पटना , 20 अक्टूबर 2022

ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसा रोग है, जिसमें अस्थियाँ दीमक लगी लकड़ी के समान खोखली और कमजोर हो जाती है। 25 वर्ष की आयु के पश्चात अस्थियाँ कमजोर होने लगती है। यदि किशोरावस्था से 25 वर्ष की आयु तक, जिस आयु में अस्थियों के घनत्व का गहरा और सर्वाधिक विकास होता है, खान-पान, व्यायाम और श्रम पर ध्यान नहीं दिया गया तो आगे चलकर अस्थि की समस्या और विकराल हो सकती है। शराब का सेवन, धूम्रपान, कौफ़ी आदि का सेवन अस्थियों के लिए अत्यंत ख़तरनाक है। इनसे अस्थियाँ बहुत कमजोर होती हैं।

यह बातें, गुरुवार को ‘विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस’ पर, बेउर स्थित पुनर्वास संस्थान इंडियन इंस्टिच्युट ऑफ हेल्थ एडुकेशन ऐंड रिसर्च में आयोजित समारोह और निःशुल्क स्वास्थ्य जाँच शिविर में मुख्य अतिथि के रूप में अपना विचार प्रकट करते हुए, सुप्रसिद्ध अस्थि रोग विशेषज्ञ डा अमूल्य कुमार सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि 30 – 35 वर्ष की आयु के पश्चात से अस्थियों में स्वतः कमजोरी आने लगती है और आयु के साथ-साथ उसकी गति भी बढ़ती जाती है। महिलाओं में मासिक रक्त-स्राव बंद होने के बाद यह क्रिया अधिक तेज़ी से बढ़ती है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में गिरावट का प्रतिशत 10 प्रतिशत अधिक होता है। स्तन, बच्चादानी और गर्भ-मुख के कैंसर से जितनी महिलाओं की मृत्य होती है, उतनी मृत्यु अकेले कूल्हे के टूटने के कारण से हो जाती है, जिसका प्रमुख कारण ऑस्टियोपोरोसिस है।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए, संस्थान के निदेशक-प्रमुख डा अनिल सुलभ ने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि शराब और नशा के जिन व्यसनों से अस्थियों को सर्वाधिक नुक़सान होता है, आज की युवा पीढ़ी उसका गंभीर रूप से शिकार बनती जा रही है। उन्होंने कहा कि विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस पर आज देश की युवा पीढ़ी को नशे से दूर रहने का संकल्प लेना चाहिए।
संस्थान के प्रबंध निदेशक आकाश कुमार, डा विकास कुमार सिंह, डा संगीता रंजना, डा नवनीत कुमार, आभास कुमार, प्रो संजीत कुमार, डा जया कुमारी, डा आदित्य कुमार ओझा, प्रो चंद्रआभा, प्रो मधुमाला, प्रो प्रिया कुमारी, प्रो प्रिंस कुमार आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन फ़िज़ियोथेरापी की वरिष्ठ छात्रा रक्षा भगत ने किया।
इस अवसर पर निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर का भी आयोजन किया गया, जिसमें अस्थि-रोग, नेत्र-रोग, वाक् एवं श्रवण-रोग एवं पैथोलौजिकल जाँच की विशेष व्यवस्था उपलब्ध करायी गई थी। शिविर में तीन सौ से अधिक मरीज़ों एवं छात्र-छात्राओं की निःशुल्क जाँच की गई। सूबेदार संजय कुमार, वरिष्ठ छात्रा सोना खान, कल्याणी कुमारी, मो शहाबुद्दीन, प्रिया कुमारी, मो फ़ैज़ आलम, रवि कुमार, रणजीत कुमार तथा नो जनैद समेत संस्थान के दर्जनो विशेषज्ञों, कर्मियों और छात्र-छात्राओं ने अपनी सेवाएँ दी।

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