पटना 04 जुलाई 2024

गुरुवार 04 जुलाई को बिहार विद्यापीठ सदाकत आश्रम पटना द्वारा एक परिसंवाद का आयोजन किया गया। जिसका विषय था बिहार के विकास के सन्दर्भ में मनोवैज्ञानिक एवं आर्थिक दृष्टिकोण।इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ राणा अवधेश भा प्र से (सेनि) सचिव बिहार विद्यापीठ ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि विकास के विभिन्न आयाम हैं जिनमें सर्वाधिक प्रमुखता आर्थिक विकास के साथ साथ मानसिक विकास और नैतिक विकास की है। बिहार की धीमी विकास की ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में उन्होंने ब्रिटिश कालीन जमींदारी और सामंती व्यवस्था को महत्वपूर्ण कारक बताया और विकास की नई दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता जताई।

मुख्य वक्ता डॉ वाई एल दास, निदेशक , (शोध )बिहार विद्यापीठ ने अपने विकास की अवधारणा को परिभाषित करते हुए कहा कि जीवन के सभी आयामों में निरंतर प्रगति सुनिश्चित होना ही विकास है। बिहार के विकास के सन्दर्भ में उन्होंने कहा कि मुख्यत:यह ग्रामीण विकास की प्रक्रिया है अतः गांव के विकास को गति देने के लिए कृषि के साथ साथ विविध ग्रामीण व्यवसायों एवं उद्योगों का विकास समान रूप से जरूरी है।खास कर कृषि आधारित सभी छोटे बड़े उद्योगों को स्थापना एवं प्रोत्साहन की आवश्यकता है। यदि विकास की परिकल्पना को साकार करना है तो सब की शिक्षा सब को स्वस्थ्य, सब को खाद्य सुरक्षा,सब को आवास के अलावें सब को रोजगार देना समय की मांग है। डॉ दास ने बल देते हुए कहा कि
बिहार के पिछड़े क्षेत्र की आवश्यकताओं का आकलन के आधार पर एक सम्यक विकास की रूपरेखा तैयार की जाए और प्राथमिकताओं का निर्धारण के आधार पर संसाधन का वितरण सुनिश्चित किया जा
विशिष्ट वक्ता डॉ रणविजय नारायण सिन्हा पूर्व विभागाध्यक्ष मनोविज्ञान विभाग , पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना,निदेशक बिहार विद्यापीठ ने बिहार के विकास के सन्दर्भ में मनोविज्ञान दृष्टिकोण की व्याख्या करते हुए कहा कि विकास में लोगों की नकारात्मक मानसिकता एक बहुत बड़ी बाधा है । एक अनुसंधान का उद्धरण देते हुए कहा कि संकीर्ण मानसिकता और उदारवादी मानसिकता वाले लोगों के जीवन में विकास के आंकड़े यह बताते है कि उदारवादी लोग संकीर्ण मानसिकता वाले की अपेक्षाकृत अधिक विकासित हुए हैं। लोगों के व्यवहार, नीयत और उनकी आकांक्षा विकास को प्रभावित करती है। उन्होंने शिक्षा के माध्यम से बच्चों में सकारात्मक सोच विकासित करने पर बल दिया।
श्री विवेक रंजन वित्त मंत्री बिहार विद्यापीठ ने विकास के सन्दर्भ में कहा कि बिहार से मजदूर विभिन्न राज्यों , देशों में पलायन कर वहां विकास का कार्य किया है परन्तु, बिहार में अवसर की कमी के कारण लोगों का पलायन हो जाता है अतः राज्य के अन्दर अधिकाधिक रोजगार के सृजन की आवश्यकता है।

श्री प्रमोद कुमार कर्ण सी ओओ एआई सी बिहार विद्यापीठ ने कहा कि बिहार में आर्थिक विकास हुआ है परन्तु गति धीमी है । विकास की प्रक्रिया को गतिशील करने के लिए विकेन्द्रित योजना की आवश्यकता है। विकास की दिशा में कतिपय सकारात्मक प्रयास जारी हैं।

देशरत्न राजेन्द्र प्रसाद शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के सहायक प्रोफेसर श्रीमती रीम्पल कुमारी, ने कहा कि शिक्षा का विकास जब तक नहीं होगा तब तक सही मायने में विकास नहीं होगा। डॉ रीना चौधरी ने कहा कि आर्थिक विकास से ही मूलतः विकास संभव होगा। उक्त परिचर्चा में डॉ डॉ शादिमा शाहिन ,श्रीमती रीना रंजन, श्रीमती मिताली मित्रा, श्रीमती मंजरी चौधरी, एवं श्री विकास कुमार ने बिहार के विकास के सन्दर्भ में अपने बहुमूल्य विचार व्यक्त किये। श्री अवधेश के नारायण, सहायक सचिव ने परिसंवाद का सफल संचालन किया। श्रीमती उर्मिला कुमारी, सहायक मंत्री,संस्कृति सह संग्रहालयाध्यक्ष राजेन्द्र स्मृति संग्रहालय ने परिसंवाद के सफल आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाई साथ ही सभी का आभार व्यक्त किया।

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