पटना 16 अगस्त 2024


भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं स्वास्थ्य व कृषि मंत्री मंगल पांडेय ने पुण्यतिथि पर राजनीति के अजातशत्रु देश के यशस्वी पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी को नमन करते हुए कहा है कि उनके दिल में बिहार बसता था। बिहार की कमोबेश अपनी हर सभाओं में वे अपने संबोधन की शुरूआत ‘‘आप बिहारी, मैं तो अटल बिहारी हूं’’ कह कर किया करते थे। हर बिहारी से वे अपना आत्मीय रिश्ता बताते थे। बिहार के लिए उनकी सरकार की देन अविस्मरणीय है। आज उनके अनेक अधूरे सपने को देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूरा कर रहे हैं।

श्री पाण्डेय ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने देश प्रधानमंत्री के रूप में बिहार के मिथिलांचल की भावना का ख्याल रखते हुए मैथिली को संविधान की अष्टम अनुसूची में शामिल करने का फैसला लिया। मुख्यमंत्री के रूप में कर्पूरी ठाकुर और जगन्नाथ मिश्र ने इस प्रस्ताव को केन्द्र सरकार के पास भेजा था। मगर केन्द्र की कांग्रेस सरकार ने 23 वर्षों तक उस प्रस्ताव को लटका कर रखा था। दिसम्बर, 2003 में अटल जी ने मिथिलांचल वासियों की लम्बे समय से चली आ रही इस मांग को स्वीकार कर उनकी भावना का सम्मान किया था। मिथिलांचलवासी उनके इस अवदान को कभी भूल नहीं सकते हैं।

मिथिलांचल का इलाका साल 1934 के विनाशकारी भूकंप के दौरान कोसी पर बने पुल के टूट जाने के कारण दो भागों में बंट गया था। दरभंगा-मधुबनी से सहरसा-सुपौल अलग-थलग पड़ गया था। दरभंगा से सहरसा-सुपौल इलाके के लोग रात भर का लम्बा सफर कर एक मात्र ट्रेन जानकी एक्सप्रेस से आते-जाते थे। 80 से 100 कि.मी. की उन्हें अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती थी। अटल बिहारी वाजपेयी ने कोसी महासेतु का शिलान्यास वर्ष 2003 में किया और अपने कार्यकाल में ही पर्याप्त फंड की व्यवस्था कर इसके निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया। इस पुल के निर्माण की वजह से न केवल मिथिलांचल का एकीकरण हुआ बल्कि यहां की करीब डेढ़ से दो करोड़ आबादी का दशकों पुराना सपना भी पूरा हुआ। 78 वर्षों के बाद एक-दूसरे से अलग-थलग पड़े मिथिलांचलवासी आपस में जुड़ सकें।

श्री पाण्डेय ने कहा कि कोसी महासेतु केवल मिथिलांचल के दो हिस्सों को जोड़ने में ही सफल नहीं रहा बल्कि यह उत्तर बिहार के नौ जिलों को जोड़ने वाला आज महासेतु बन गया है। ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर की परिकल्पना भी अटल जी की ही देन है। ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर के तहत बिहार में बनी करीब 1000 कि.मी. फोरलेन सड़कें यहां आर्थिक विकास के नए रास्ते खोल दी। इसके अलावा कोसी रेल पुल, मुंगेर में गंगा पर पुल, दीघा-सोनपुर गंगा पुल, हरनौत रेल कारखाना, राजगीर आयुद्ध फैक्ट्री आदि भी अटल बिहारी वाजपेयी की ही देन है।

उन्होंने कहा कि बिहार से खास लगाव महसूस करने वाले महान राजनीतिज्ञ अटल जी बिहार के विकास को लेकर अक्सर चिंतित रहते थे। बिहार के किसानों के प्रति उनका विशेष लगाव था। किसानों से उनके इस स्नेह को ध्यान में रखते हुए ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनके जन्म दिवस से ‘किसान सम्मान निधि’ योजना की शुरुआत की। दरअसल यह योजना देश के किसानों के साथ ही स्वर्गीय अटल जी का भी सम्मान है।

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