पटना 8 सितम्बर 2024
मित्तल परिवार द्वारा भागवत कथा का आयोजन दादी मंदिर में प्रारम्भ करवाया गया। मुख्य यजमान सुशील मित्तल एवं तारा देवी मित्तल ने व्यास गद्दी एवं व्यास गद्दी पर बैठे आचार्य चंद्रभूषण मिश्र की पूजा की। मौके पर मित्तल परिवार के सुंदर लाल एवं अलका मित्तल, पंकज मित्तल, कुसुम मित्तल, प्रमोद मित्तल एवं नीलम मित्तल, अमित एवं जय मित्तल ने भी इसमें भाग लिया। कथा वाचक आचार्य चंद्रभूषण जी ने कथा का प्रारंभ करते हुए बताया कि आज ऋषि पंचमी है। यह बहुत हीं शुभ दिन है। इसमें गाय के दूध का प्रयोग नही करते भैंस के दूध का प्रयोग होता है। आज से ही दिगम्बर जैन का दस दिवसीय महापर्व पर्युषण पर्व भी प्रारंभ हुआ है।
आचार्य श्री ने बताया कि भागवत प्रदूषण दूर करने का ग्रंथ है। राम जी का वन गमन वह प्रदूषण की सुरक्षा ही है। पूजा पाठ की शुरुआत ही प्रदूषण को ठीक करने के लिए हुआ है। इसमें शंख वादन, हवन यह सब हमारे वातावरण को स्वच्छ करते हैं और हवा में फैले हुए जो कीटाणु होते है उसको दूर करते हैं। कितना से कितना बड़ा कीटाणु हो लेकिन वहां थोड़ी देर अगर हवन करवा दिया जाए तो वहां के कीटाणु दूर हो जाते हैं। इसलिए श्रीराम शर्मा जी ने जब ब्रह्म वर्चस्व बनाया था तो वह केवल इसलिए था कि हम मंत्र से अपने को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं। आज के विज्ञान ने भी माना है कि स्नान के बाद शरीर की बैक्टीरिया और स्नान के पहले के शरीर की बैक्टीरिया तथा जप करने के बाद शरीर की बैक्टीरिया और जप करने के पहले के बैक्टीरिया में बहुत अंतर होता है। यही सब लेकर के विदेशों में अमेरिका लंदन सभी देश में हवन आदि को प्रदूषण निवारण के लिए सबसे श्रेष्ठ साधन बताया जा रहा है।
भागवत कथा का प्रारम्भ करते हुए शास्त्रोपासक आचार्य डॉ चंद्रभूषणजी मिश्र श्री ने कहा कि श्रीमदभागवत कलियुग में भगवान् की प्रसन्नता तथा पूर्वजों की सद्गति का एकमात्र साधन ग्रन्थ है. भागवतजी के एक-एक अक्षर में भगवान् श्रीकृष्ण स्वयं निवास करते हैं. आचार्यश्री ने कहा कि वर्तमान में हमें अपने बच्चे को अच्छे संस्कार देने की जरुरत है जो भागवत के माध्यम से ही दिया जा सकता है. आचार्यश्री ने कहा कि भागवत कथा सात दिनों में पूरा करने का विधान है, क्योंकि इन्ही सात दिनों, सोमवार से रविवार, में ही सभी की मृत्यु होती है. आचार्य श्री ने कहा कि वृन्दावन में राधा राधा जपने वाले बहुत हैं लेकिन समझते नहीं हैं. कहा कि व्यक्ति में तीन पीढ़ी का प्रभाव पड़ता है. आचार्यश्री ने कहा कि महाभारत में अभिमन्यु की मृत्यु के बाद उनकी माता अत्यधिक शोकाकुल हो गयी थी. जब अर्जुन अश्वथामा को मारने लगे तो द्रौपदी ने मना कर दिया. कहा की बेटे के मरने पर माता बहुत अधिक दुखी होती है अतः अश्वत्थामा को मत मारो.
आचार्यश्री ने कहा कि श्रीकृष्ण वराह रूप धारण कर जल में पड़ी हुई धरती को जल के ऊपर रखते हैं. इसी पृथ्वी पर श्रृष्टि का विस्तार हुआ. आचार्यश्री ने कहा कि वराह को हमलोग निकृष्ट मानते हैं लेकिन भागवत में इसे प्रेम का प्रतीक माना जाता है .
आचार्यश्री ने कहा कि भगवान की दो पत्नियां हैं एक श्रीदेवी एवं दूसरी भूदेवी. श्रीदेवी मतलब चल एवं भूदेवी मतलब अचल संपत्ति एवं सभी संपत्ति के मालिक हैं भगवान् श्रीकृष्ण. एम पी जैन ने बताया कि आज के कथा सुनने के लिए दादी मंदिर में मुख्य संस्थापक अमर अग्रवाल, ओम पोद्दार, सूर्य नारायण, अक्षय अग्रवाल, राज कुमार अग्रवाल, जय प्रकाश तोदी एवं कविता तोदी सहित सैकड़ों की संख्या में भक्तगण उपस्थित थे।