पटना 29 अगस्त 2024

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा है कि लालू-राबड़ी के 15 साल के शासन काल की भयावहता की कहानी आपराधिक घटनाओं के आंकड़ों में छुपी है। गैर सरकारी आंकड़ों और मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक लालू यादव के शासन की शुरुआत से अंत तक में अपहरण के कांड की संख्या 6 हजार 494 हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भी कुल 35 डॉक्टरों का और 27 इंजीनियरों का अपहरण हुआ था। यह वह भयावह दौर था, जब माएं अपने बच्चों को स्कूल भेजने से डरती थीं। बाहर गए परिजन शाम होते लौट नहीं आते थे, तब तक पूरे परिवार में बेचौनी रहती थी।

श्री पांडेय ने कहा है कि राजद राज (लालू-राबड़ी) का अंत वर्ष 2005 में हुआ। करीब 15 साल के शासनकाल पर ध्यान देने की जगह अंत के कुछ वर्षों का आंकड़ा अपराध की भयावह कहानी कहने के लिए काफी हैं। बिहार में 2005 में 3 हजार 471 हत्याएं हुईं। 251 अपहरण की घटनाएं और 1 हजार 147 बलात्कार की घटनाएं रिपोर्ट की गईं। 2004 में बिहार में 3 हजार 948 लोगों की हत्या हुई थी। फिरौती के लिए 411 अपहरण और 1390 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए।

उन्होंने कहा है कि यह दौर राबड़ी देवी के मुख्यमंत्रित्व काल का था। लालू-राबड़ी शासनकाल में नक्सली हमले कई गुना बढ़ गए थे। राजद के कई नेताओं के नक्सलियों से गहरे संबंध थे। वोट के लिए नक्सली नेताओं को साधने की कसरत चलती रही। 2005 में नक्सलियों की ओर से 203 हिंसक वारदातों को अंजाम दिया गया था।अउन्होंने कहा कि इसी प्रकार 2003 के आंकड़े कहते हैं कि इस साल 3 हजार 652 लोगों की हत्या की गई और 1956 रिकार्ड अपहरण की घटनाएं हुई। इनमें 1360 अपहृतों को फिरौती की मोटी रकम लेकर छोड़ा गया था। तब यह भी कहा जाता था कि सत्ता शीर्ष के हस्तक्षेप से अपहृतों के परिजनों से फिरौती की रकम तय की जाती थी।

श्री पांडेय ने कहा कि 5 अगस्त 1997 को एक याचिका पर सुनवाई के दौरान पटना हाईकोर्ट ने पहली बार बिहार सरकार के शासन को जंगलराज कहा था। बिहार में 1990-2005 के दौरान लालू यादव-राबड़ी देवी का शासन था। उनके ही शासन को जंगलराज कहा गया। उस दौर में अपराध के बढ़ते ग्राफ और बाहुबलियों के दबदबे के कारण हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की थी। कोर्ट का साफ मानना था कि बिहार में सरकार नहीं है, बिहार में जंगलराज कायम हो गया है।

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