पटना 30 जुलाई 2024
मंगलवार को बिहार विद्यापीठ के देशरत्न राजेन्द्र प्रसाद शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय की 7वीं स्थापना दिवस समारोह का आयोजन हर्षोल्लास पूर्वक देशरत्न सभागार में किया गया। समारोह में रंगा रंग कार्यक्रम की भव्य प्रस्तुति प्रशिक्षुओं द्वारा किया गया। इसके अतिरिक्त महाविद्यालय एवं बिहार विद्यापीठ के विद्वान पदाकारियों एवं शिक्षाविदों ने अपना हृयोदगार व्यक्त किया।
इस स्थापना दिवस समारोह की अध्यक्षता श्री विजय प्रकाश भा.प्र.से.(से.नि.) अध्यक्ष बिहार विद्यापीठ द्वारा की गई। अपने अध्यक्षीय भाषण में विजय प्रकाश ने बिहार विद्यापीठ की स्थापना की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से अवगत कराने के साथ साथ महाविद्यालय की स्थापना एवं उपयोगिता पर प्रकाश डाला। अपने भाषण में उन्होंने कहा कि शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय से बिहार विद्यापीठ की शैक्षणिक मर्यादा का पुनरुथान हुआ है। महाविद्यालय में शिक्षण क्रिया कलाप प्रभावी ढंग से संचालित हो रहा है। यहाँ के प्रशिक्षुओं की उपलब्धियाँ भी लगातार उत्कृष्टतम रहा है।
उल्लेखनीय है कि बिहार विद्यापीठ में ब्रजकिशोर स्मारक भवन के उद्घाटन समारोह में लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने देश को आत्मनिर्भर बनाने में कौशल आधारित शिक्षा व्यवस्था को बल दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि केवल प्रमाण पत्र प्रदान करने वाली शैक्षणिक संस्थानों से काम नहीं चलेगा बल्कि परम्परागत कौशलों और प्रौद्योगिकी की शिक्षा दी जाए ताकि लोग नौकरी नहीं खोजें बल्कि स्वरोजगार और उद्यमिता में संलग्न हो सकें। शिक्षा महाविद्यालय यदि कुशल शिक्षक का निर्माण करेगा तो राष्ट्र का शैक्षिक पुनर्निर्माण संभव होगा। इसी महती लक्ष्य को ध्यान में रखकर देशरत्न राजेन्द्र प्रसाद के नाम पर इस शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय की स्थापना वर्ष 2018 में की गई। उन्होंने महाविद्यालय की दिशा निर्धारित करते हुए कहा कि आज आवश्यकता है कि शिक्षकों को एआई आधारित शिक्षण टूल में प्रशिक्षित किया जाएगा।
डॉ मृदुला प्रकाश, निदेशक (शिक्षा संग्रहालय, एवं कला- संस्कृति) ने अपने उद्बोधन में कहा कि महाविद्यालय की स्थापना और सातवें वर्ष तक उत्तरोत्तर विकास की चुनौतियां का सामना प्रभावी ढंग से किया गया है । इस महाविद्यालय के संस्थापक सदस्यों, प्राध्यापकों,गैर शिक्षण कर्मियों के योगदान को सदैव याद किया जाएगा। चार वर्षीय बीएड पाठ्यक्रम के आने से आज महाविद्यालय के समक्ष एक नई चुनौती बनी हुई है।हम सभी को इस चुनौती का सामना करना है।
डॉ पूनम वर्मा प्राचार्य ने अतिथियों का स्वागत करते हुए महाविद्यालय की स्थापना के औचित्य,और विगत सात वर्षों की शैक्षिक एवं खेल कूद गतिविधियों की यात्रा का विवरण प्रस्तुत किया और उसके महत्वपूर्ण उपलब्धियों से अवगत कराया। उन्होंने जहां प्रशिक्षुओं की अकादमिक उपलब्धियां ने गौरव का अहसास कराया, वहीं सृजनात्मक गतिविधियां जैसे खेल कूद प्रतियोगिता, विषयगत प्रदर्शनियों यथा विज्ञान प्रदर्शनी,गणित उत्सव, सामाजिक प्रयोगशाला खान-पान एवं सांस्कृतिक मेला,लोक गीत ,लोक नृत्य,अरिपन एवं मिथिला पेंटिंग आदि ललित कलाओं में की गयी गतिविधियों से अवगत कराया |