पटना, 15 जून, 2024
बिहार जद(यू0) के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने बयान जारी कर कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आपराधिक घटनाओं को एक जाति विशेष से जोड़कर पुनः अपनी घृणित मानसिकता का परिचय दिया है। यह बात सर्वस्वीकार्य है कि जातीय उन्माद की राजनीति राजद को हमेसा सूट करता रहा है लिहाजा लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद तेजस्वी यादव अब अपने पिता के नक्शेकदम पर चलकर समाज को बांटने में लगे हैं।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि लोकसभा चुनाव के नतीजों से यह स्पष्ट मालूम पड़ता है कि राजद का पारंपरिक वोट भी अब उससे दूर जा रहा है, राजद की राजनीतिक जमीन पूरी तरह से खिसक चुकी है। अखिर कब तक लालू परिवार छल और प्रपंच के सहारे जनता को बेवकूफ बनाने में सफल होता रहेगा, राजद की राजनीतिक कलई खुल चुकी है। तेजस्वी यादव के सामने अब अपनी पार्टी का अस्तित्व बचाने की चुनौती है इसलिए वें बौखलाहट और घबराहट में अनाप-शनाप बयान दे रहें हैं।
उमेश सिंह कुशवाहा ने आरोप लगाया कि तेजस्वी यादव ने सोची-समझी रणनीति के तहत चुनिंदा आपराधिक घटनाओं को जातीय रंग देने का काम किया है लेकिन वें शायद भूल गए हैं कि नब्बे के दशक वाले बिहार से नया वाला बिहार बिल्कुल अलग है। नए बिहार की होशियार जनता जातीय उन्माद की राजनीति को त्याग कर अब सर्वसमाज के उत्थान की राजनीति को प्राथमिकता देती है। तेजस्वी यादव को अपराध के विषय पर अपना जुबान खोलने से पहले अपने माता-पिता के कुशासन का काला इतिहास पढ़ लेना चाहिए।
उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि लालू-राबड़ी के शासनकाल में 118 से अधिक जातीय नरसंहार हुए थें और सैकड़ों बेगुनाहों की जान गई थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2005 में बिहार का बागडोर संभालते ही सबसे पहले जातीय नरसंहार पर पूर्ण विराम लगाया और बिहार में शांति-सद्भाव का वातावरण स्थापित किया।