पटना ,23 जनवरी 2023
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल स्व० सिद्धेश्वर प्रसाद के भूतनाथ रोड, एच0आई0जी0 हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, बहादुरपुर, पटना स्थित आवास जाकर उनके पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र अर्पित कर अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री ने स्व० सिद्धेश्वर प्रसाद जी के शोक संतप्त परिजनों से मुलाकात कर उन्हें सांत्वना भी दी I
अपने शोक संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि सिद्धेश्वर प्रसाद ने केन्द्र एवं बिहार में मंत्री त्रिपुरा के राज्यपाल के रूप में अपनी जिम्मेदारी का कुशलतापूर्वक निर्वहन किया था। वे हमेशा संसदीय लोकतंत्र की मजबूती की बात करते थे। उनसे हमारा पुराना एवं व्यक्तिगत संबंध रहा है। ये तीन बार नालंदा से सांसद रहे थे। राजनीति में आने से पहले वे नालंदा कॉलेज में प्राध्यापक भी थे। उनके निधन से राजनीतिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुयी है उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जायेगा।
वहीं मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की चिर शान्ति तथा उनके परिजनों को दुःख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।
बताते चलें कि त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल सिद्धेश्वर प्रसाद की तबीयत करीब दो हफ्ते पहले खराब हो गई थी । उन्हें सांस संबंधी तकलीफ और उम्र संबंधी समस्याएं होने के बाद पटना के एम्स में भर्ती कराया गया था । इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. शकील अहमद भी सिद्धेश्वर प्रसाद को देखने एम्स पहुंचे थे । पूर्व भाजपा नेता राजीव रंजन प्रसाद ने सिद्धेश्वर प्रसाद के बारे में बताया था कि उन्हें सांस लेने में काफी दिक्कत होने के बाद एम्स में भर्ती कराया गया था ।रविवार की संध्या भूतनाथ रोड स्थित अपने आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली ।
प्रोफेसर सिद्धेश्वर प्रसाद का जन्म 19 जनवरी 1929 को हुआ था. वह नालंदा के बिंद निवासी थे । भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े राजनेता थे । वह 1962, 1967 और 1971 में बिहार के नालंदा निर्वाचन क्षेत्र से संसद के निचले सदन लोकसभा के लिए चुने गए थे. वह 1983 से 1989 तक एमएलसी भी रहे ।
राजनीति में आने से पहले वह बिहार के नालंदा कॉलेज में प्रोफेसर थे ।वह जून 1995 से जून 2000 तक त्रिपुरा के राज्यपाल रहे और 1983 से 1989 तक बिहार सरकार में मंत्री भी रहे । साथ ही वे 1969 से 1977 तक केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे. वे एक लेखक भी हैं, उनकी हिंदी भाषा में 22 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं ।