मुंबई 18 अगस्त 2024

78वे स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर नालंदा थिएटर द्वारा मुंबई के वर्सोवा स्थित वेदा फैक्टरी में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कालजयी रचना ‘रश्मिरथी’ का भव्य नाट्य मंचन अत्यंत सफलता के साथ संपन्न हुआ। इस विशेष आयोजन का नेतृत्व नालंदा थिएटर के संस्थापक शक्ति कुमार और आयोजक विनायक त्रिपाठी ने किया, जिन्होंने दर्शकों को साहित्य और नाट्यकला का एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान किया।

इस नाट्य मंचन को और भी गरिमामयी बनाने के लिए कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इनमें प्रमुख थे प्रसिद्ध अभिनेता, लेखक और गायक पीयूष मिश्रा, वेटरन अभिनेता अखिलेन्द्र मिश्रा, वरिष्ठ क्रिटिक अजीत राय और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय एवं थिएटर जगत के अन्य कई प्रतिष्ठित कलाकार। इसके अलावा, फिल्म निर्माता श्री दिनेश गुप्ता (दिल्ली), डॉ. संयुक्ता थोरात, प्रमुख, ललित कला विभाग, नागपुर विश्वविद्यालय, और भी विशेष रूप से इस प्रस्तुति को देखने के लिए मुंबई से बाहर से पधारे थे। इनकी उपस्थिति ने इस आयोजन को एक ऐतिहासिक क्षण बना दिया।

कार्यक्रम की शुरुआत बेगूसराय, बिहार की सांस्कृतिक संस्था ‘सुरभि’ के द्वारा प्रस्तुत एकल नाटक “रश्मिरथी” नाटक से हुई। संस्था के संस्थापक हैं अजय कुमार भारती , और इस नाटक मंचन् की परिकल्पना एवं निर्देशन किया है हरीश हरिऔध ने।
संगीत निर्देशन- विष्णु देव भारती और गणेश गौरव ने किया है । प्रकाश परिकल्पना – संजय कुमार सोनू, जबकि पार्श्व संगीत दिया आशीष कुलकर्णी ने। वादक के रूप में सदा मुलिक ने अपने कौशल का प्रदर्शन किया। मंच व्यवस्था आशुतोष दुबे द्वारा की गई थी और मंच संचालन का कार्यभार जयंत गडेकर ने संभाला।

हरीश हरिऔध जी के दमदार निर्देशन और अद्वितीय अभिनय ने मंच पर हिंदी साहित्य के सभी रसों को जीवंत कर दिया, और दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी प्रस्तुति ने ऐसा वातावरण बनाया कि कोई भी दर्शक ऐसा नहीं था, जिसके चेहरे पर आनंद का भाव न हो और जिसने बार-बार तालियों की गड़गड़ाहट न की हो।

वेटरन अभिनेता अखिलेन्द्र मिश्रा जी ने नाटक पर अपनी विशेष टिप्पणी में कहा, ऋग्वेद से संवाद निकला है, यजुर्वेद से अभिनय, सामवेद से संगीत और अथर्ववेद से रस, और चारों का समागम हमने ‘रश्मिरथी’ की आज की प्रस्तुति के रूप में देखा। दरअसल, हम वेद देख रहे थे।” उनकी इस गहन टिप्पणी ने इस नाट्य प्रस्तुति की महानता को और भी ऊँचाई दी, इसे एक ऐतिहासिक और अविस्मरणीय क्षण बना दिया।

प्रख्यात कलाकार पीयूष मिश्रा जी, जिन्होंने दर्शक के रूप में इस नाटक का पूरे मन से आनंद लिया, ने कहा कि उन्होंने इस मंचन में पूरी तरह से डूबकर इसका लुत्फ उठाया। उनके अनुसार, यह अनुभव उनके जीवन का एक अविस्मरणीय हिस्सा रहेगा। अगर मैं अपने जीवन मे कुछ नाट्य मंचन को चुनिंदा बनाऊ तो उसमें हरीश का रश्मिरथी को अवश्य रखूंगा।उन्होंने कलाकारों और नालंदा थिएटर के उत्साह को बढ़ाते हुए ‘रश्मिरथी’ की और भी भव्य प्रस्तुतियाँ आयोजित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

इस सफल आयोजन ने नालंदा थिएटर की साहित्यिक प्रतिबद्धता और भारतीय संस्कृति के प्रति उनके समर्पण को पूरी तरह से प्रदर्शित किया। आयोजन के अंत में, संस्थापक शक्ति कुमार और विनायक त्रिपाठी ने मंच से घोषणा की कि ‘रश्मिरथी’ को संपूर्ण भारतवर्ष में मंचित करने का संकल्प लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि नालंदा थिएटर की योजना कला और सांस्कृतिक धरोहरों का संचयन कर उन्हें संरक्षित करने की है। भविष्य में नालंदा थिएटर द्वारा और भी उत्कृष्ट नाट्य प्रस्तुतियों की अपेक्षा की जा रही है।

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