आनंद मोहन सहित अन्य कैदियों की रिहाई पर बोले मुख्यमंत्री
पटना 28 अप्रैल 2023
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को आनंद मोहन सहित अन्य कैदियों को जेल से रिहा करने से सम्बंधित पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि जो प्रावधान है, जो नियम है, उसके अनुरूप ससमय बंदियों को छोड़ने की कार्रवाई की जाती है। उन्होंने कहा कि आजीवन कारावास में बंद कैदियों कि वास्तविक अवधि 14 वर्ष एवं परिहार जोड़कर 20 वर्ष पूर्ण करने के उपरांत कारा से मुक्त करने का प्रावधान है।

साथ ही उन्होंने कहा कि एक आदमी के बारे में जो इतनी बात की जा रही है, यह आश्चर्यजनक है। मुख्य सचिव ने कल ही इसके बारे में सारी बातें बता दी है। अगर आपलोग इसको जानना चाहते हैं तो केंद्र से 2016 में जो मेन्यूअल जारी हुआ था उसमें क्या प्रावधान है? जब किसी के लिये विशेष प्रावधान ही नहीं है किंतु बिहार में था वो भी हट गया, अब सबके लिये बराबर हो गया। यह प्रावधान किसी राज्य में नहीं है। क्या सरकारी अधिकारी की हत्या और सामान्य आदमी की हत्या इन दोनों में फर्क होना चाहिये? आज तक ऐसा कहीं होता है? आजीवन कारावास में बंद कैदियों की वास्तविक अवधि 14 वर्ष एवं परिहार जोड़कर 20 वर्ष पूर्ण करने के उपरांत कारा से मुक्त करने का प्रावधान है। बिहार में वर्ष 2017 से अभी तक 22 बार परिहार परिषद् की बैठक हुई और 698 बंदियों को कारा मुक्त किया गया। केंद्र सरकार द्वारा 26 जनवरी और 15 अगस्त को और बाकी अन्य दिवस के अवसर पर बंदियों को छोड़ा जाता है। बिहार में 2017 से अब तक कई कैदियों को रिहा किया गया है। इस बार भी 27 कैदियों को रिहा किया गया है। उसमें एक ही पर चर्चा हो रही है। इसका तो कोई मतलब नहीं है। तरह-तरह के लोग बयान देते हैं तो हमको तो आश्चर्य लगा। हमको ये कहना उचित नहीं है । जो लोग पहले इसका डिमांड कर रहे थे। जब रिहाई हो गयी तो विरोध कर रहे हैं। इस विरोध का कोई मतलब नहीं है। इसको लेकर विरोध करने का अब कोई तुक नहीं है।
सी०पी०आई० माले द्वारा अरवल में टाडा बंदियों छोड़ने की मांग के पत्रकारों के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जो प्रावधान है, जो नियम है, उसके अनुरूप ससमय बंदियों को छोड़ने की कार्रवाई की जाती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कई राज्यों द्वारा बंदियों को रिलीज किया जाता है। वर्ष 2020-21 में असम में 280, छत्तीसगढ़ में 338, गुजरात में 47, हरियाणा में 79, हिमाचल प्रदेश में 50, झारखंड में 298, कर्नाटक में 195, केरल में 123, मध्यप्रदेश में 692, महाराष्ट्र में 313, उड़ीसा में 203, राजस्थान में 346, तेलंगाना में 139, उत्तर प्रदेश में 656, दिल्ली में 280 और केंद्र शासित प्रदेशों में 294 बंदियों को रिलीज किया गया है। बिहार में वर्ष 2020 और 2021 दोनों को मिलाकर कुल 105 बंदियों को रिहा किया गया है। अन्य राज्यों से आप बिहार की तुलना कर लीजिये ।