पटना 13 जून 2024

बुधवार को बिहार जद(यू0) के प्रदेश प्रवक्ता हिमराज राम एवं अंजुम आरा ने संयुक्त रूप से संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर राजद पर जोरदार हमला बोला। प्रवक्ताओं ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और राज्यसभा सांसद मनोज झा के बयान को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि 2004 की यूपीए सरकार में जब राजद निर्णायक भूमिका में थी तब तेजस्वी यादव के पिता लालू प्रसाद यादव ने कभी बिहार के हितों की चिंता नहीं की। वर्ष 2004 में कांग्रेस को मात्र 145 सीटें मिली थी और राजद को 24 सीटें लिहाजा बिना राजद के सहयोग से यूपीए की सरकार चलाना मुश्किल था। इस सूरत-ए-हाल में राजद द्वारा विशेष दर्जे की मांग को इनकार करने का साहस कांग्रेस के पास नहीं था। साथ ही राजद जातीय जनगणना का भी दबाव यूपीए सरकार पर बना सकती थी। राजद को बिहार से 24 सीटें मिलने के बावजूद भी विशेष दर्जा की मांग को ठंडे बस्ते में डालकर लालू प्रसाद यादव गृह मंत्रालय के मांग पर अड़े रहें।

प्रवक्ताओं ने कहा कि यूपीए-1 में बिहार से 12 मंत्री केन्द्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा थे। इतने सशक्त और निर्णायक भूमिका होने के बाद भी बिहार के सरोकारों से जुड़े विषयों पर जोरदार तरीके से आवाज नहीं उठाया गया। यूपीए की तत्कालीन सरकार में लालू प्रसाद यादव आई0आर0सी0टी0सी0 की विशेष सहायता प्राप्त कर अपने नाबालिक बेटों को करोड़पति बनाने में व्यस्त थे। जद(यू0) प्रवक्ताओं ने राजद को घमंडी पार्टी करार दिया और कहा कि वर्ष 2008 में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान लालू प्रसाद यादव ने यूपीए सरकार को गृह मंत्रालय के शर्त पर समर्थन दिया था। जबकि उन्हें विशेष राज्य के दर्जे की मांग करनी चाहिए थी लेकिन उन्हें सिर्फ अपना निजी स्वार्थ नजर आ रहा था। इतना ही नहीं जब लेफ्ट फ्रंट ने यूपीए सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था उसके बाद यूपीए सरकार बड़ी मुश्किल से निर्दलीय सांसदों की मदद से बच पाई थी। उस समय अगर राजद बिहार के लिए विशेष दर्जा मांगती तो यूपीए सरकार मना करने का हिम्मत नहीं करती।  

प्रवक्ताओं ने कहा कि 2004 और 2008 में गृह मंत्रालय नहीं मिलने पर वर्ष 2009 में लालू प्रसाद यादव ने मुलायम सिंह यादव के साथ चैथा फ्रंट बना लिया था। जिसमें गृह मंत्रालय की लालसा पाले लालू प्रसाद यादव को जनता ने मात्र 4 सीट देकर गृह यानि घर पर बैठा दिया। प्रवक्ताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने श्री तेजस्वी यादव को 2 बार राजनीतिक आॅक्सीजन देने का काम किया लेकिन वें लूट मचाने से बाज नहीं आयें। शराबबंदी वाले बिहार में उन्होंने शराब कंपनियों से करोड़ों रुपये का चन्दा लिया। अब लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त मिलने के बाद श्री तेजस्वी यादव फिर से नीतीश कुमार का राजनीतिक सहारा लेने के लिए व्याकुल हैं और नए-नए प्रपंच रच रहें हैं लेकिन इस बार उनकी दाल नहीं गलेगी। प्रवक्ताओं ने कहा कि हमारी पार्टी वर्ष 2005 से विशेष राज्य के दर्जा

की मांग कर रही है और हर तरह से हम प्रयासरत भी हैं। इस मुद्दे पर हमें राजद से किसी प्रकार का ज्ञान या सलाह की आवश्यकता नहीं है।

जद(यू0) प्रवक्ताओं ने राजद से कई सवाल पूछे: –

1) 24 सीट मिलने के बावजूद भी राजद ने बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा क्यों नहीं मांगा?

2) विशेष दर्जा के बजाए गृह मंत्रालय पर क्यों टिकी थी श्री लालू प्रसाद यादव की नजर?

3) राजद वाले सवाल उठाते हैं कि सीमांचल से मंत्री क्यों नहीं बनाया लेकिन जब राजद को मौका मिल तो उन्होंने हरियाणा के व्यक्ति को मंत्री क्यों बनाया?

4) 2004 के यूपीए सरकार में बिहार से कुल 12 मंत्री थे तब विशेष राज्य का दर्जा याद क्यों नहीं आया?

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