पटना 14 सितम्बर 2024
दादी मंदिर में मित्तल परिवार द्वारा सात दिवसीय भागवत कथा आयोजन के कथा विश्राम दिन की कथा प्रारम्भ हुईं। मुख्य यजमान सुशील मित्तल एवं तारा देवी मित्तल ने व्यास गद्दी एवं व्यास गद्दी पर बैठे आचार्य चंद्रभूषण मिश्र की पूजा की।
मौके पर मित्तल परिवार के सुंदर लाल एवं अलका मित्तल, राम कुमार मित्तल, निव्स ईवा। रेखा मित्तल, पंकज मित्तल, कुसुम मित्तल, प्रमोद मित्तल एवं नीलम मित्तल, अमित एवं जया मित्तल ने भी इसमें भाग लिया। सातवें दिन कथा विश्राम दिवस पर भागवत के अन्तिमांश की व्याख्या करते हुए शास्त्रोपासक आचार्य डॉ चंद्रभूषणजी मिश्र ने बताया कि भागवत के अंत में थोड़ी सामाजिक, पारिवारिक एवं दैशिक राजनीति की चर्चा भी की गयी है । भगवान् श्री कृष्ण ने सोलह हजार एक सौ अपहरण की गई लड़कियों को पत्नी का सम्मान दिया इसके लिए द्वारिका में किसी से राय नहीं ली । यहाँ तक की बड़े भाई बलराम तक से भी नहीं कहा। श्रीकृष्ण ने अपनी बहन सुभद्रा का अपहरण कराया। बलरामजी चाहते थे कि सुभद्रा का विवाह दुर्योधन से किया जाय परन्तु श्री कृष्ण ने अपने मित्र अर्जुन से सुभद्रा का अपहरण करा कर विवाह करा दिया।
आचार्य श्री ने बताया कि सत्राजीत को सूर्य के द्वारा प्राप्त मणि की चोरी तथा उसके भाई प्रसेनजीत की हत्या बदनामी भी श्रीकृष्ण को सहनी पड़ी।
युधिष्ठिर के यज्ञ में अग्र पूजा के लिए शिशुपाल ने भी गिन गिन कर एक सौ गाली दिया। श्रीकृष्ण की सोलह हजार एक सौ मानवीय स्त्रियों को जब अर्जुन सुरक्षा के लिए द्वारका से ले जा रहे थे तो रास्ते में अभिरों ने छेड़ छाड़ हीं नहीं किया बल्कि सबको पकड़ पकड़ कर अपने घर ले गए। उनके सभी स्त्रियों से दस दस बच्चे हुए थे। उनमे से आधे से ज्यादा ने वारुणी (शराब) के नशे में चूर होकर एक दूसरे को मार मार कर समाप्त कर दिया।
आचार्य श्री ने बताया कि श्रीकृष को भगवान् कहने के कारण ये सब लीलापरक घटना मानी जाती है, परन्तु श्रीकृष्ण अपने चरित्र से यह दिखाना चाहते हैं कि कलियुग में यह सब संभव है। क्योंकि कलियुग में अहंकार की वृद्धि हो जाने से कलियुगी मनुष्यों में धैर्य, अनुशासनप्रियता, कर्तव्य आदि की कमी हो जाती है। श्रीकृष्ण का अंत भी व्याधे के वाण से हुआ था।
बाद में बलरामजी के द्वारा सूत जी की प्राप्त मृत्यु की चर्चा की गयी है और बलरामजी ने कहा कि हम अपनी व्यास परंपरा चलाना चाहते हैं और बलरामजी ने उग्रसर्वा को बैठा कर अपनी परम्परा चलाई. नौ योगेश्वरों के द्वारा नारद जी के माध्यम से अपने माता पिता बासुदेव – देवकी को ज्ञान देकर परम पद लाभ करवाया।
आचार्यश्री ने बताया कि भागवत नकद धर्म है। श्री सुकदेव ने परीक्षित से पूछा कि कथा सुनने के बाद आपको किस तरह का ज्ञान प्राप्त हुआ तो परीक्षित ने हाथ जोड़कर कहा कि भागवत ज्ञान विज्ञानं सम्मत ग्रन्थ है। ज्ञान से ब्रह्म की प्राप्ति होती है, विज्ञान द्वारा शरीर की अंतिम प्रक्रिया मृत्यु का ज्ञान प्राप्त होता है ।
निष्कर्ष के तौर पर सुकदेव जी ने भागवत का दो सन्देश दिया है –
पहला नाम जपने का और सब किसी में भगवान् मानकर प्रणाम करने का
दूसरा नाम, जप एवं प्रणाम करने की क्रिया ही भागवत है
एम पी जैन ने बताया कि आज के कथा सुनने के लिए दादी मंदिर में मुख्य संस्थापक अमर अग्रवाल, बिनोद एवं सुनीता मित्तल, सज्जन मित्तल एवं सीता मित्तल,, सुशील मित्तल, किशन मित्तल एवं सीमा मित्तल, विजय मित्तल एवं संगीता मित्तल, दीपक एवं ज्योति मित्तल, परमानन्द मित्तल, सहित सैकड़ों की संख्या में भक्तगण उपस्थित थे।