नई दिल्ली 10 नवंबर 2023

· संपूर्ण प्रसारण क्षेत्र के लिए समेकित कानूनी प्रारूप

· प्रोग्राम कोड और विज्ञापन कोड के पालन के लिए कंटेंट (विषय-वस्तु) मूल्यांकन समितियां

· मौजूदा अंतरविभागीय समिति की जगह प्रसारण सलाहकार परिषद

· वित्तीय क्षमता से जुड़ी जुर्माना संरचना

· दिव्यांगों के लिए सुगम्यता उपाय

उद्देश्य और मुख्य परिवर्तन

केबल टेलीविज़न नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम 1995 तीन दशकों से प्रभावी है। यह केबल नेटवर्क सहित सीधे प्रसारण की विषय-वस्तु की निगरानी करने वाले प्राथमिक कानून के रूप में कार्य कर रहा है। हालांकि, इस बीच प्रसारण परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। तकनीकी प्रगति ने डीटीएच, आईपीटीवी, ओटीटी और विभिन्न एकीकृत मॉडल जैसे नए प्लेटफॉर्म पेश किए हैं।

प्रसारण क्षेत्र के डिजिटलीकरण के साथ, विशेष रूप से केबल टीवी में, नियामक प्रारूप को सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता बढ़ रही है। इसमें कारोबार करने में आसानी को सुनिश्चित करने और प्रसारकों एवं वितरण प्लेटफ़ॉर्म ऑपरेटरों द्वारा प्रोग्राम कोड और विज्ञापन कोड का पालन बढ़ाना शामिल है। अधिक सामंजस्यपूर्ण दृष्टिकोण की आवश्यकता को पहचानते हुए, मौजूदा स्वरूप के नियामक प्रारूप को एक नए, व्यापक कानून से बदलने की आवश्यकता है।

भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक, 2023 का एक मसौदा प्रस्तावित किया है। मसौदा विधेयक देश में प्रसारण सेवाओं को विनियमित करने के लिए एक समेकित प्रारूप का प्रावधान करने के साथ-साथ मौजूदा केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 और वर्तमान में देश में प्रसारण क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले अन्य नीति दिशानिर्देशों में बदलाव लाने का प्रयास करता है।

यह विधेयक नियामक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के साथ-साथ ओवर-द-टॉप (ओटीटी) कंटेंट और डिजिटल समाचारों को कवर करने के लिए इसके दायरे का विस्तार करता है और उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए समकालीन परिभाषाओं और प्रावधानों को प्रस्तुत करता है। यह स्व-नियमन के लिए सामग्री मूल्यांकन समितियों और एक प्रसारण सलाहकार परिषद, विभिन्न प्रसारण नेटवर्क ऑपरेटरों के लिए अलग-अलग कार्यक्रम और विज्ञापन कोड, दिव्यांगों के लिए सुगम्यता उपाय और वैधानिक दंड आदि का प्रावधान भी प्रस्तुत करता है।

विधेयक में छह अध्याय, 48 धाराएं और तीन अनुसूचियां शामिल हैं।

मुख्य विशेषताएं:

1. समेकन और आधुनिकीकरण: यह विभिन्न प्रसारण सेवाओं के लिए विनियामक प्रावधानों को एकल विधायी ढांचे के तहत समेकित और अद्यतन करने की चिरकालिक आवश्यकता की पूर्ति करता है। यह कदम विनियामक प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करते हुए इसे अधिक कुशल और समसामयिक बनाता है। यह वर्तमान में आईटी अधिनियम, 2000 और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के माध्यम से विनियमित ओवर-द-टॉप (ओटीटी) कंटेंट और डिजिटल समाचार और सामयिक मामलों के प्रसारण को शामिल करने के लिए अपने विनियामक दायरे का विस्तार करता है।

2. समसामयिक परिभाषाएं और भविष्य की आवश्‍यकताओं के अनुरूप प्रावधान: उभरती प्रौद्योगिकियों और सेवाओं के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए यह विधेयक समसामयिक प्रसारण शब्‍दावलियों के लिए व्यापक परिभाषाएं प्रस्‍तुत करता है और उभरती प्रसारण प्रौद्योगिकियों के प्रावधानों को शामिल करता है।

3. स्व-नियमन व्यवस्था को मजबूत बनाता है: यह कंटेंट मूल्यांकन समितियों की शुरुआत के साथ स्व-नियमन को बढ़ाता है और मौजूदा अंतर-विभागीय समिति को अधिक सहभागी और व्यापक ‘प्रसारण सलाहकार परिषद’ में विकसित करता है।

4. पृथक कार्यक्रम संहिता और विज्ञापन संहिता: यह विभिन्न सेवाओं में कार्यक्रम और विज्ञापन संहिताओं के लिए पृथक दृष्टिकोण की अनुमति देता है तथा प्रतिबंधित कंटेंट के लिए प्रसारकों द्वारा स्व-वर्गीकरण और मजबूत पहुंच नियंत्रण उपायों को आवश्‍यक बनाता है।

5. दिव्‍यांगों के लिए पहुंच: यह विधेयक व्यापक पहुंच दिशानिर्देश जारी करने के लिए सक्षम प्रावधान प्रदान करते हुए दिव्‍यांगों की विशिष्ट आवश्यकताओं की पूर्ति करता है।

6. वैधानिक दंड और जुर्माना: इस मसौदा विधेयक में ऑपरेटरों और प्रसारकों के लिए सलाह, चेतावनी, निंदा या मौद्रिक दंड जैसे वैधानिक दंड का समावेश है। इसमें कारावास और/या जुर्माने का प्रावधान पहले की तरह जारी हैं, लेकिन केवल बेहद गंभीर अपराधों के लिए ही, ताकि विनियमन के प्रति संतुलित दृष्टिकोण सुनिश्चित हो सके।

7. न्यायसंगत दंड: निष्पक्षता और समता सुनिश्चित करने हेतु संबंधित प्रतिष्ठान के निवेश और कारोबार को ध्यान में रखते हुए मौद्रिक दंड एवं जुर्माने को प्रतिष्ठान की वित्तीय क्षमता से जोड़ा गया है।

8. बुनियादी ढांचे की साझेदारीप्लेटफॉर्म सेवाएं और राइट ऑफ वे: इस विधेयक में प्रसारण नेटवर्क ऑपरेटरों के बीच बुनियादी ढांचे की साझेदारी और प्लेटफॉर्म सेवाओं के कैरिज के प्रावधान भी शामिल हैं। इसके अलावा, यह स्थानांतरण और परिवर्तनों से जुड़े मुद्दे को अधिक कुशलता से हल करने के लिए ‘राइट ऑफ वे’ से जुड़े खंड को व्यवस्थित करता है और एक सुव्यवस्थित विवाद समाधान तंत्र की स्थापना करता है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय मसौदा प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक, 2023 के जरिए देश में पारदर्शिता, स्व-नियमन और भविष्योन्मुखी प्रसारण सेवाओं के एक नए युग की शुरुआत करने के लिए प्रतिबद्ध है।

मंत्रालय उपरोक्त विधेयक पर संबंधित विषय के विशेषज्ञों, प्रसारण सेवा प्रदाताओं और आम जनता सहित विभिन्न हितधारकों से प्रतिक्रिया और टिप्पणियां आमंत्रित करता है। ये टिप्पणियां इस प्रेस विज्ञप्ति के जारी होने की तिथि से 30 दिनों के भीतर ई-मेल के जरिए jsb-moib[at]gov[dot]in पर भेजी जा सकती हैं।

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