पटना 14 जुलाई 2024

जैन धर्मावलंबियों ने बाइसवें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ का मोक्ष कल्याणक महोत्सव पटना के मीठापुर, कदमकुआं, कमलदहजी, मुरादपुर सहित सभी दिगम्बरजैन मंदिरों में भक्ति भाव से मनाया गया।

इस मौके पर राजधानी के सभी दिगम्बर जैन मंदिरों में पूजा अर्चना के विशेष आयोजन हुआ। सुबह भगवान नेमिनाथ का जलाभिषेक किया गया। इसके बाद विश्व में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हुए मंत्रोच्चार के साथ शांतिधारा की गई। तत्पश्चात अष्ट द्रव्य से पूजा के साथ ही भगवान नेमिनाथ का निर्वाणोत्सव मनाया गया। निर्वाण पूजा के बाद मोक्ष कल्याणक का अर्घ्य एवं निर्वाण लाडू चढाया गया। मंदिरों में भगवान नेमिनाथ के जयकारे गूंजते रहे। एम पी जैन ने बताया कि मुरादपुर में शांतिधारा सुबोध जैन फंटी, तथा कमलदह में शांतिधारा अजय जैन, विमलेश जैन, पराग जैन, सुनील एवं चंदा काला, सविता जैन, प्रकाश, सुमन, प्रशांत जैन सहित अन्य ने किया।
जैन धर्म के बाईसवें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ : बाईसवें तीर्थंकर नेमिनाथ के पिता का नाम राजा समुद्रविजय और माता का नाम शिवादेवी था। इनका जन्म श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी को मथुरा में यादव वंश में हुआ था। मथुरा के यादव वंशी राजा अंधकवृष्णी के ज्येष्ठ पुत्र समुद्रविजय के पुत्र थे नेमिनाथ। अंधकवृष्णी के सबसे छोटे पुत्र वासुदेव से उत्पन्न हुए भगवान श्रीकृष्ण। इस प्रकार नेमिनाथ और श्रीकृष्ण दोनों चचेरे भाई थे। श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को भगवान नेमिनाथ ने दीक्षा ग्रहण की तथा आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को गिरनार पर्वत पर कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई। आषाढ़ शुक्ल की अष्टमी को भगवान को गिरनार पर्वत पर निर्वाण प्राप्त हुआ। जैन धर्मावलंबियों के अनुसार इनका प्रतीक चिह्न- शंख है।

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