पटना, 02 जुलाई 2023

महाराष्ट्र में रविवार को हुए बड़े राजनितिक उलटफेर पर पूर्व स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने विपक्षी एकता पर तंज कसा है। श्री पांडेय ने कहा कि विपक्षी एकता की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं। कौन बनेगा दूल्हा, अभी यह स्पष्ट भी नहीं हुआ है, लेकिन नाराज बाराती अभी से साथ छोड़ने लगे हैं। जुलाई में आयोजित शिमला की बैठक स्थगित हो गई। बंगलुरू की बैठक पर भी संशय बरकरार है। इसके पूर्व ही विपक्षी एकता का खंडित होना यह बताता है कि आने वाले समय में अन्य राज्यों में भी भगदड़ मचना तय है। जिसकी भनक विपक्षी पार्टियों के सुप्रीमो को मिलने के बाद वे अपने नेताओं के संपर्क में आकर उनका हालचाल लेने लगे हैं। महाराष्ट्र की घटना मात्र ट्रेलर है। आम चुनाव 2024 करीब आते-आते विपक्षी एकता मंे शामिल कुनबा का हाल ‘कोई यहां गिरा, तो कोई वहां गिरा’ वाला होगा।

श्री पांडेय ने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता और विश्वसनीयता के आगे विपक्षी एकता कभी नहीं टिकने वाला है। हालांकि इसकी बानगी पटना में आयोजित विपक्षी एकता की बैठक में देखने को मिली थी। आज भले ही विपक्षी एकता में शामिल नेता दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को विपक्षी एकता का साथी बता रहें हों, लेकिन आप ने उसी दिन स्वार्थसिद्धि नहीं होता देख अपना स्टैंड क्लीयर कर दिया है। इसी प्रकार कई राज्य ऐसे हैं, जहां विपक्षी एकता में शामिल दल एक साथ लड़ने को तैयार नहीं है। किसी को कांगे्रस पसंद नहीं है, तो किसी को वाम पसंद नहीं है, तो किसी को चेहरा पसंद नहीं है। इस स्थिति में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि विपक्षी एकता कहां तक कारगर साबित होगा। अभी तो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) टूटी है। देश के अन्य विपक्षी पार्टिंयों की स्थिति भी कमोवेश ऐसी ही है।
श्री पांडेय ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने को लालायित विपक्षी एकता में शामिल नेता कुछ भी कर लें, 2024 में देश की जनता एक बार फिर पीएम मोदी को ही बागडोर सौंपेगी। इसलिए अच्छा रहेगा कि एनडीए को हटाने की बजाय अपनी पार्टियों को टूटने से बचायें। नहीं, तो 2024 में विपक्षी एकता के लिए डबल डिजिट पार करना भी मुश्किल होगा।

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