पटना 30 सितम्बर 2024

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद् द्वारा पर्यावरण और जल परिषद (CEEW के सहयोग से आज अनवरत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली (CEMS) पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। यह कार्यक्रम USAID समर्थित क्लीनर एयर एंड बेटर हेल्थ परियोजना का हिस्सा था, जिसमें उद्योग विशेषज्ञ, नीति निर्माता और पर्यावरण विशेषज्ञों ने औद्योगिक उत्सर्जन की निगरानी, अनुपालन सुनिश्चित करने और बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों के लिए वायु गुणवत्ता को बढ़ाने में CEMS की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की गई।

इस कार्यशाला का उद्घाटन माननीय मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्त्तन विभाग डॉ. प्रेम कुमार द्वारा किया गया। अपने सम्बोधन में उन्होने औद्योगिक उत्सर्जन से प्रभावित समुदायों के स्वास्थ्य परिणामों को सुधारने के लिए रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम की आवश्यकता पर जोर दिया। डॉ. कुमार ने कहा कि बिहार तेजी से औद्योगिकीकरण को ओर बढ़ रहा है जहां चीनी, सिमेट, चमड़ा और वस्त्र जैसे क्षेत्र आर्थिक विकास को गति दे रहे हैं। हालांकि औद्यागिक प्रगति को पर्यावरण संरक्षण के साथ संतुलित करना आवश्यक है। अनवरत उत्जर्सन प्रबंधन प्रणाली ( CEMS) को अपनाने से उद्योगों को नियमों का पालन करने, प्रतिक्रियाओं को अनुकूलित करने और प्रदूषण को कम करने में मदद मिल सकती है। इस तकनीक को अपनाकर बिहार सतत् विकास हासिल कर सकता है और जिम्मेदार औद्योगिक प्रथाओं के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है।

कार्यशाला में इस बात पर जोर दिया गया कि CEMS तकनीक उद्योगों को प्रदूषक तत्वों जैसे कि पार्टिकुलेट मैटर(PM), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के बारे में रियल टाइम डाटा प्रदान करके पर्यावरण मानकों को पूरा करने में सहायता करती है। यह जानकारी विशेष रूप से अधिक प्रदूषण स्तर वाले क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर औद्योगिक उत्सर्जन के प्रभाव को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है।

डॉ देवेन्द्र कुमार शुक्ला, अध्यक्ष, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद् ने व्यापक पर्यावरण संरक्षण के लिए उत्सर्जन और अपशिष्ट जल निगरानी दोनों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वायु और जल प्रदूषण की वास्तविक समय डेटा प्रणालियों जैसे- CEMS के माध्यम से संबोधित करने से उद्योगों को नियमों का पालन करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य और प्राकृतिक संसाधनों पर उनके प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है।

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद् के सदस्य-सचिव एस.चन्द्रशेखर,भा.व.से., ने बेहतर अनुपालन सुनिश्चित करने और औद्योगिक प्रक्रियाओं को अनुकुलित करने में CEMS की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने प्रतिभागियों को आश्वस्त किया कि, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद् उद्योगों को CEMS के साथ बेहतर अनुपालन प्राप्त करने में मदद करने के लिए प्रतिबद्व है जिससे पर्यावरण संरक्षण और औद्योगिक दक्षता के लिए सहयोगी दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलेगा।

CEEW और राज्य पर्षद् के उद्योग विशेषज्ञ ने CEMS के संचालन तंत्र और तकनीकी प्रगति, राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय वायु गुणवत्ता नियमां के साथ CEMS की भूमिका, औद्योगिक उत्सर्जन में कमी और वायु गुणवत्ता में सुधार से जुड़े स्वास्थ्य लाभ और CEMS के कार्यान्वयन में डेटा प्रबंधन चुनौतियों और समाधानों पर प्रमुख विचार प्रस्तुत किए।

प्रतिभागियों ने सीमेंट, इस्पात और थर्मल पावर प्लांट जैसे उद्योगां में CEMS तैनाती के सफल उदाहरणों की जानकारी हासिल की जिससे इन उद्योगो को उत्सर्जन नियंत्रण और अनुपालन में हुए लाभों पर चर्चा की गयी। क्लीनर एयर और बेहतर स्वास्थ्य के लिए औद्योगिक उत्सर्जन निगरानी पर एक आगे की सोच वाली पैनल चर्चा में उद्योग, सरकार और पर्यावरण संगठनों के प्रमुख हस्तियों ने यह चर्चा की कि CEMS खराब वायु गुणवत्ता से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने के प्रयासों को कैसे बदल सकता है। प्रतिभागियों ने CEMS उपकरण के अंशांकन, संचालन और रखरखाव पर तकनीक विशेषज्ञों द्वारा निर्देशित एक व्यहारिक सत्र में भी भाग लिया।

USAID की पर्यावरण अधिकारी लैया डोमेनच ने कहा कि क्लीनर एयर बेटर हेल्थ पहल का उद्देश्य CEMS जैसी उन्नत तकनीकों को एकीकृत करके वायु प्रदूषण का शमन करना है। यह कार्यशाला दिखाती है कि नियामक निकायों, उद्योगों और प्रौद्यागिकी प्रदाताओं के बीच सहयोग से वायु गुणवत्ता में सतत सुधार कैसे हो सकता है, जबकि पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य दोनों की रक्षा हो सकती है।

CEMS के वरिष्ट कार्यक्रम लीड, अभिषेक कर ने जोर देकर कहा कि ‘‘जैसे-जैसे बिहार औद्यौकीकरण तेजी से हो रहा है, औद्योगिक प्रदूषण प्रबंधन एक महत्वपूर्ण चुनौतियाँ बनी हुई है। निरतर निगरानी प्रणाली ( CEMS) वास्तविक समय से औद्योगिक उत्जर्सन को ट्रैक और विनियममित करने के लिए एक परिवर्तनकारी उपकरण का प्रतिनिधित्व करती है। CEMS न केवल प्रदूषक स्तरों पर सटीक डेटा प्रदान करता है बल्कि निरंतर अनुपालन निगरानी को भी सक्षम बनाता है।

USAID की ‘क्लीनर एयर बेटर हेल्थ परियोजना’ (2021-2026) का उद्देश्य भारत में वायु प्रदूषण शमन प्रयासों को सुढृढ़ करना है जिसके तहत बेहतर वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए साक्ष्य आधारित मॉडल स्थापित किए जा रहे हैं। यह परियोजना CEEW की द्वारा एक कंसोर्टियम के साथ साझेदारी में लागू की जा रही है जिसमे का सोशल इम्पैक्ट एडवाइजर्स, इनवायरमेंटल डिजाइन साल्यूशन, एनवायर लीगल डिफेंस फर्म और वाइटल स्ट्रेटेजीज जैसे साझेदार शामिल हैं। इस कार्यशाला में चीनी, सीमेंट, थर्मल पावर प्लांट और अन्य के प्रतिनिधियो ने भाग लिया।

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