पटना 27 सितम्बर 2023
बिहार विद्यापीठ देशरत्न राजेन्द्र प्रसाद शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय एवं अटल इनक्वेशन सेंटर बिहार विद्यापीठ फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार 27 सितम्बर को हिन्दी पखवाड़ा के अवसर पर अन्तर महाविद्यालय सामूहिक लोकनृत्य प्रतियोगिता का आयोजन देशरत्न भवन में किया गया।
इस अवसर पर बिहार विद्यापीठ के अध्यक्ष विजय प्रकाश भा.प्र.से. से.नि. ने शिक्षक कलाकारों को संबोधित करते हुए कहा कि प्राथमिक स्तर मे सभी शिक्षकों को लोक कला एवं नृत्य सिखाने की जरूरत है। लोक जीवन जीने की कला सिखाती हैं। यदि समाज को बदलना है तो लोक कलाओं को और अधिक समृद्ध बनाना होगा। हर बच्चे में एक कलाकार मौजूद हैं। उनकी इस कला क्षमता का विकाश शिक्षकों का लक्ष्य होना चाहिए। इस प्रतियोगिता में पुरुष की प्रतिभागिता काफी कम रही । उन्होंने व्यंगात्मक लहजे में कहा कि इस तरह के लोक नृत्यों में पुरुषों का आरक्षण भी तीस प्रतिशत करना चाहिए। बंगाल के सांस्कृतिक पुनरूद्धार में कला की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। हम भी लोक कला का विकास कर बिहार का सांस्कृतिक पुनर्जागरण भी कर सकते हैं। बिहार विद्यापीठ इसमें अपनी भूमिका निभाने के लिए कृत संकल्पित है।
इस सांस्कृतिक कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि डॉ जेसी जार्ज मोदी, विभागाध्यक्ष शिक्षा विभाग पटना विश्वविद्यालय पटना ने अपने संबोधन कहा कि – यह रंगारंग कार्यक्रम की बहुत अच्छा रहा । एक शिक्षक के लिए नृत व्यक्तित्व के आन्तरिक विकास में बहुत ही महत्वपूर्ण गतिविधि है। नृत्य सामूहिक जीवन शैली के गुर सिखाता है।
इस प्रतियोगिता में कुल 6 महाविद्यालय यथा विमेंस टीचर्स ट्रेनिंग कालेज, ज्ञान प्रकाश स्वामी विवेकानंद टीचर्स ट्रेनिंग, बी एड कालेज, मैत्रेय कालेज आफ एजुकेशन एण्ड मैनेजमेंट हाजीपुर,ए बी सी कालेज आफ एजुकेशन नेउरा, पटना, मिर्जा गालिब शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, पटना तथा देशरत्न राजेन्द्र प्रसाद शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय बिहार विद्यापीठ पटना के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
सामूहिक लोकनृत्य में था भोजपुरी नृत्य आ रंग बरसे, राम खेलते होली, झुमके वाली हो झूमक वाली मिथिलांचल नृत्य झिझिया, कजरी भोजपुरी में कैसे खेलें जय आबू सावन में कजरिया राजस्थानी नृत्य सह मैथिली झिझिया, छंट पर्व एवं सामाचकेवा, की झांकी की नृत्य प्रस्तुति भी हुई।
प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में शामिल डॉ रमा दास निर्देशिका कलात्रैयी, पटना श्रीमती अंजुला कुमारी निर्देशिका नट राज कला मंदिर, पटना श्रीमती सुदीपा बोस, भारतीय नृत्यकला मंदिर पटना ने सभी कलाकारों की सराहना करते हुए कहा कि लोक नृत्य जीवन का छंद है, लय है, भाव है, बिहार में चालीस साल पहले नृत्य की स्वीकृति नहीं थी।
प्रतियोगिता में प्रथम स्थान देशरत्न राजेन्द्र प्रसाद शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय बिहार विद्यापीठ-पीठ, पटना को मिला जबकि द्वितीय स्थान मैत्रेयी कालेज आफ एजुकेशन एंड मैनेजमेंट तथा तृतीय स्थान विमेंस ट्रेनिंग कालेज एवं सान्त्वना पुरस्कार ए बी सी कालेज आफ एजुकेशन नेउरा को प्राप्त हुआ।
बिहार विद्यापीठ की निर्देशिका डॉ मृदुला प्रकाश ने इस अवसर पर आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए इस प्रतियोगिता की पृष्ठभूमि से अवगत कराया। कार्यक्रम का संचालन श्री चन्द्र कान्त आर्य ने किया।
प्राचार्य पूनम वर्मा ने आगत अतिथियों को आभार व्यक्त करते हुए हिन्दी पखवाड़ा के आयोजन के महत्व को उजागर करते हुए हर एक व्यक्ति को हृदय से धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर डॉ वाई एल दास, विवेक रंजन, ए.आई.सी. – बिहार विद्यापीठ फाउंडेशन के सी.ओ.ओ. प्रमोद कर्ण, उर्मिला कुमारी, शिल्पी कंठ तथा अवधेश के नारायण मौजूद थे।