पटना 24 सितम्बर 2024

बिहार विद्यापीठ देशरत्न राजेन्द्र प्रसाद शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय सदाकत आश्रम पटना द्वारा बी एड  पाठ्यक्रम सत्र 24-26 के प्रशिक्षुओं का परस्पर परिचय सम्मेलन का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर बिहार विद्यापीठ के अध्यक्ष विजय प्रकाश भा. प्र .से. (से.नि.) ने अपने अध्यक्षीय भाषण में बिहार विद्यापीठ की स्थापना काल से अब तक की ऐतिहासिक घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा  कि बिहार विद्यापीठ एक राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के रूप में वर्ष 1921 में असहयोग आंदोलन के दौरान स्थापित किया गया था।इस का मुख्य उद्देश्य था भारतीय शिक्षा पद्धति से शिक्षा प्रदान करना। साथ ही भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिए कार्य कर्ताओं को प्रशिक्षित करना। उन्होंने देशरत्न राजेन्द्र प्रसाद शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय की स्थापना के पीछे एक उत्तम श्रेणी के राष्ट्रवादी एवं सृजनवादी शिक्षक को प्रशिक्षित करना है ताकि देश का भाविष्य संवारा जा सके। उन्होंने ने वर्तमान समय सन्दर्भ में एक दक्ष शिक्षक को प्रशिक्षित करने के संबंध में कहा कि संचार प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बदलते अत्याधुनिक परिवेश में शिक्षा की आवश्यकता, और उसकी चुनौतियों के समाधान की योग्यता के परिप्रेक्ष्य में शिक्षकों को दक्ष होना होगा। ई शिक्षा का प्रचलन कोविड के कारण  हुआ। इसलिए शैक्षिक प्रौद्योगिकी को  सम्मुन्नत करने की जरूरत है। डॉ राणा अवधेश भा.प्र.से.(से.नि.), सचिव, बिहार विद्यापीठ ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षकों को नीचे पायदान पर देखा जाता है उसे बदलने की आवश्यकता है।

डॉ मृदुला प्रकाश, निदेशक, (शिक्षा संस्कृति एवं संग्रहालय) ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षकों की भूमिका सेवा भाव से परिपूर्ण होना चाहिए। एक शिक्षक के आदर्श गुणों और उसके व्यावहारिक पक्षों पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि शिक्षकों को नैतिकता पर अत्यधिक बल देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सभी प्रशिक्षुओं को कम्प्यूटर एप्लीकेशन में दक्ष होना अनिवार्य है। इसके लिए महाविद्यालय में कम्प्यूटर शिक्षा की व्यवस्था है।

अवधेश के नारायण, सहायक सचिव, बिहार विद्यापीठ ने अपने संबोधन में कहा कि बीएड पाठ्यक्रम के दो वर्षों के दौरान प्रशिक्षुओं को शिक्षा क्या है शिक्षा क्यों जरूरी है तथा शिक्षा कैसे प्रदान की जाए तथा शिक्षक क्या है शिक्षक क्यों जरूरी है तथा एक योग्य शिक्षक कैसे बना जाएं शिक्षकों को सदैव चिन्तन करने की आवश्यकता है। उन्होंने ने बल देते हुए कहा कि प्रशिक्षण के तीन महत्वपूर्ण नियामक है पहला ज्ञान की प्राप्ति दूसरा कौशल की प्राप्ति तथा तीसरा अभिवृति में बदलाव लाना। यही इस प्रशिक्षण पाठ्यकर्म का प्रतिफल है।

ए आई सी के सीओओ प्रमोद कुमार कर्ण ने अपने संबोधन में कहा कि आज के बदलते परिवेश में शिक्षकों को प्रतियोगी होना चाहिए। प्रशिक्षुओं को आमंत्रित करते हुए कहा कि वे एआईसी से लाभान्वित हों। डॉ पूनम वर्मा प्राचार्य ने आगत अतिथियों एवं प्रशिक्षुओं का स्वागत करते हुए महाविद्यालय के नियमन, अनुशासन एवं पाठ्यक्रम से अवगत कराया।

बिहार विद्यापीठ के क्रिया कलापों से अवगत कराते हुए महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापकों मिताली मित्रा (क्रिड़ा) डॉ प्रतिमा कुमारी, (अर्थशास्त्र) रीम्पल कुमारी, (इतिहास) रजनी रंजन , मंजरी चौधरी (अंग्रेजी)(मनोविज्ञान)चन्द्रकान्त आर्य, (फाउण्डेशन) कमलेश कुमार, (भूगोल) सुधीर पाठक (गणित)डॉशादमा शाहिन (वनस्पति विज्ञान) विकाश कुमार (विज्ञान) विनीता कुमारी, कार्यालय सहायक,अजय चौधरी, लेखापाल स्वाति कुमारी, सहायक पुस्तकालयाध्यक्ष, उर्मिला कुमारी,सहायक मंत्री  (संस्कृति)सह संग्रहालयाध्यक्ष, संट्टू, माली, गिरजा, बविता, ने परस्पर परिचय किया। बिहार विद्यापीठ के  वित्त मंत्री विवेक रंजन,में शोध के निदेशक डॉ वाइ एल दास हैं। डॉ नीरज सिन्हा निदेशक कौशल विकास । श्यामानन्द  चौधरी निदेशक सम्पदा एवं प्रशासन  ,संजय कुमार सिन्हा निदेशक,व्यावसायिक शिक्षा एवं मीडिया , कम्प्यूटर शिक्षा के प्रभारी राकेश कुमार सिन्हा, राकेश रमन  एवं स्वीटी कुमारी कार्यालय सहायक, मो गुफरान अहमद,रोकड़पाल का परिचय  कराया गया। कार्यक्रम का संचालन चन्द्रकान्त आर्य ने किया तथा डॉ शादमा शाहिन ने  धन्यवाद ज्ञापित किया।

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