मुंबई 02 जुलाई 2023
अमरनाथ प्रसाद की रिपोर्ट
वैसे तो जब कभी भी सिनेमा के माध्यम से किसी मुद्दे पर रौशनी डाली जाती है यह की सत्य घटना अथवा विवादित मामले पर बनी फिल्म प्रदर्शित होती है तब बबाल होना अब एक रिवाज सा बन गया है। निर्माता कहते है बिना फिल्म देखे विरोध करना उचित नहीं है। wahin विरोध करने वाले भावनाओं के आहात होने की बात करते हैं। ऐसी ही स्थिति कुछ ही दिनों में रिलीज़ होने वाली फिल्म ’72 हूरें’ को लेकर बनी हुई है। खास कर जब से फ़िल्म ’72 हूरें’ का टीज़र रिलीज़ किया गया है, तभी से फ़िल्म को लेकर भी विवाद शुरू हो गया है। लेकिन इन्ही तमाम विवादों के बीच फ़िल्म के मेकर्स जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में ’72 हूरें’ की स्पेशल स्क्रीनिंग के ऐलान कर सुर्ख़ियों में आ गए है।
राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त निर्देशक संजय पूरण सिंह चौहान के निर्देशन में बनी इस फिल्म का 4 जुलाई को जेएनयू परिसर में निर्माता अशोक पंडित ने ऐलान किया है। जिसको लेकर बबाल हो रहा है। कहा जा रहा है कि जेएनयू का इतिहास रहा है कि जब भी वास्तविक जीवन पर आधारित सशक्त फ़िल्मों का प्रदर्शन जेएनयू परिसर में किया गया है, तब-तब किसी ना किसी तरह का कोई विवाद ज़रूर खड़ा हुआ है। ऐसे में विश्वविद्यालय परिसर में ’72 हूरें’ के प्रदर्शन से मामला पहले की तरह पेचीदा हो सकता है. इससे पहले भी वहां पर वास्तविक घटनाओं पर आधारित फ़िल्मों की स्क्रीनिंग के बाद की घटनाओं ने लोगों की राय को बांटने का काम किया है। अक्सर ऐसी स्क्रीनिंग के बाद लोगों का आक्रामक रवैया देखने को मिला है.
इसके सबके बावजूद ’72 हूरें’ के मेकर्स ने 04 जुलाई को जेएनयू परिसर में फ़िल्म के प्रदर्शित किये जाने का ऐलान कर दिया है। जिसको लेकर कई तरह की आशंकाएं जहीर की जा रही हैं। इस बीच, कश्मीर स्थित कुछ राजनीतिक दलों ने फ़िल्म में दिखाए गये आतंकवादियों को मानसिक रूप से बरगलाने के दृश्यों पर गहरी आपत्ति जताई है। इन राजनीतिक दलों का कहना है कि फ़िल्म में पेश की गईं इस तरह की नकारात्मक बातों से धर्म विशेष को लेकर लोगों में ग़लत संदेश जाएगा और इससे सामाजिक ताने-बाने को उलटा असर पड़ेगा। इन राजनीतिक दलों को इस बात की आशंका है कि फ़िल्म के माध्यम से उनके धर्म को अनुचित ढंग से बड़े पर्दे पर पेश किया जाएगा। जिससे उनके धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँच सकती है। यही वजह है कि ये सभी पार्टियां फ़िल्म का विरोध कर रहे हैं।
चर्चित धार्मिक गुरू मौलाना साजिद राशिद ने फ़िल्म ’72 हूरें’ पर अपनी आपत्ति उठाते हुए उस पर धार्मिक सीख का ग़लत ढंग से चित्रण करने का आरोप लगाया है और फ़िल्म के ज़रिए करोड़ों लोगों आस्था को ठेस पहुंचाने की बात कही है। ग़ौर करने वाली बात ये भी है कि उन्होंने ’72 हूरें’ से जुड़ी एक परिचर्चा के दौरान इस बात को क़बूल किया की मर्दों को आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के बदले जन्नत में 72 हूरों का सपना दिखाया जाता हैं जहां उन्हें औरतों के साथ अय्याशी करने का पूरा इंतज़ाम होने की बात भी कहीं जाती है।
जेएनयू में फ़िल्म ’72 हूरें’ की स्पेशल स्क्रीनिंग के संदर्भ में मेकर्स का कहना है कि फ़िल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग कश्मीरी मुसलमानों व अन्य छात्रों के लिए एक ऐसा सुनहरा मौका है जो फ़िल्म में दिखाई गईं आतंकवादी घटनाओं की सच्चाइयों को लेकर उन्हें ख़ुद को अभिव्यक्त करने का अच्छा अवसर प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि इससे पहले हुए विवादों के विपरीत फ़िल्म की जल्द होने जा रही स्क्रिनिंग को आतंकवाद जैसे गंभीर मसले को खुले तौर पर संवाद का एक बेहतरीन ज़रिया समझा जाना चाहिए और मामले को संजीदा ढंग से समझने की कोशिश की होनी चाहिए.
उल्लेखनीय है कि ’72 हूरें’ 7 जुलाई, 2023 को देश भर के सिनेमाघरों में रिलीज़ की जाएगी. फ़िल्म का निर्देशन राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त निर्देशक संजय पूरण सिंह चौहान ने किया है. फ़िल्म का निर्माण गुलाब सिंह तंवर, किरण डागर, अनिरुद्ध तंवर ने साझा रूप से किया है तो वहीं अशोक पंडित फ़िल्म के को-प्रोड्यूसर हैं.