पटना 22 जुलाई 2024
जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का वीर शासन जयंती” पटना सहित अन्य जगहों पर भक्तिमय वातावरण में मनाया गया। इस मौके पर कामलदह स्थित दिगम्बर जैन मंदिर में भगवान महावीर का अभिषेक, शांतिधारा एवं पूजन किया। मौके पर बिहार स्टेट दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र के मानद मंत्री पराग जी जैन ने बताया कि वैशाख शुक्ल दशमी को ऋजुकुला नदी के तट पर 12 वर्ष 05 माह 15 दिन की कठोर तपस्या के पश्चात् भगवान महावीर को केवलज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
यही वह जगह है जहाँ तीर्थंकर भगवान महावीर ने केवल ज्ञान के बाद प्रथम वाणी खिरी थी तथा “जिओ और जीने दो” का अमर सन्देश पुरे विश्व को दिया था। जैन शास्त्रों के अनुसार केवलज्ञान प्राप्ति के बाद भी भगवान महावीर की बोली नही खुली थी। ऐसे 66 दिन बीत गये थे । तब गणधर इंद्रभूति गौतम महावीर प्रभु के समवशरण मे अपने 500 शिष्यों सहित पधारे और वहां समवशरण की अद्भुत रचना एव मानस्तंभ को देखते ही उनका मान गलित हो गया। उसी समय गौतम गणधर ने जैनेश्वरी दीक्षा धारण की तथा अनेक प्रकार से महावीर स्वामी की स्तुति की । वह दिन आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा का दिन था, जिसे जैन धर्म में गुरु पूर्णिमा रूप में मनाई जाती है । गौतम स्वामी 500 शिष्यों के साथ भगवान महावीर से दीक्षा ली तथा प्रथम गणधर भी कहलाये तत्पश्चात् भगवान महावीर की वाणी खुलने लगी। भगवान ने प्रातःकाल के समय अभिजित नक्षत्र में शासन परम्परा चलाने के लिए उपदेश दिया और चतुर्विध संघ की स्थापना की।
इस घटना को धर्मचक्र परिवर्तन के रूप में भी जाना जाता है और इसी दिन से भगवान महावीर का शासन शुरू हुआ। इसी दिन की याद में हम आज भी वीर शासन जयंती मनाते आ रहे है । यह आज के जैन समाज का सौभाग्य है कि वीर प्रभु महावीर के शासन में जीवन यापन कर रहे है। भगवान महावीर ने इसी दिन सम्यक दृष्टि अथार्त कल्याण पथ प्रगट किया । इसलिए यह दिन ‘वीर शासन जयंती’ के नाम से प्रसिद्ध हो गया। आज भी राजगीर के विपुलाचल पर्वत पर स्थित भगवान महावीर की लाल पाषाण से निर्मित चौमुखी प्रतिमा तीर्थ यात्रियों को आकर्षित करती है । इस शुभ अवसर पर चातुर्मुखी प्रतिमा का मस्तकाभिषेक कर जैन धर्मावलंबियों ने देवशास्त्र गुरु की पूजा, चौबीसी पूजा, निर्वाण क्षेत्र पूजा, एवं वीरशासन जयंती की पूजा करके मंगल आरती किया तथा क्षमा प्रार्थना कर कार्यक्रम का समापन किया । संध्या समय धर्मशाला मन्दिर में मंगल आरती तथा संध्या भजन का आयोजन हुआ ।एम पी जैन ने बताया कि इस कार्यक्रम में पटना, आरा, कलकत्ता, मध्यप्रदेश से आये तीर्थ यात्री तथा दिगम्बर जैन कोठी के पदाधिकारियों समेत स्थानीय जैन समाज काफी अधिक संख्या में उपस्थित हुए ।