पटना 03 अक्टूबर 2024

श्री दशहरा कमिटी ट्रस्ट की और से आयोजित दस दिवसीय श्री रामलीला महोत्सव की शुरुआत नारद मोह भंग प्रसंग से हुई. इससे पहले कार्यक्रम का उद्घाटन बी एम डब्लू वेंचर्स के मालिक विजय किशोर पुरिया, दीघा विधायक संजीव चौरसिया, अध्यात्मिक सत्संग समिति के उपाध्यक्ष सुषमा अग्रवाल, श्री दशहरा कमिटी ट्रस्ट के अध्यक्ष अरुण कुमार, ट्रस्ट के चेयरमैन कमल नोपानी, रामलीला के संयोजक प्रिंस कुमार राजू, आशु गुप्ता, दशहरा कमिटी ट्रस्ट के संयोजक मुकेश नंदन, राजेश बजाज, आर्य नंदन और संजय वर्णवाल, सुषमा साहू ने मिलकर उद्घाटन किया।

नारद मोह भंग प्रसंग से रामलीला का उठा पर्दा : श्री रामलीला महोत्सव के पहले दिन के कार्यक्रम की शुरुआत भगवान गणेश और हनुमान जी पूजन के साथ हुई। पूजन के बाद वृन्दावन धाम से आई खजान दास की बृज राजेश्वरी लीला संस्थान की टीम ने मंचन किया। वृन्दावन धाम से आये खजान दास की टीम ने अपने अभिनय से प्रसंग को जीवंत कर दिया।

नारद मोह भंग में दिखाया गया कि नारद भगवान विष्णु के मित्र होते है। नारद को अहंकार हो जाता है कि मैंने काम और क्रोध दोनों को जीत लिया है. इसके बाद भगवान विष्णु ने नारद का अभिमान नष्ट करने के लिए विश्व मोहिनी स्वम्व्यर रचाया. स्व्मम्बर में विश्वमोहिनी को देख नारद जी मोहित हो गए. जिससे नारद जी का अहंकार नष्ट हो गया.

जिसके बाद नारद ने भगवान विष्णु को तीन श्राप दिया. पहला श्राप दिया कि तुम्हे मानव रूप धारण कर पृथ्वी पर आना पड़ेगा. और मनुष्य लीला करनी पड़ेगी. दूसरा श्राप यह दिया कि जिस तरह मैं विश्व मोहिनी के मोह में दुखी हुआ ठीक उसी तरह तुम भी दुखी होगे. तो वही तीसरा श्राप दिया कि जब आपति पड़ेगी उस समय कोई सहयोग नहीं करेगा. तुम्हे बन्दर ही सहायता करेगा.

रावण, कुम्भकरण और विभिषण का हुआ जन्म : नारद मोह भंग प्रसंग के दिन ही रावण, कुम्भकरण और विभीषण का जन्म हुआ. मंदोदरी से रावन का विवाह हुआ. इसके बाद रावन का लंका पर दिग्विजय प्राप्त हुआ.

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