पटना 20 अक्टूबर 2024
ऐसे देश में जहां आकाश आशा और आकांक्षा का प्रतीक है, वहां उड़ान भरने का सपना कई लोगों के लिए एक विलासिता बना हुआ है। यह सपना 21 अक्टूबर, 2016 को क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस) – उड़ान, या “उड़े देश का आम नागरिक” के शुभारंभ के साथ आकार लेना शुरू हुआ। नागर विमानन मंत्रालय की अगुवाई में, उड़ान का उद्देश्य भारत में ऐसे स्थानों जहां हवाई सेवा नहीं है और कम सेवा वाले हवाई अड्डों से क्षेत्रीय हवाई संपर्क को बढ़ाना है, जिससे आम लोगों के लिए हवाई यात्रा सस्ती हो सके। अपनी सातवीं वर्षगांठ मनाते हुए, उड़ान भारत सरकार की बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने की प्रतिबद्धता का प्रमाण है, विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में।
सपनो की उड़ान
उड़ान की कहानी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन में निहित है जिन्होंने राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति की घोषणा से पहले एक महत्वपूर्ण बैठक में हवाई यात्रा को सर्व सुलभ बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया था। उन्होंने सुविदित रूप से कहा था कि वे हवाई जहाज़ में चप्पल पहने लोगों को चढ़ते देखना चाहते हैं, यह एक ऐसी भावना थी जिसने अधिक समावेशी विमानन क्षेत्र के लिए एक विजन दिया। आम आदमी के सपनों के प्रति इस प्रतिबद्धता ने उड़ान की शुरूआत की।
पहली उड़ान 27 अप्रैल, 2017 को शिमला की शांत पहाड़ियों से भीड़-भाड़ वाले महानगर दिल्ली के लिए शुरू हुई। इस उद्घाटन उड़ान ने भारतीय विमानन में एक परिवर्तनकारी यात्रा की शुरुआत की जिसने अनगिनत नागरिकों की हवाई यात्रा के सपनों को साकार किया।
एक बाज़ार-संचालित विजन
उड़ान एक बाज़ार-संचालित मॉडल पर काम करता है, जहां एयरलाइनें विशेष मार्गों पर मांग का आकलन करती हैं और बोली के दौरान प्रस्ताव प्रस्तुत करती हैं। यह योजना एयरलाइनों को व्यवहार्यता अंतर निधि (वीजीएफ) और हवाईअड्डा संचालकों, केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न रियायतों के माध्यम से सहायता प्रदान करके वंचित क्षेत्रों को जोड़ने के लिए प्रोत्साहित करती है।
सहायता तंत्र
सरकार ने कम आकर्षक मार्गों पर उड़ानें संचालित करने के लिए एयरलाइनों को आकर्षित करने के लिए कई सहायक उपाय किए हैं:
- एयरपोर्ट ऑपरेटर: वे आरसीएस उड़ानों के लिए लैंडिंग और पार्किंग शुल्क माफ करते हैं, और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) इन उड़ानों पर टर्मिनल नेविगेशन लैंडिंग शुल्क (टीएनएलसी) नहीं लगाता है। इसके अलावा, रियायती मार्ग संचालन और सुविधा शुल्क (आरएनएफसी) लगता है।
- केंद्र सरकार: पहले तीन वर्षों के लिए, आरसीएस हवाई अड्डों पर खरीदे गए एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) पर उत्पाद शुल्क 2 प्रतिशत तक सीमित है। एयरलाइनों को अपनी पहुंच का विस्तार करने के लिए कोड-शेयरिंग समझौते करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है।
- राज्य सरकारें: राज्यों ने दस वर्षों के लिए एटीएफ पर वैट को एक प्रतिशत या उससे कम करने और सुरक्षा, अग्निशमन सेवाओं और उपयोगिता सेवाओं जैसी आवश्यक सेवाओं को कम दरों पर प्रदान करती हैं।
