM के तहत प्रगतिशील महिला SHGs का चयन किया जाएगा। - SHG सदस्यों के लिए प्रशिक्षण: महिला SHGs के एक योग्य सदस्य को 15-दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इसमें अनिवार्य 5-दिवसीय ड्रोन पायलट प्रशिक्षण और पोषक तत्व तथा कीटनाशक अनुप्रयोग जैसे कृषि उद्देश्यों के लिए अतिरिक्त 10 दिनों का प्रशिक्षण शामिल है।
ये प्रशिक्षण एक पैकेज के रूप में (ड्रोन की आपूर्ति के साथ) प्रदान किया जाएगा। यह प्रशिक्षण नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) के अनुमोदित रिमोट पायलट प्रशिक्षण संगठन (RPTO) में दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण में ड्रोन उड़ान, ड्रोन नियमों के प्रावधानों को समझना, पोषक तत्वों तथा कीटनाशकों के अनुप्रयोग के लिए SOPs, ड्रोन उड़ान अभ्यास और ड्रोन की छोटी-मोटी मरम्मत और रखरखाव शामिल होगा।
कृषि उद्देश्य के लिए इस प्रशिक्षण को एक टीम आयोजित करेगी जिसमें ड्रोन निर्माता, SAUs, KVKs, ICAR संस्थानों आदि जैसे केंद्रीय/राज्य संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल होंगे।
6.वित्तीय सहायता और ऋण प्रावधान: ड्रोन की खरीद के लिए DAY – NRLM के तहत पहचाने गए SHGs को वित्तीय सहायता और ऋण प्रदान किया जाएगा। - बड़ी उर्वरक कंपनियों (LFCs) द्वारा सुविधा: LFCs ड्रोन निर्माण कंपनियों और SHGs के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करेंगे। वे क्लस्टर लेवल फेडरेशन (CLF) के साथ समझौता ज्ञापन के माध्यम से ड्रोन खरीदेंगे और SHGs को स्वामित्व हस्तांतरित करेंगे।
- ड्रोन आपूर्तिकर्ता कंपनियों के साथ सहयोग: प्रमुख उर्वरक कंपनियां मरम्मत और रखरखाव सेवाओं के लिए ड्रोन आपूर्तिकर्ता कंपनियों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेंगी।
- नैनो उर्वरकों को बढ़ावा: बड़ी उर्वरक कंपनियों (LFCs) SHGs के साथ ड्रोन द्वारा नैनो उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देगा।
आगे की राह:
ड्रोन प्रौद्योगिकी के भविष्य की संभावनाएं विशाल और आशाजनक हैं, खासकर कृषि, बुनियादी ढांचे, लॉजिस्टिक्स और सार्वजनिक सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में। कृषि के अलावा, ड्रोन पशुधन निगरानी, आपदा प्रतिक्रिया एवं राहत, चिकित्सा आपूर्ति वितरण विशेष रूप से दूरदराज या दुर्गम क्षेत्रों, वन क्षेत्र, वन्यजीव आवास तथा जल निकायों की निगरानी, जैव विविधता संरक्षण और इकोसिस्टम प्रबंधन में मददगार के रूप में उपयोगी हो सकते हैं। ड्रोन तकनीक को अपनाकर और विभिन्न कार्यों में इसका लाभ उठाकर, ग्रामीण भारत में महिलाएं अपनी आजीविका बढ़ा सकती हैं, सामुदायिक विकास में योगदान दे सकती हैं और अपने क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास में अधिक सक्रिय रूप से भाग ले सकती हैं। महिलाओं को अपने और अपने समुदायों के लाभ के लिए ड्रोन की पूरी क्षमता का उपयोग करने में सक्षम बनाने के लिए प्रशिक्षण, संसाधनों और सहायक नीतियों तक पहुंच महत्वपूर्ण होगी।