पटना 29 सितम्बर 2024

रविवार29 सितम्बर को बिहार इंडस्ट्रियल एसोसिएशन सभागार में सम्पन्न हुआ। समग्र विकास समिति के संयोजक डा. मिथिलेश कुमार तिवारी ने आगत अतिथियों का स्वागत किया। आगत अतिथियों में मुख्य अतिथि डा. प्रो. आर. के. सिंह कुलपति पाटलिपुत्रा विश्वविद्यालय, पटना ने कहा कि पाटलिपुत्रा विश्वविद्यालय, पटना में संस्कृत के विकास से संबंधित जो भी उचित होगा मैं करूँगा।

मुख्य वक्ता के रूप में डा. प्रो. आर. सी. वर्मा ने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। यह मां के तुल्य है। सानिध्य प्रो. के. सी. सिन्हा ने चाणक्य के विचारों पर विस्तृत प्रकाश डाला। अध्यक्षीय भाषण में प्रो. आर. सी. सिन्हा ने संस्कृत को दर्शन की जननी कहा, विशिष्ट अतिथि प्रो. नवल किशोर यादव ने अपने उद्बोधन में कहा कि वेद को पढें बिना नागरिक को भारतीय संस्कृति का ज्ञान नहीं हो सकता है।

महान समाज सेवी ललन सिंह ने कहा कि मैं अपने गाँव में संस्कृत के विकास के लिए एक संस्कृत महाविद्यालय खोलने का विचार कर रहा हूँ। शिवाकांत तिवारी, राष्ट्रीय सचिव, भारत तिब्बत सहयोग मंच ने चाणक्य के जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला। डा. मुकेश कुमार ओझा ने संस्कृत में लिखित प्राचीन शल्य चिकित्सा पर विस्तृत प्रकाश डाला एवं संस्कृत में लिखित नीतिशास्त्र एवं धर्मशास्त्र की उपयोगिता पर प्रकाश डाला।

डा. मनोज झा प्राचार्य, राजकीय संस्कृत महाविद्यालय ने कहा कि संस्कृत के कारण ही भारत विश्व गुरु बना और आज इसकी अवहेलना हो रही है। इस समारोह में डा. सुबोध कुमार सिंह, डा. पल्लवी, प्रो. अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी, श्री शैलेश कुमार त्रिपाठी, डा. सुषमा कुमारी, सुधान्शु रंजन, डा. गौतम जितेंद्र आदि अनेक विद्वान उपस्थित थे। इस अवसर पर सौ विद्वानों को सम्मानित किया गया। मंच का संचालन संस्कृत में विहार संस्कृत संजीवन समाज के महासचिव डा. मुकेश कुमार ओझा ने किया। धन्यवाद वाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष राजनीति शास्त्र डा. ज्योति शंकर सिंह के द्वारा किया गया।

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