नई दिल्ली 09अगस्त 2024

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (9 अगस्त) को दिल्ली की आबकारी नीति में कथित घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में आम आदमी पार्टी के नेता और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को जमानत दे दी।उन्हें सीबीआई और ईडी, दोनों ही मामलों में जमानत मिल गई है।सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 10 लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के दो ज़मानती बांड पर रिहा करने का दिया निर्देश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब मनीष सिसोदिया के तिहाड़ जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है। बताते चले कि आम आदमी पार्टी के नेता और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया दिल्ली की आबकारी नीति में कथित घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में 17 महीने से जेल में बंद हैं । बताया जा रहा है कि कथित शराब घोटाले में ट्रायल शुरू होने में हुई देरी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और ईडी दोनों मामलों में जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने सिसोदिया की जमानत याचिका पर 6 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था। शुक्रवार को इस पर फैसला देते हुए जस्टिस गवई ने कहा कि 17 महीने की लंबी कैद और मुकदमा शुरू न होने के कारण उन्हें सुनवाई के अधिकार से वंचित किया गया है।

बताते चलें कि अभिषेक मनु सिंघवी ने मनीष सिसोदिया की जमानत के पक्ष में अक्टूबर 2023 के उस आदेश का हवाला दिया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था। सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर 6-8 महीने में सुनवाई पूरी नहीं होती है तो वह नई जमानत याचिका दायर कर सकते हैं। इसके बाद इस साल 4 जून को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अंतिम शिकायत/चार्जशीट दायर होने के बाद वह अपनी जमानत याचिका को फिर से जीवित करने के लिए स्वतंत्र होंगे। अभिषेक मनु सिंघवी के इस र गौर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मनीष सिसोदिया को जमानत के लिए फिर से ट्रायल कोर्ट जाने को कहा जाता है तो ये न्याय का मखौल उड़ाना होगा। बेंच ने कहा कि निचली अदालत ने राइट टू स्पीडी ट्रॉयल को अनदेखा दिया और मेरिट के आधार पर जमानत रद्द नहीं की थी। हम ईडी की प्रारंभिक आपत्ति को मानने के इच्छुक नहीं कि ये याचिका सुनवाई योग्य नहीं। मनीष को निचली अदालत फिर हाई कोर्ट जाने को कहा था। फिर सुप्रीम कोर्ट आने को. उन्होंने दोनों अदालत में याचिका दाखिल की थी। इसके बाद मनीष सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। पहले आदेश के मुताबिक 6 से 8 महीने की समय सीमा बीत गई है।
आगे सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि मनीष सिसोदिया 17 महीने से हिरासत में हैं और अभी तक मुकदमा शुरू नहीं हुआ है , इससे उनके जल्द सुनवाई के अधिकार का हनन हो रहा है। बेंच ने कहा कि इन मामलों में जमानत के लिए उन्हें निचली अदालत भेजना न्याय का गला घोंटना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब समय आ गया है कि निचली अदालतें और हाई कोर्ट ये समझें कि जमानत एक नियम है और जेल एक अपवाद। सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया को 10 लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के दो ज़मानती बांड पर रिहा करने का निर्देश दिया।
सूत्रों की माने तो कि दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया को सीबीआई ने 26 फरवरी, 2023 को दिल्ली की अब रद्द हो चुकी आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं के लिए गिरफ्तार किया था। ईडी ने उन्हें 9 मार्च, 2023 को सीबीआई की प्राथमिकी से उपजी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। जिसके बाद , उन्होंने 28 फरवरी, 2023 को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। मनीष सिसोदिया ने जमानत की मांग करते हुए कहा था कि वह 17 महीने से हिरासत में हैं और उनके खिलाफ मुकदमा शुरू नहीं हुआ है। ईडी और सीबीआई ने उनकी याचिका का विरोध किया था।

Loading

Leave a Reply

Your email address will not be published.