पटना 16 सितम्बर 2024
पर्युषण पर्व में आत्मा के दस स्वभाव पर कैसे विजय पाया जाए इसी को बताया जाता है। दस दिवसीय जैन पर्युषण पर्व के नवें दिन उत्तम आकिंचन्य धर्म की पूजा होती है.जैन आज श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर .मंदिर काँग्रेस मैदान, कदमकुआं सहित मीठापुर , मुरादपुर , गुलजारबाग आदि जैन मंदिरों में शान्ति धारा ,पूजा किया गया।
काँग्रेस मैदान, कदमकुआं जैन मंदिर में सात प्रतिमाधारी ब्रह्मचारिणी प्राची दीदी एवं तीन प्रतिमाधारी पूजा दीदी ने सैकड़ों की संख्या में उपस्थित जैन श्रावकों को मानव धर्म उत्तम आकिंचन्य धर्म की संगीतमय पूजा कराई। पूरे पूजा को अपने संगीत से पिरो रहें हैं फिरोजाबाद से पधारे मशहूर जैन संगीतकार शैंकी जैन एवं उनकी पार्टी तथा पूजा में सभी श्रावकों को सहयोग कर रहे हैं सागर से पधारे पुजारी पवन जैन . इस दसलक्षण पूजा में यहाँ इन्द्र इन्द्रानी के रूप में पूजा कर रहे हैं अजित जैन सरावगी एवं मंजू जैन.
ब्रह्मचारिणी प्राची दीदी ब्रह्मचारिणी प्राची दीदी ने बताया कि आकिंचन्य शब्द का अर्थ है जिसके पास कुछ भी न हो। खाली होने का नाम हीं आकिंचन्य है। जब कोइ यह समझ ले कि मै कुछ नहीं हूँ तो यह आकिंचन्य है. जब कोई साधक क्रोध, मान, माया, लोभ एवं पर-पदार्थों का त्याग आदि करते हैं और इनसे जब उनका किंचित भी संबंध, नहीं रहता तो उनकी यह अवस्था स्वाभाविक अवस्था कहलाती है। इसे ही ‘उत्तम आकिंचन्य धर्म’ कहा गया है।
जिस प्रकार पहाड़ की चोटी पर पहुंचने के लिए हमें भार रहित हल्का होना जरूरी होता है उसी प्रकार सिद्धालय की पवित्र ऊंचाइयां पाने के लिए हमें आकिंचन्य, अर्थात एकदम खाली होना आवश्यक है। उधर बिहार स्टेट दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमिटी के सचिव पराग जैन ने बताया कि सेठ सुदर्शन स्वामीजी की निर्वाण स्थली श्री कमलदहजी दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र, गुलजारबाग तथा राजगीर, पावापुर, कुंडलपुर, चम्पापुर आदि स्थानों पर भी काफी अधिक संख्या में श्रद्धालु दशलक्षण पर्व की पूजा अर्चना कर रहे हैं. एमपी जैन ने बताया कि मंगलवार को दशलक्षण पर्व के अंतिम दिन उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की पूजा की जायेगी.