पटना 04 अगस्त 2024
पटना के नरमा गाँव में स्थित श्री गोपी कृष्ण गौआश्रम वृद्ध एवं निराश्रित गौमाता की सेवा के लिए प्रसिद्ध है. यहाँ दूध देने वाली गायों को नहीं रखा जाता है. इस गौआश्रम में वृद्ध एवम् निराश्रित गौमाता की सेवा परिवार के सदस्यों से बढ़कर की जाती है. श्री गोपी कृष्ण गौआश्रम का उद्देश्य वृद्ध निराश्रित गौमाता की निःस्वार्थ सेवा के साथ ही गौमाता के प्रति जनजागरण भी प्रमुख उद्देश्य है। यहाँ पर सम्प्रति ईकतीश वृद्ध / निराश्रित गौ माता हैं. यहाँ वृद्ध निराश्रित गौमाता की सेवा में हर आधुनिक सुविधायें उपलब्ध है। नित्य सेवा से लेकर चिकित्सा तक सब कुछ अत्याधुनिक। मानक से परिपूर्ण पौष्टिक भोजन एवं स्वच्छता पर खास ध्यान रखा जाता है। आधुनिकता के साथ ही गौउपयुक्त वातावरण में गौमाता स्वछंद रूप से वास करती हैं। इन सभी गौमाता के बैठने एवं सोने के लिए अलग अलग गद्देदार कारपेट बिछा हुआ है. सभी गौमाता के ऊपर पांच फीट लंबा फौहारा लगा हुआ है जिससे ये स्नान करती हैं. ठण्ड के दिनों में इनके स्नान के लिए गर्म पानी की व्यवस्था रहती है. जाड़े के दिनो में गौआश्रम को हीटर से गर्म रखा जाता है. यहां प्रत्येक गौमाता पर दो पंखे लगे हुए हैं, एक पूंछ की ओर और दूसरा सर के ऊपर जिससे हवा गौमाता के पूरे शरीर पर लगे। गौमाता को प्रतिदिन संगीत भी सुनाया जाता है. गौमाता को मक्खी, मच्छर तंग नहीं करे इसके लिए पूरे गौआश्रम परिसर को महीन तार की जाली से घेर दिया गया है. गौ माता की देखभाल के लिए एवं सेवा के लिए पांच कर्मचारी है तथा दो पशु चिकित्सक भी प्रति एक/दो दिनों पर आकर इनकी जांच पड़ताल करते हैं.
गौआश्रम के गोपाल कृष्ण मोदी ने बताया कि यहाँ के समर्पित सेवा और परिवेश में मरनासन्न स्थिति में आई गौमाता भी स्वस्थ हृष्ट पुष्ट होकर दूध देने लग जाती हैं। यहाँ के परिवेश का प्रभाव तो आर्श्वजनक रूप से देखने को मिला है. जिन गौमाता को गौपालक मरनासन्न स्थिति जानकर छोड़ गए वो गौमाता समर्पित सेवा और चिकित्सा के प्रभाव से पुनः बछड़े को जन्म देने की स्थिति में आ गईं।
शहर के कोलाहल से दूर एकदम शांत स्वच्क्ष वातावरण में गौमाता का दर्शन करना, स्पर्श करना अत्यंत अलौकिक अनुभूति प्रदान करता है। स्वच्छन्द विचरन करती, गर्म-ठंडा झरणे में इठलाती स्नान करती गौमाता आनन्द से भर देती हैं साथ-साथ मधुर संगीतमय पर शान्त भाव से पगुराती गौमाता का दर्शन मन में असीम शांति का अनुभव कराती हैं।
एम पी जैन ने बताया कि गौमाता की सेवा में जनभागिता हो इसके लिए भी आश्रम के तरफ से कई क्रिया-कलाप एवं योजनायें संचालित की जाती हैं यथाः वर्ष में कई वार जनभागिता के साथ गौउत्सव मनाई जाती हैं जिसमें वृहत जन-समूह की सहभागिता होती है।
रोजगार सृजन :- आस-पास के ग्रामीण क्षेत्र में गौउत्पाद यथा गोबर से दिया, अगरबत्ती एवं उपला निमार्ण, संबंधित रोजगार सृजन कार्यक्रम चलाया जाता है। जिससे दो उद्देश्य पूर्ण होते हैं, एक ग्रामीण स्वरोजगार सृजन होता है और गौउत्पाद के प्रति जनजागृति उत्पन्न होती है। आश्रम निर्मित उपले (गौकाष्ठ) संस्कार एवं सामाजिक धार्मिक अनुष्ठान में हेतु उपलब्ध करवाये जाते हैं।
गौसेवा में जनसाधारण का जुड़ाव:-
गौसेवा में जनसाधारण भी जुड़ सके इसके लिए कई आकर्षक योजनायें जैसे : तुला दान, मासिक/वार्षिक भोजन दान, मासिक / वार्षिक रोटी दान के साथ ही घर बैठे गौसेवा में योगदान के लिए गौसेवा गुल्लक योजना सबसे जनप्रिय है।
अंत में –
॥ धर्मार्थकाममोक्षसिद्धिश्चतुर्णा पुरूषार्थानां गोतः एव सम्भवति ॥
अर्थात – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चारो पुरूषार्थों की सिद्धि गौ से ही सम्भव है।