इस सहयोग तंत्र ने एक ऐसा माहौल तैयार किया है, जहां एयरलाइनें लंबे समय से उपेक्षित क्षेत्रों की सेवा करते हुए फल-फूल सकती हैं।
विमानन उद्योग को बढ़ावा
आरसीएस-उड़ान योजना ने भारत में नागरिक विमानन उद्योग को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पिछले सात वर्षों में, इसने कई नई और सफल एयरलाइनों के उद्भव को गति दी है। इस योजना से फ्लाईबिग, स्टार एयर, इंडियावन एयर और फ्लाई 91 जैसी क्षेत्रीय एयरलाइनों को लाभ हुआ है। इन एयरलाइनों ने सतत व्यवसाय मॉडल विकसित किए हैं और क्षेत्रीय हवाई यात्रा के लिए एक बढ़ते व्यवसाय में योगदान दिया है।
इस योजना के क्रमिक विस्तार से सभी आकारों के नए विमानों की मांग बढी है, जिससे आरसीएस मार्गों पर विमानों की संख्या में वृद्धि हुई है। इसमें एयरबस 320/321, बोइंग 737, एटीआर 42 और 72, डीएचसी क्यू400, ट्विन ओटर, एम्ब्रेयर 145 और 175, टेकनम पी2006टी, सेसना 208बी ग्रैंड कारवां ईएक्स, डोर्नियर 228, एयरबस एच130 और बेल 407 जैसे विविध विमान शामिल हैं। उल्लेखनीय रूप से, भारतीय विमान सेवा कंपनियों ने अगले 10-15 वर्षों में डिलीवरी के लिए 1,000 से अधिक विमानों के ऑर्डर दिए हैं, इससे लगभग 800 विमानों के मौजूदा बेड़े में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
पर्यटन को बढ़ावा
आरसीएस-उड़ान केवल टियर-2 और टियर-3 शहरों को अंतिम मील कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए ही समर्पित नहीं है; यह पर्यटन क्षेत्र में तीव्र विकास करने में भी सहायक है। उड़ान 3.0 जैसी पहलों ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में कई गंतव्यों को जोड़ने वाले पर्यटन मार्ग शुरू किए हैं जबकि उड़ान 5.1 का ध्यान पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटन, आतिथ्य और स्थानीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए हेलीकॉप्टर सेवाओं के विस्तार पर है।
खजुराहो, देवघर, अमृतसर और किशनगढ़ (अजमेर) जैसे महत्वपूर्ण गंतव्यों तक अब पहुंच अधिक सुलभ हैं। यह धार्मिक पर्यटन की मांग को पूरा करते हैं। इसके अलावा, पासीघाट, जायरो, होलोंगी और तेजू में हवाई अड्डों की शुरुआत ने पूर्वोत्तर के पर्यटन उद्योग को बढ़ावा दिया है। उल्लेखनीय है कि अगाती द्वीप से भी हवाई सेवा शुरू की गई है जिससे लक्षद्वीप में पर्यटन को बढ़ावा मिला है।
हवाई संपर्क को बढ़ावा
गुजरात के मुंद्रा से लेकर अरुणाचल प्रदेश के तेजू और हिमाचल प्रदेश के कुल्लू से लेकर तमिलनाडु के सलेम तक, आरसीएस-उड़ान ने देश भर के 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आपस में जोड़ा है। उड़ान के तहत कुल 86 हवाई अड्डे शुरू किए गए हैं, जिनमें पूर्वोत्तर क्षेत्र में दस हवाई अड्डे और दो हेलीपोर्ट शामिल हैं। दरभंगा, प्रयागराज, हुबली, बेलगाम और कन्नूर जैसे हवाई अड्डों से उड़ानों की संख्या में वृद्धि हुई है, तथा इन स्थानों से कई गैर-आरसीएस वाणिज्यिक उड़ानें भी संचालित हो रही हैं।
ऊंची उड़ान : उड़ान के तहत कुछ हवाई अड्डे
- दरभंगा हवाई अड्डा (सिविल एन्क्लेव): कभी यहां से हवाई सेवाएं बंद हो जाने के पश्चात दरभंगा ने 9 नवंबर, 2020 को दिल्ली से अपनी पहली उड़ान के आगमन का उत्सव मनाया। यह हवाई अड्डा अब उत्तर बिहार के 14 जिलों के लिए प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है जो दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और कोलकाता जैसे प्रमुख शहरों को जोड़ता है और यहां से वित्त वर्ष 2023-24 में 5 लाख से अधिक यात्रियों ने यात्रा की।
