पटना 10 सितम्बर 2024
दादी मंदिर में मित्तल परिवार द्वारा सात दिवसीय भागवत कथा आयोजन के तीसरे दिन की कथा प्रारम्भ हुईं। मुख्य यजमान सुशील मित्तल एवं तारा देवी मित्तल ने व्यास गद्दी एवं व्यास गद्दी पर बैठे आचार्य चंद्रभूषण मिश्र की पूजा की।
मौके पर मित्तल परिवार के सुंदर लाल एवं अलका मित्तल, पंकज मित्तल, कुसुम मित्तल, प्रमोद मित्तल एवं नीलम मित्तल, अमित एवं जया मित्तल ने भी इसमें भाग लिया। तृतीय दिवस दोपहर बाद आज तीसरे दिन की भागवत कथा का प्रारम्भ करते हुए शास्त्रोपासक आचार्य डॉ चंद्रभूषणजी मिश्र पंचम, षष्ठ एवं सप्तम तीनो स्तंभों का सारंश बताया। उसमे आये प्रमुख चरित्रों की विस्तार से चर्चा की। आचार्य डॉ चंद्रभूषणजी मिश्र ने कहा कि पंचम स्तम्भ में भूगोल, खगोल का वर्णन है। आज वैज्ञानिक लोग धरती की गति का वर्णन चाँद से मानते हैं परन्तु भागवत में सूर्य की गति का वर्णन है।हम जहां खड़े होते हैं वहीँ से पूरब, पश्चिम, उत्तर दक्षिण शुरू होता है। भूत वर्तमान भविष्य भी अपनी स्थिति से जाना समझा एवं परखा जाता है। आचार्यश्री ने चौदह लोक की चर्चा करते हुए बताया कि इस धरती के ऊपर सात लोक हैं, जिसको भूलोक, भुवनलोक आदि नामो से जाना जाता है। धरती के नीचे भी सात लोक हैं। जिनको तल, तलातल, रसातल आदि नामो से जाना जाता है. छठे स्तम्भ में गज ग्राह की चर्चा में प्रदर्शन की बात को रूपायित किया गया है।
आचार्य श्री ने कहा कि व्यक्ति की अपने गुणों से ही पहचान है. वह जब कुछ और ज्यादा मान सम्मान पाने की चेष्टा करता है तो उसे बदनामी ही हाथ लगती है। हमारे मन में तरह तरह की वृतियां होती है और विवेक की कमी के कारण हम उसी की पूर्ति में लगे रहते हैं। आचार्य श्री ने कहा कि वृतासुर का चरित्र भागवत का प्रसिद्द चरित्र है जिसमे मनुष्य की बढ़ती चाह को समेटने का उपदेश दिया गया है। हम किसी से भी मिलते हैं तो उसका उपयोग करने लगते हैं। भगवान् के पास जाकर भी बहुत कुछ माँगने की वृति बढ़ जाती है और इस मांग और पूर्ति के झमेले में भक्ति तिरोहित हो जाती है।
आचार्यश्री ने कहा कि सम्पूर्ण भागवत में प्रहलाद एक ऐसा भक्त है जो भगवान् से प्रार्थना करता है कि मेरे मन में कभी किसी से कुछ माँगने की वृति न जगे. यथा लाभ संतोष का जीवन ही श्रेष्ठ जीवन माना जाता है।
आचार्य श्री ने कहा कि सप्तम स्तम्भ के अंतिम कुछ अध्यायों में भगवान् वृतात्रेय और प्रहलाद के संवाद के द्वारा पुरुष धर्म, स्त्री धर्म, सामाजिक धर्म आदि की चर्चा करते हुए कर्तब्यबोध कराया गया है। भागवत का यह उद्देश्य है कि व्यक्ति मानवीय गुणों का विकास कर के ही अपने को सदा आनंदित रख सकता है। मानवीय गुणों का विकास ही कृपा का प्रसाद माना जाता है। एम पी जैन ने बताया कि आज के कथा सुनने के लिए दादी मंदिर में मुख्य संस्थापक अमर अग्रवाल, बिनोद एवं सुनीता मित्तल, साजन मित्तल, सुशील मित्तल, पुष्कर अग्रवाल, नारायणजी, सूर्य नारायण, अक्षय अग्रवाल, राज कुमार अग्रवाल, सहित सैकड़ों की संख्या में भक्तगण उपस्थित थे।