पटना 23 अक्टूबर 2024
भारत सम्पूर्ण विश्व में कृषि प्रधान देश के रूप में विख्यात हैँ . लेकिन 10% लुटेरा वर्ग के मुल स्तम्भ कट्टर ब्राह्मण बादी आतंकबाद के पोषक – समर्थक – रक्षक आरएसएस द्वारा प्रशिक्षित – पोषित , समर्थित – नियंत्रित कट्टर ब्राह्मण – पूँजी – सामन्तबादी आतंकबादियों के गेंग राष्ट्रीय – क्षेत्रीय राज़नैतिक दलों , इनके प्रमुखों , नेताओं , इनके नेतत्त्व में बनने बाली प्रदेशों – केंद्र सरकारों की किसान बिरोधी नीति – नियत – नेतत्त्व के चलते छोटे – मझोले – भूमिहीन किसानों की स्थिति गणतंत्र के 75 बर्ष बाद भी बद से लाखगुना बदतर हैँ . दबा – खाद – बीज एवं कृषि उपकारणों के दाम आसमान पर होने एवं किसानों को अपनी फसलों का उचित मूल्य न मिलने के कारण आज के मौजूदा समय में छोटे – मझोले – भूमिहीन अन्नदाता किसान अपने बच्चों के उचित शिक्षा – चिकित्सा , रहन – सहन एवं उनकी बुनियादी जरूरतों को भी पूरा नहीं कर पा रहे हैँ .

किसानों के मूल जीवन के जुडी हुई मूलभूत बुनियादी समयाओं और जरूरतों को सुनने और उनका समाधान करने हेतु कोई भी सही और सार्थक बिकल्प मौजूद नहीं हैँ . जबकि जागरूक समाज़ दल जसद किसानों को 60% बिशेष छूट पर दबा – खाद , बीज – बिजली एवं कृषि उपकारण उपलब्ध कराने एवं किसान आयोग का गठन करने की केंद्र सरकार से राष्ट्रीय स्तर पर और प्रदेशों की सरकारों से प्रदेशों में गठित करने की अपने अटूट एवं बुलन्द शब्दों में माँग करता हैँ . उक्त बिचार आज जागरूक समाज़ दल जसद के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष क्रन्तिकारी गौरव सिंह ने छोटे – मझोले – भूमिहीन अन्नदाता किसानों के हितार्थ मीडिया को जारी प्रेस विज्ञप्ति में व्यक्त किये हैँ .

जागरूक समाज़ दल जसद के राष्ट्रीय अध्यक्ष क्रन्तिकारी गौरव सिंह द्वारा मीडिया को जारी प्रेस विज्ञप्ति में प्रदेशों एवं केंद्र सरकारों का ध्यान छोटे – मझोले – भूमिहीन अन्नदाता किसानों की तरफ एवं सरकारों के कर्तव्य – जुम्मेदारी के प्रति आकर्षित करते हुए कहा हैँ कि भारत का अन्नदाता किसान देश की अर्थव्यवस्था मजबूत करने में अपनी प्रमुख भूमिका निभाता हैँ और देश के 140 करोड़ नागरिकों को जिन्दा रहने हेतु खाद्यान – फल , सब्ज़ी आदि पैदा करने बाले अन्नदाता किसानों के मूलजीवन से जुड़ी हुई मूलभूत बुनियादी समस्याओं और जरूरतों का समाधान करने हेतु किसान आयोग का गठन करने की जुम्मेदारी एवं 60% बिशेष छूट पर खाद – बीज , दबा – कृषि उपकरण उपलब्ध करना सरकार की बिशेष जुम्मेदारी हैँ . अगर देश के 65% अन्नदाता किसानों को ज़ब उनके जन्मसिद्ध मौलिक अवसर और अधिकार राष्ट्रीय – क्षेत्रीय राज़नैतिक दलों की प्रदेशों एवं केंद्र की सरकारें नहीं दे सकती हैँ. तो फिर छोटे – मझोले – भूमिहीन अन्नदाता किसान लोकसभा – बिधानसभा , जिला पंचायत – नगर निगम के चुनाबों में राष्ट्रीय – क्षेत्रीय राज़नैतिक दलों के घोषित प्रत्याशियों को अपना वोट देकर इन्हें सत्ता पर काबिज़ होने का सौभाग्य आखिर क्यों और किस लिए प्रदान करें ? .