- झारसुगुड़ा हवाई अड्डा (एएआई हवाई अड्डा): द्वितीय विश्व युद्ध के समय जीर्ण-शीर्ण हवाई पट्टी झारसुगुड़ा से मार्च 2019 में हवाई सेवाएं प्रारंभ हुई। यह ओडिशा में दूसरा हवाई अड्डा है। यह अब इस क्षेत्र को दिल्ली, कोलकाता, बेंगलुरु और भुवनेश्वर से जोड़ता है। वित्त वर्ष 2023-24 में यहां से 2 लाख से अधिक लोगों ने यात्रा की।
- पिथौरागढ़ हवाई अड्डा: हिमालय में बसे इस हवाई अड्डे को 2018 में आरसीएस संचालन के लिए चुना गया था और यहां से जनवरी 2019 में हवाई सेवा शुरू हुई। वर्तमान में, यहां से देहरादून और पंतनगर के लिए हवाई सेवाएं उपलब्ध है। यह इसके रणनीतिक महत्व को दर्शाता है।
- तेजू हवाई अड्डा: अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध तेजू हवाई अड्डे से अगस्त 2021 में आरसीएस संचालन शुरू हुआ। यह गुवाहाटी, जोरहाट और डिब्रूगढ़ को जोड़ता है। यहां से वित्त वर्ष 2023-24 में लगभग 12,000 यात्रियों ने यात्रा की।
आम नागरिक के लिए बदलाव
उड़ान योजना के तहत भारतीय विमानन क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन आया है। हेलीकॉप्टर मार्गों सहित 601 मार्गों को प्रारंभ किया गया है जो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जोड़ते हैं। उल्लेखनीय है कि इनमें से लगभग 28 प्रतिशत मार्ग सबसे दूरस्थ स्थानों को आपस में जोड़ते हैं। इससे दुर्गम क्षेत्रों में पहुँच सुनिश्चित हुई है।
देश में चालू हवाई अड्डों की संख्या 2014 में 74 से बढ़कर 2024 में 157 हो गई है और 2047 तक इस संख्या को 350-400 तक बढ़ाने का लक्ष्य है। पिछले एक दशक में घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या दोगुनी से भी ज़्यादा हो गई है। भारतीय एयरलाइनों ने भी अपने बेड़े का काफ़ी विस्तार किया है। कुल 86 हवाई अड्डे शुरू किए गए हैं – जिनमें 71 हवाई अड्डे, 13 हेलीपोर्ट और 2 जल हवाई अड्डे शामिल हैं। ये 2.8 लाख से ज़्यादा उड़ानों में 1.44 करोड़ से ज़्यादा यात्रियों की यात्रा को सुविधाजनक बनाते हैं। अपनी शुरुआत से लेकर अब तक, फिक्स्ड-विंग संचालन ने कुल मिलाकर लगभग 112 करोड़ किलोमीटर की दूरी तय की है जो लगभग 28,000 बार दुनिया की परिक्रमा करने के बराबर है।
निष्कर्ष: समावेशिता का एक प्रमाण
उड़ान सिर्फ़ एक योजना नहीं है; यह एक आंदोलन है जिसका उद्देश्य हर भारतीय के लिए हवाई यात्रा को सुगम बनाना है। क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने और सस्ती हवाई यात्रा से अनगिनत नागरिकों की हवाई यात्रा की आकांक्षा पूरी हुई है। इससे आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को भी बढ़ावा मिला है। जैसे-जैसे उड़ान का विस्तार होगा, यह भारत के विमानन परिदृश्य को बदलने का वादा करती है। यह सुनिश्चित करती है कि आकाश वास्तव में सभी की सीमा में है। वंचित क्षेत्रों को जोड़ने और पर्यटन को बढ़ावा देने की अपनी निरंतर प्रतिबद्धता के साथ उड़ान योजना भारतीय विमानन क्षेत्र के लिए निर्णायक है जो भारत के परस्पर जुड़े क्षेत्रों और समृद्ध राष्ट्र के विजन में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।