पटना 06 अगस्त 2024

बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पटना में कृषक प्रशिक्षण एवं भ्रमण कार्यक्रम के तहत 43 किसानों को वैज्ञानिक पद्धति से डेयरी व्यवसाय, दुग्ध उत्पादों का प्रसंस्करण और मुल्ल्यावर्धन पर प्रशिक्षण दिया गया।

पांच दिवसीय इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन मंगलवार को विश्वविद्यालय में हुआ। बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा आयोजित और कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आत्मा), नवादा द्वारा प्रायोजित यह प्रशिक्षण कार्यक्रम में नवादा से आये किसानों को विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा डेयरी का आर्थिक व्यवसाय में योगदान के महत्त्व को बताया गया साथ ही नवजात बछड़े के पालन पोषण, गाय-भैंस की उन्नत नस्लों एवं उनकी विशेषताओं, पशुधन-सह-फसल एकीकृत कृषि प्रणाली, कृषिक समुदाय को सशक्त बनाने में किसान उत्पादक संगठन की भूमिका, स्वच्छ दूध उत्पादन, पशुओं में होने वाली परजीवी रोग के बचाव और उपचार, कृत्रिम गर्भादान, गाय में गर्मी के लक्षण एवं पहचान, डेयरी पदार्थो का दुग्ध प्रसंस्करण, दुधारू पशुओं की खरीद के दौरान सावधानियां, छोटे पैमाने पर डेयरी प्रसंस्करण इकाई कैसे शुरू करें, हरे चारे और खान-पान जैसी तमाम महत्वपूर्ण विषयों पर प्रशिक्षित किया गया।

समापन समारोह के अवसर पर कुलपति प्रो. (डॉ.) डी.आर. सिंह ने कहा, कृषक और पशुपालकों को सशक्त करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये हमारे ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को वैज्ञानिक पद्धतियों से डेयरी व्यवसाय में दक्ष बनाना है, जिससे वे अपनी आय में वृद्धि कर सकें और डेयरी को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें। इस प्रकार के कार्यक्रमों से किसानों पशुपालकों को आधुनिक तकनीकों और नवाचारों का ज्ञान मिलता है, जो उन्हें अपनी उत्पादकता बढ़ाने में सहायक होता है।

निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. ए.के. ठाकुर ने समापन समारोह के दौरान अपने वक्तव्य में कहा, “इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों और पशुपालकों को नवीनतम वैज्ञानिक पद्धतियों और तकनीकों से परिचित कराना है ताकि वे अपने व्यवसाय को अधिक सफल और लाभकारी बना सकें। इस पाँच दिवसीय कार्यक्रम में हमने किसानों को डेयरी व्यवसाय, दुग्ध प्रसंस्करण, और मूल्यवर्धन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से प्रशिक्षित किया है। हमारा प्रयास है कि किसान इन ज्ञानवर्धक सत्रों से लाभान्वित होकर अपने कार्यक्षेत्र में नवाचार कर सकें और अपनी आय में वृद्धि कर सकें।

कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. योगेंद्र सिंह जादौन, डॉ. गार्गी महापात्रा, डॉ. रोहित जायसवाल, डॉ. सोनी ने अहम भूमिका निभाई।

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