राजगीर 18 जून 2024
प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के तर्ज पर नालंदा के राजगीर में बना अंतर्राष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय अब नई उंचाईयों को छूने को तैयार है. ग्लोबल विश्वविद्यालय के रूप में आधुनिक नालंदा विश्वविद्यालय उभरने को तैयार है. नालंदा विश्वविद्यालय का अब खुद का भवन बनकर तैयार हो गया है. जिसका विधिवत उद्धाटन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 19 जून को करने जा रहें है.
इस विशेष मौके पर बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूद रहेंगे. नालंदा विश्वविद्यालय की परिकल्पना अब पूर्ण रूप से हकीकत में बदलने जा रही है. 455 एकड़ में इस विश्वविद्यालय का निर्माण किया गया है जिसमें सैकड़ो बिल्डिंग, दर्जनों तालाब, मेडिटेशन हॉल, कॉन्फ्रेंस हॉल, स्टडी रूम, आवासीय परिसर आदि का निर्माण किया गया है. प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के तर्ज पर अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करने में कई मोड़ आए और ज्ञान की बिखरी कड़ियों को जोड़ते हुए अंतर्राष्ट्रीय महत्व का संस्थान खड़ा हो सका. 28 मार्च 2006 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्निर्माण करने की सलाह दी थी. यह विचार उन्होंने बिहार विधानमंडल के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए रखा था. भारत सरकार ने वर्ष 2007 में नोबेल पुरस्कार प्राप्त अमर्त्य सेन के नेतृत्व में नालंदा मेंटर ग्रुप का गठन किया. प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित कर 821 साल बाद पठन-पाठन शुरू किया गया. नालंदा विश्वविद्यालय का शुभारंभ पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने किया था. नालंदा विश्वविद्यालय वर्तमान समय में मास्टर पाठ्यक्रम और डॉक्टर आफ फिलॉसफी पाठ्यक्रम प्रदान करता है. जिसमें ऐतिहासिक अध्ययन स्कूल, पारिस्थितिकी और पर्यावरण अध्ययन स्कूल, बौद्ध अध्ययन दर्शनशास्त्र और तुलनात्मक धर्म स्कूल, भाषा और साहित्य, मानविकी स्कूल, स्कूल आफ मैनेजमेंट स्टडीज, सूचना विज्ञान और प्रौद्योगिकी स्कूल शामिल है. मालूम हो कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय पूरे विश्व में शिक्षा का प्रमुख केंद्र था. पूरे विश्व को ज्ञान की ज्योत फैलाने वाला प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के तर्ज पर नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है. विश्व के मानचित्र पर एक बार पुनः नालंदा अपने पुराने गौरवशाली अतीत को पुनर्जीवित कर पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम के सपने को साकार करेगा. नालंदा कभी ज्ञान विज्ञान का अद्वितीय केंद्र था. साथ ही मानव सभ्यता संस्कृति धर्म और दर्शन के इतिहास में नालंदा का योगदान अविस्मरणीय हैं. पांचवी से बारहवीं शताब्दी तक विश्वविद्यालय की गरिमा और महत्ता पराकाष्ठा पर थी. प्राचीन काल में नालंदा अपने ज्ञान दर्शन साहित्य चिंतन और विश्व बंधुत्व के सार्वभौमिक भाव के लिए विश्व विख्यात था. यहां एक विशाल नालंदा विश्वविद्यालय था जिसमें 2000 शिक्षकों के साथ 10000 छात्रों के अध्ययन और अध्यापन की सुविधा थी. यहां देश-विदेश से लोग विद्या अध्ययन करने आते थे. इस विश्वविद्यालय में धर्म दर्शन व्याकरण तर्कशास्त्र औषधी शास्त्र वेद विषयों की पढ़ाई की जाती थी. तक्षशिला विक्रमशिला इसके समकालीन शिक्षा केंद्र थे. प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना का श्रेय गुप्त शासक को जाता है. इसी क्रम में 12वीं सदी के अंतिम दशक में बख्तियार खिलजी ने विश्व प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय को तहस-नहस कर दिया. वर्तमान में नालंदा विश्वविद्यालय की विशाल खंडहर इसके प्राचीन गौरव गरिमा का साक्ष्य प्रमाणित कर रहा है. नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष जिनमें एक बड़ी संख्या बौद्ध चौत्यों और पूजन गृहों की है. साथ ही पर्यटन की दृष्टि से विशेष महत्व रखता है. संपूर्ण क्षेत्र लगभग 14 हेक्टेयर भूमि में फैला हुआ है।