पालीगंज,27 मार्च 2023

लोकआस्था का महापर्व चैती छठ के दूसरे दिन व्रतियों ने की खरना की प्रसाद बहुत ही शुद्धता के साथ बनाया जाता है। दूसरे दिन शाम को लोहड की परंपरा के साथ खीर रोटी का सेवन करते है।

तीसरा दिन व्रती निर्जला व्रत रखती है और ठेकुआ पकवान बनाती है छठ पूजा के तीसरे दिन शाम को अस्त होते सूर्य को अर्ध्य देने को व्रती गीत गाते हुए नदी,पोखरा की ओर प्रस्थान करती है।

नदी, तलाब के पानी मे खड़ी होकर व्रती हाथों में फलों से भरा कोलसुप लेकर भगवान भाष्कर को ध्यान धरकर अर्घ्य देती है। उस समय वहां उपस्थित महिलाएं सूर्यगीत गाती है। चौथे और अंतिम दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद निर्जला व्रत को पारण के साथ समाप्त करती है।

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