पटना 19 मार्च 2024
सीतामढ़ी में अब अयोध्या की तरह ही एक नए भव्य मंदिर का होगा निर्माण ,सरकार अधिग्रहण करेगी 50 एकड़ जमीन
बिहार के सीतामढ़ी में जल्द ही माता सीता के भव्य मंदिर का निर्माण किया जायेगा। बताते चलें कि अयोध्या में श्री राम मंदिर के के नियमन और प्राण प्रतिष्ठा के बाद से ही बिहार के सीतामढ़ी जिले के पुनौरा धाम में सीता माता की भव्य मंदिर के निर्माण की मांग की जा रही थी।सीतामढ़ी स्थित पुनौरा धाम को को माता सीता की जन्मस्थली के रूप में जाना जाता है। माना जाता है कि माता सीता का जन्म इसी जगह पर हुआ था. सीतामढ़ी विशेष रूप से रामायण सर्किट का हिस्सा है. ये रामायण में वर्णित एक दर्जन से ज्यादा महत्वपूर्ण जगहों का केंद्र माना जाता है और श्रद्धालुओं के लिए तीर्थस्थल माना जाता है. इस जगह को केंद्र द्वारा धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए चिह्नित किया गया है।

पिछले कई वर्षों से इस क्षेत्र को धार्मिक तीर्थ एवं पर्यटक स्थल के तौर पर विकसित करने की मांग की जा रही थी।
बताते चलें कि सरकार उत्तर बिहार के सीतामढ़ी जिले में सीता माता के मंदिर परिसर से सटे इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए मौजूदा मंदिर के आसपास 50 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने का फैसला किया है। यह फैसला शुक्रवार को बिहार कैबिनेट की बैठक में लिया गया है। बताते चलें कि इससे पहले राज्य सरकार ने मौजूदा मंदिर परिसर के आसपास के क्षेत्र के पुनर्विकास के लिए 16.63 एकड़ जमीन अधिग्रहित की थी. अब 50 एकड़ जमीन और अधिग्रहण की मंजूरी दी है।
हालाँकि अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी पूर्व एमएलसी व बीजेपी नेता कामेश्वर चौपाल ने कहा ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि सीतामढ़ी में एक मंदिर है जो करीबन 100 साल पहले बनाया गया था, लेकिन यह अच्छी स्थिति में नहीं है।उन्होंने कहा कि सीता माता के मंदिर का निर्माण राम मंदिर की तर्ज पर ही एक सार्वजनिक ट्रस्ट के जरिए जुटाए गए पैसों से किया जाएगा।उन्होंने कहा कि सीता के लिए सीतामढ़ी वही है जो राम के लिए अयोध्या है। यह हिंदुओं के लिए पवित्र जगह है। दुनिया भर से लोग अब अयोध्या में राम मंदिर में पूजा करने आएंगे और सीता की जन्मस्थली भी देखना चाहेंगे। हमारा तर्क यह है कि सीता के लिए उनके कद के अनुरूप एक भव्य मंदिर, सीतामढ़ी जिले में बनाया जाना चाहिए ,
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रधान सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने इस बारे में बात करते हुए कहा कि “सरकार मंदिर नहीं बना सकती, लेकिन राज्य में यह मांग उठती रही है कि यहां एक भव्य मंदिर बनाया जाना चाहिए। सरकार इसे संभव बनाने के लिए भूमि का अधिग्रहण कर रही है।आगे इन्होने कहा कि ” जब मंदिर बनेगा, तो क्षेत्र को बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों की सेवा करने की जरूरत होगी। होटल और सार्वजनिक सुविधाएं जैसी मूल सुविधाएं उपलब्ध कराने की जरूरत होगी। भूमि अधिग्रहण का निर्णय क्षेत्र में भविष्य के विकास की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। हम राम मंदिर के निर्माण के बाद इस स्थान में अधिक रुचि देख रहे हैं। इसमें तिरूपति जैसी साइट विकसित करने की क्षमता है, और हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उस तरह के विकास के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध हो।”
बिहार सरकार ने क्षेत्र में एक पुनर्विकास परियोजना को मंजूरी दी थी और इस साल की शुरुआत में इसके लिए 72 करोड़ रुपये मंजूर किए थे।