पटना 10 दिसंबर 2024
बिहार विद्यापीठ-देशरत्न राजेन्द्र प्रसाद शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर क्षेत्रीय भाषा के उन्नयन हेतु क्षेत्रीय भाषा उत्सव मनाया गया।
इस अवसर पर बिहार विद्यापीठ के अध्यक्ष विजय प्रकाश भा प्र से सेनि ने मानव अधिकार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से अवगत कराते हुए मानव अधिकार की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत में पूर्व से ही लागू था।मानव के वव्यैक्तिक स्वतंत्रता के अधिकारों,शोषण के विरुद्ध अधिकारों, शिक्षा संस्कृति के अधिकारो की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गर्भस्थ शिशु के भी नोशनल अधिकार होता है।जीवन जीने, स्वतंत्रता और सम्पूर्ण व्यक्तित्व के विकास के साथ खुशहाली की प्राप्ति मानव के अधिकार का अंतिम लक्ष्य है।
इस अवसर पर बिहार विद्यापीठ के निदेशक, शिक्षा संस्कृति एवं संग्रहालय डॉ मृदुला प्रकाश ने कहा कि कर्तव्य करने से मानव अपना अधिकार स्वत: प्राप्त कर लेता है। इसलिए उन्होंने ने अधिकार के साथ साथ कर्तव्य करने पर बल दिया।
आगत अतिथियों का स्वागत बी॰एड॰ प्रथम वर्ष के प्रशिक्षु ट्विकंल और रोशनी द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत छठ गीत प्रस्तुति सह गायन (कांच ही कांच के बंहगिया) से हुआ, सोहर गीत (हे ललना, हिन्द के सितारा) नृत्य, (लाडली सुमरो), मिथिला गीत (कुण्डल सोहे कनवा) पंजाबी नृत्य (लाँग लाची), कजरी नृत्य (कैसे खेले जइबु), भोजपुरी गीत (कहे तोसे सजना), कवाली (भर दे झोली), हरियाणवी नृत्य (गज का घूँघट), की प्रस्तुति महाविद्यालय के बी॰एड॰ डी॰एल॰एड॰ प्रथम वर्ष प्रशिक्षुओं द्वारा किया गया। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य, चन्द्रकांत आर्य द्वारा किया गया। सम्पूर्ण कार्यक्रम का समन्वयन भाषा सहायक प्राध्यापिका मंजरी चौधरी एवं डॉ रीना चौधरी ने किया। सहायक मंत्री, अवधेश के. नारायण ने क्षेत्रीय भाषा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कार्यक्रम की समीक्षा की।
उन्होंने कहा कि मातृ भाषा में सिखना-सीखाना सहज ग्राह्य होता है। इसलिए मातृभाषा को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इस कार्यक्रम में बिहार विद्यापीठ के सचिव, डॉ राणा अवधेश, निदेशक, डॉ नीरज सिन्हा, एवं महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक उपस्थित रहे। कार्यक्रम के समापन के पश्चात विश्व मानवाधिकार दिवस के लिए मानव श्रृंखला बनाते हुए मानवाधिकार आधारित नारे लगाये गये, जुलूस निकाले गये और शपथ लिया गया। कार्यक्रम के अंत में बिहार विद्यापीठ के माननीय सदस्य डॉ चितरंजन प्रसाद सिन्हा के निधन पर एक शोक सभा आयोजित की गयी।